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Kangra177111

जसवां विधानसभा के विधायक विक्रम ठाकुर ने बारिश प्रभावित इलाकों में जायजा लिया

Aug 22, 2024 12:10:32
Bhatehr, Himachal Pradesh

बीजेपी के विधायक विक्रम ठाकुर ने अपने विधानसभा क्षेत्र जसवां के बारिश प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया। इस दौरान बारिश से प्रभावित मकानों का भी जायजा लिया। विक्रम ठाकुर ने मौजूदा सरकार द्वारा 450 स्कूल बंद करने पर भी सवाल उठाए। इस दौरान लोगों की समस्याएं भी सुनी और उनके हल का आश्वासन भी दिया। उन्होंने कहा की वह इस समय विधायक है उनके पास अपनी समस्या लेकर कोई भी आ सकता है चाहे वो किसी भी पार्टी को सपोर्ट करता हो, वह सब के विधायक है।

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Nov 28, 2025 16:35:42
Shahabad, Uttar Pradesh:वाजिद खेल में धर्मांतरण के एक मामले से नाराज केसरिया हिंदू वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष ने पुलिस प्रशासन को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है और चेतावनी दी है अगर आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो समस्त हिंदू संगठन संयुक्त रूप से आंदोलन का रास्ता अपनायेंगे। शाहाबाद कोतवाली के वाजिद खेल मोहल्ले में धर्मांतरण का एक मामला चर्चा में आया था। इसी मामले को लेकर केसरिया हिंदू वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में हिंदू संगठनों के कुछ लोग शुक्रवार को प्रभारी निरीक्षक से मिले और अपनी शिकायत दर्ज कराई। केसरिया हिंदू वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष पवन रस्तोगी ने बताया कुछ दिनों पूर्व वाजिद खेल के रहने वाले राशिद नाम की एक शख्स ने अपने साले शेरा का एक हिंदू लड़की से विवाह कराया। जिसका धर्म परिवर्तन किया
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Nov 28, 2025 16:34:18
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RRRakesh Ranjan
Nov 28, 2025 16:33:53
Noida, Uttar Pradesh:Rampur News : अमर सिंह की बेटियों पर टिप्पणी मामले में आया फैसला, आज़म खान बरी – VC से हुई पेशी。 अमर सिंह की बेटियों को लेकर टिप्पणी करने के आरोप में दर्ज मुकदमे में अदालत ने आज़म खान को बरी कर दिया। अदालत में आज उनकी पेशी VC (वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग) के माध्यम से कराई गई。 आज जब रामपुर जेल से पेशी के लिए पुलिस की गाड़ी आई, तो आज़म खान ने उसमें बैठने से मना कर दिया। उनकी बैक बोन में समस्या होने के कारण उन्होंने सामान्य पुलिस वाहन में बैठकर कोर्ट जाना संभव नहीं बताया। इस स्थिति को देखते हुए अदालत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेशी सुनिश्चित हुई。 यह मामला तब दर्ज हुआ था जब अमर सिंह ने आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में गोमतीनगर थाने में FIR दर्ज कराई थी। बाद में यह केस ट्रांसफर होकर रामपुर भेजा गया, जहां आज अंतिम फैसला सुनाया गया। अदालत ने सभी तथ्यों और साक्ष्यों की जांच के बाद आज़म खान को आरोपों से बरी कर दिया।
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Nov 28, 2025 16:33:21
Shahabad, Uttar Pradesh:पिहानी थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी तीन बच्चों की मां बच्चों को घर पर छोड़कर अपने प्रेमी के साथ चली गई। पीड़ित पति की लिखित तहरीर के आधार पर पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध नामजद रिपोर्ट दर्ज कर विवाहिता की तलाश शुरू कर दी है। पीड़ित पति के अनुसार उसकी 35 वर्षीय पत्नी पिहानी थाना क्षेत्र के ग्राम अहेमी निवासी श्यामू पुत्र ओमदेव से मोबाइल पर बात किया करती थी। 25 नवंबर को सुबह 10 बजे आरोपी उसकी पत्नी को बहला फुसलाकर अपने साथ कहीं भगा ले गया है। पत्नी तीन बच्चों को घर पर छोड़कर गई है। उसने पत्नी को काफी तलाश किया लेकिन कोई पता नहीं चल सका। पीड़ित पति की लिखित तहरीर के आधार पर पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध नामजद रिपोर्ट दर्ज कर विवाहिता की तलाश शुरू कर दी है।
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PKPravesh Kumar
Nov 28, 2025 16:32:38
Ayodhya, Uttar Pradesh:अयोध्या में ईदगाह मस्जिद हटाने को लेकर एक नया बखेड़ा खड़ा हो गया है, रौनाही ड्योढ़ी संपर्क मार्ग के चौड़ीकरण की जद में आ रहे बभनियावां चौराहा के पास ईदगाह और मस्जिद को हटाने की मांग की जा रही है, विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के साथ साधु संतों ने सोहावल तहसील में धरना देकर मस्जिद को हटाने की मांग की है, संतों और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को कहना है कि जब अयोध्या में राम पथ का निर्माण हो रहा था तो राम पथ के जद में आने वाले मंदिरों को भी हटाया गया था ऐसे में अब रौनाही ड्योढ़ी संपर्क मार्ग के चौड़ीकरण की जद में ईदगाह मस्जिद आ रही है तो उसको भी हटाया जाना चाहिए, संतों का मानना है की मस्जिद का जितना भाग सड़क के चौड़ीकरण में आ रहा है उतना उसको हटा देना चाहिए लेकिन सोहावल तहसील और पीडब्ल्यूडी विभाग मस्जिद पर हाथ नहीं डाल रहा है, संतों का कहना है कि जब तक मस्जिद का भाग हटाया नहीं जाता तब तक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा, वही एसडीएम सोहावल सविता राजपूत ने बताया कि मस्जिद की पैमाइश कराने के लिए आदेश दिए गए हैं रिपोर्ट आते ही पीडब्ल्यूडी विभाग को भेज दी जाएगी।
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RKRakesh Kumar Bhardwaj
Nov 28, 2025 16:31:49
Jodhpur, Rajasthan:जोधपुर राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस मुन्नुरी लक्ष्मण की बेंच ने शिक्षक भर्ती में वरिष्ठता निर्धारण के मामले में एक अहम निर्णय सुनाते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वर्ष 2018 की शिक्षक ग्रेड-II लेवल-II (नॉन-TSP क्षेत्र) की भर्ती में चयनित उम्मीदवारों की seniority सूची को मेरिट के आधार पर दोबारा तैयार किया जाए। हाईकोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया कि सीधी भर्ती में वरिष्ठता का निर्धारण केवल चयन प्रक्रिया में प्राप्त मेरिट के आधार पर ही होना चाहिए। वर्ष 2018 की पूरी भर्ती की वरिष्ठता सूची को दो माह के भीतर तैयार करने का आदेश दिया है। दरअसल, बीकानेर के भीनासर निवासी शिवाली मदान ने रिट याचिका दायर कर यह शिकायत की थी कि उन्हें उन व्यक्तियों से जूनियर माना गया है, जो उनसे कम प्रतिभावान हैं और उसी भर्ती एवं चयन प्रक्रिया में शामिल थे। याचिकाकर्ता की शिकायत थी कि वरिष्ठता निर्धारित करते समय चयन सूची की मेरिट का पालन नहीं किया गया। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि मेरिट के अलावा किसी अन्य आधार पर वरिष्ठता तय नहीं की जा सकती, जिससे कम योग्यता वाला व्यक्ति अधिक योग्यता वाले से वरिष्ठ हो जाए। हाईकोर्ट ने याचिका पर अंतिम सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण कानूनी सिद्धांत स्थापित किया। अपने आदेश में कोर्ट ने सुमन बाई एवं अन्य बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य, मामले का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि प्रत्यक्ष भर्ती में एक ही चयन प्रक्रिया के उम्मीदवारों की वरिष्ठता केवल मेरिट सूची में उनके स्थान के आधार पर तय होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा यदि कम मेरिट वाले उम्मीदवारों को नियुक्ति दी गई है, तो जो उनसे ऊपर मेरिट सूची में हैं, उन्हें ऐसी नियुक्ति के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। सीधी भर्ती के मामले में वरिष्ठता का निर्धारण चयन सूची में उम्मीदवारों की स्थिति के आधार पर होना अनिवार्य है। समान चयन में उम्मीदवारों को नियुक्ति का अधिकार उनके चयन से मिलता है, जो मेरिट पर आधारित है। राजस्थान शिक्षा अधीनस्थ सेवा नियम, 1971 के नियम के अनुसार, समान चयन में उम्मीदवारों की अंतर-से वरिष्ठता मेरिट सूची के आधार पर निर्धारित की जानी चाहिए। कोर्ट ने पाया कि वरिष्ठता तय करते समय चयन सूची की मेरिट का पालन नहीं किया गया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मेर Merit के अलावा किसी अन्य आधार पर वरिष्ठता तय नहीं की जा सकती, जिससे कम योग्यता वाला व्यक्ति अधिक योग्यता वाले से वरिष्ठ हो जाए। समान भर्ती प्रक्रिया में प्रत्यक्ष भर्ती के उम्मीदवारों की वरिष्ठता केवल चयन प्रक्रिया में प्राप्त मेरिट के आधार पर होनी चाहिए। वरिष्ठता में बदलाव से शिक्षकों के वेतन निर्धारण, बकाया राशि, वार्षिक वेतनवृद्धि की तिथियां, नोशनल परिलाभ, पेंशन लाभ और पदोन्नति पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। हाईकोर्ट ने पूर्व में भी ऐसे मामलों में देरी से नियुक्त शिक्षकों को पूर्व में नियुक्त शिक्षकों के समान वरिष्ठता और सेवा परिलाभ देने के आदेश दिए हैं। जिन शिक्षकों को पहले से पदोन्नति मिल चुकी है, उनकी पात्रता भी पुनर्विचार के दायरे में आ सकती है。
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RKRakesh Kumar Bhardwaj
Nov 28, 2025 16:31:29
Jodhpur, Rajasthan:जोधपुर --राजस्थान हाईकोर्ट ने साइबर क्राइम की बढ़ती रफ्तार पर कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार, पुलिस और बैंकों के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए हैं। जस्टिस रवि चिरानिया की एकलपीठ ने जोधपुर के 84 वर्षीय बुजुर्ग दंपती से 2 करोड़ 2 लाख रुपये की ठगी के मामले में दो आरोपियों अदनान हैदर भाई और राहुल जगदीश भाई जाधव की जमानत अर्जी खारिज करते हुए यह रिपोर्टेबल जजमेंट जारी किया। अदालत ने साफ कहा कि साइबर अपराध विशेषकर डिजिटल अरेस्ट जैसे नए रूप अब समाज, अर्थव्यवस्था और कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा हैं, जिनकी रोकथाम के लिए तत्काल कड़े कदम उठाने जरूरी हैं। मामले के अनुसार आरोपी खुद को मुंबई साइबर पुलिस, ईडी और सीबीआई के अधिकारी बताकर 29 अप्रैल से 8 मई 2025 के बीच बुजुर्ग दंपती को मानसिक रूप से डिजिटल अरेस्ट जैसी स्थिति में रखते रहे। इस दौरान पीड़ितों को 9 अलग-अलग बैंक खातों में कुल 2.02 करोड़ रुपये ट्रांसफर करवाने को मजबूर किया गया। कोर्ट ने रिकॉर्ड से यह तथ्य दर्ज किया कि इनमें से 45 लाख रुपये सीधे दोनों याचिकाकर्ताओं के खातों में पहुंचे, जिसे उनके वकीलों ने भी नकारा नहीं। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि जांच शुरुआती चरण में है वे निर्दोष हैं और एफआईआर में दर्शाई गई पूर्ण राशि उन्होंने नहीं ली। लेकिन सरकारी वकील ने इसे वृद्ध दंपती पर गंभीर आर्थिक हमला बताते हुए कहा कि गिरोह के कई सदस्य अभी तक पकड़े नहीं गए हैं। अदालत ने माना कि बीएनएस की कुछ धाराओं में 7 साल तक की सजा का प्रावधान है और साइबर टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग से होने वाली डिजिटल अरेस्ट जैसी ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसलिए अदालत ने वर्तमान परिस्थितियों में जमानत देने से इंकार कर दिया। इसके साथ ही न्यायालय ने आदेश में साइबर अपराध की भयावहता पर विस्तृत टिप्पणियां कीं। अदालत के अनुसार 2019–2024 के दौरान साइबर वित्तीय धोखाधड़ी की शिकायतें कई गुना बढ़ीं, लेकिन एफआईआर दर्ज होने की दर और फ्रॉड मनी फ्रीज होने के मामलों का प्रतिशत बेहद कम है। कोर्ट ने बताया कि अपराधी कुछ ही मिनटों में चोरी की रकम को कई खातों के जरिये क्रिप्टो में बदलकर विदेश भेज देते हैं, जिससे साधारण पुलिस अधिकारी लेनदेन का ट्रेल पकड़ ही नहीं पाते। इसी स्थिति को सुधारने के लिए हाईकोर्ट ने राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को निर्देश दिया कि वे भारतीय साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर की तर्ज पर राजस्थान साइबर क्राइम कंट्रोल सेंटर की स्थापना के लिए अधिसूचना जारी करें। यह केंद्र-राज्य में साइबर अपराधों की रोकथाम, जांच और कॉर्डिनेशन के लिए नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगा । साथ ही महानिदेशक साइबर के अधीन विशेष IT इंस्पेक्टर की भर्ती कर केवल साइबर मामलों की जांच कराने का निर्देश दिया गया है, ताकि पारंपरिक पुलिसिंग मॉडल की तकनीकी सीमाएं कम की जा सकें। कोर्ट ने बैंकों और फिनटेक कंपनियों को भी कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि साइबर ठगी के ज्यादातर मामले बैंकिंग सिस्टम के दुरुपयोग के कारण होते हैं। इसलिए सभी बैंक तत्काल प्रभाव से RBI द्वारा विकसित ‘Mule Hunter’ जैसे AI टूल्स का उपयोग करें ताकि म्यूल अकाउंट और संदिग्ध ट्रांजेक्शन समय रहते पकड़े जा सकें। कम या संदिग्ध लेनदेन वाले खातों की KYC दोबारा कराने और डिजिटल साक्षरता कम वाले ग्राहकों के लिए इंटरनेट बैंकिंग व यूपीआई पर नियंत्रित लिमिट लगाने जैसी सिफारिशें भी अदालत ने कीं। सबसे महत्वपूर्ण निर्देश डिजिटल अरेस्ट से बचाव से जुड़े हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसी बुजुर्ग या संवेदनशील ग्राहक के खाते से अचानक बड़ा लेनदेन होता है, तो बैंक 48 घंटे के भीतर उनके घर जाकर भौतिक सत्यापन करें। साथ ही ऐसे खाताधारकों को चिह्नित कर उनकी काउंसलिंग व जागरूकता अभियान चलाए जाएं, खासकर तब जब फिक्स्ड डिपॉजिट अचानक तोड़ी जा रही हों। अदालत ने डिजिटल उपकरणों और सिम कार्ड पर नियंत्रण बढ़ाने के भी निर्देश दिए। राज्य में सभी डिजिटल डिवाइस—नए और सेकंड हैंड—की बिक्री व पंजीकरण अब DG साइबर की निगरानी में ऑनलाइन प्रणाली के तहत होगा। किसी एक व्यक्ति के नाम पर तीन से अधिक सीम कार्ड जारी करने पर सख्त SOP बनाए जाने और सभी कॉल सेंटर/बीपीओ को DG साइबर के साथ अनिवार्य पंजीकरण करने का आदेश दिया गया गया है। गिग वर्कर्स—जैसे ओला, उबर, स्विगी, जोमैटो डिलीवरी पार्टनर—के लिए अनिवार्य पुलिस वेरिफिकेशन, कॉमन यूनिफॉर्म, QR-ID कार्ड और डबल रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था भी अनिवार्य की गई है, ताकि उनकी पहचान और ट्रैकिंग सुनिश्चित हो सके। बच्चों की सुरक्षा पर भी हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की। गृह विभाग को शिक्षा विभाग और अभिभावक संगठनों के साथ मिलकर 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए स्कूलों में मोबाइल फोन, ऑनलाइन गेम और सोशल मीडिया के उपयोग पर विस्तृत SOP बनाने को कहा गया है। साथ ही डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 और नियम 2025 का कड़ाई से पालन और सभी सरकारी विभागों में डिजिटल लेनदेन का मासिक ऑडिट कराने का आदेश भी दिया गया। अदालत ने राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को जिला और तहसील स्तर पर साइबर सिक्योरिटी अवेयरनेस सेल बनाने तथा IT विशेषज्ञों और साइबर कानून विशेषज्ञ वकीलों की मदद से जागरूकता कार्यक्रम चलाने की सलाह दी, ताकि समाज को साइबर अपराधों से बचाया जा सके。
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