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दिल्ली के सुभाष नगर में तेज रफ्तार टोयोटा कार ने मारी टक्कर, दो घायल

RKRajesh Kumar SharmaDec 13, 2025 07:31:23
Delhi, Delhi:दिल्ली के सुभाष नगर में दिखा रफ्तार का कहर तेज रफ्तार टोयटा की कार ने मारी टक्कर दो लोग हुए घायल पश्चिमी जिला के सुभाष नगर इलाके में देर रात्रि दिखा रफ्तार का कहर। एक तेज रफ्तार टोयोटा की कार ने मारी टक्कर। कार बुरी तरह से हो गई क्षतिग्रस्त दो लोग घायल। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। बताया गया है कि टोयोटा की रफ्तार बहुत तेज गति से थी और उसके बाद उसने पहले डिवाइडर में टक्कर मारी और उसके बाद कार के फ्रैक्चर उड़ गए। लोगों ने इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दी सूचना मिलते ही सुभाष नगर चौकी की पुलिस टीम भी मौके पर पहुंची पुलिस ने कार को अपने कब्जे में ले लिया है और पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है कि कहीं कार चालक नशे में तो नहीं था।
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TCTanya chughDec 13, 2025 07:31:03
Delhi, Delhi:राज्यसभा के आँकड़ों ने AAPDa की ‘शिक्षा क्रांति’ की सच्चाई उजागर कर दी — AAPDa की ‘शिक्षा क्रांति’ नहीं, यह बच्चों को बाहर करने की ‘फ़िल्टरिंग पॉलिसी’ थी: आशीष सूद दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने राज्यसभा में प्रस्तुत तथ्यों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अब यह पूरी तरह स्पष्ट हो चुका है कि पिछली AAPDa सरकार की तथाकथित ‘एजुकेशन रेवोल्यूशन’ दरअसल बच्चों के भविष्य को सँवारने की नहीं, बल्कि आँकड़ों को सँवारने की नीति थी। सूद ने कहा कि “आज दिल्ली में हमारी सरकार है, लेकिन पिछली AAPDa सरकार की शिक्षा नीति की असलियत उजागर करने के लिए भी किसी भाजपा नेता की नहीं, AAPDa की अपनी राज्यसभा सांसद श्रीमती स्वाति मालीवाल हैं, जिन्होंने संसद में यह सवाल किया कि कक्षा 9 में फेल हुए बच्चों को बड़े पैमाने पर NIOS में भेजना वास्तव में उन्हें दूसरा मौका दे रहा है या फिर स्कूलों के नतीजों को बेहतर दिखाने का तरीका बन गया है।” “जब अपनी ही पार्टी की सांसद यह पूछने को मजबूर हो जाए कि क्या बच्चों को सिस्टम से बाहर धकेलकर आँकड़े चमकाए जा रहे हैं, तो उस मॉडल की सच्चाई अपने-आप सामने आ जाती है।” - सूद ने कहा राज्यसभा में शिक्षा मंत्रालय द्वारा दिए गए लिखित उत्तर के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कक्षा 9 के 3.20 लाख से अधिक बच्चे फेल हुए। वर्ष-वार स्थिति और भी चिंताजनक है: 2020–21: 31,541 छात्र फेल 2021–22: 28,548 छात्र फेल 2022–23: 88,421 छात्र फेल 2023–24: 1,01,344 छात्र फेल 2024–25: 70,296 छात्र फेल कुल: 3,20,150 छात्र इसी अवधि में 71,000 से अधिक छात्रों को NIOS में दाखिल किया गया, जिनमें 2022–23 में ही 29,436 दाखिले हुए। *सूद ने कहा कि NIOS अपने आप में एक वैकल्पिक और सहायक व्यवस्था हो सकती है, लेकिन जो आँकड़े सामने आए हैं, वे बताते हैं कि इसे सहयोग के लिए नहीं, साइड-लेन के रूप में इस्तेमाल किया गया।* “माननीय सांसद स्वाति मालीवाल जी का सवाल बिल्कुल जायज़ है,” उन्होंने कहा。 “क्या NIOS बच्चों को दूसरा मौका देने के लिए इस्तेमाल हुआ, या फिर उन्हें चुपचाप मुख्यधारा से बाहर करने के लिए, ताकि 10वीं-12वीं के रिज़ल्ट अच्छे दिखें?” उन्होंने कहा कि जब कक्षा 9 में इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को फेल किया जाता है और हजारों को नियमित स्कूल व्यवस्था से बाहर कर दिया जाता है, तो 10वीं या 12वीं में ऊँचा पास प्रतिशत किसी उपलब्धि का नहीं, बल्कि एक गणितीय नतीजे का संकेत होता है। *“यह शिक्षा नीति नहीं, बल्कि रिज़ल्ट-मैनेजमेंट पॉलिसी है,” सूद ने कहा।* *“और इसे ‘दुनिया का नम्बर-वन शिक्षा मॉडल’ कहना उन बच्चों, उनके अभिभावकों और शिक्षकों — तीनों का अपमान है।”* सूद ने कहा कि ये आंकड़े केवल नंबर नहीं हैं। *“इन 3.20 लाख मामलों के पीछे हज़ारों सपने, परिवारों की उम्मीदें और बच्चों का भविष्य जुड़ा हुआ है,” उन्होंने कहा।* “सबसे बड़ा सवाल यह है कि समय रहते इन बच्चों को अकादमिक सहायता क्यों नहीं दी गई, ताकि वे फेल होने की कगार तक ही न पहुँचें?” श्री सूद ने स्पष्ट किया कि वर्तमान दिल्ली सरकार की प्राथमिकता बच्चों को बाहर करना नहीं, उन्हें संभालना है。 “हमारी सरकार फ़िल्टरिंग नहीं, फ़ाउंडेशन-बिल्डिंग पर काम करेगी शुरुआती हस्तक्षेप, कक्षा 8-9 में मज़बूत अकादमिक सपोर्ट, पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ,” उन्होंने कहा。 “दिल्ली को पोस्टर वाले रिज़ल्ट नहीं, बल्कि ऐसा शिक्षा तंत्र चाहिए जो कमज़ोर बच्चों को उठाए, न कि उन्हें चुपचाप किनारे कर दे।” उन्होंने कहा कि असली शिक्षा क्रांति वही होगी, जहाँ हर बच्चा गिना जाएगा — सिर्फ़ पास होने वाले नहीं।
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