Become a News Creator

Your local stories, Your voice

Follow us on
Download App fromplay-storeapp-store
Advertisement
Back
Hapur245101

Hapur - महिलाओं के साथ बदसलूकी करने वाले दबंग भू माफिया की 48 घंटे बाद भी नहीं हुई गिरफ्तारी

Feb 01, 2025 08:29:47
Hapur, Uttar Pradesh

पूर्व दबंग चेयरमैन प्रत्याशी आबिद अपने असलहाधारी साथियों के साथ एक मकान पर कब्जा करने के लिए पहुंच गया. लोगों का आरोप है की जब परिजनों ने इसका विरोध किया तो दबंग पूर्व चेयरमैन प्रत्याशी आबिद ने अपने साथियों के साथ घर की महिलाओं के साथ बदसलूकी व परिजनों के साथ मारपीट की है. इस घटना के बाद पीड़ित परिवार की एक लड़की ने अपने ऊपर मिट्टी का तेल छिड़क कर खुद को समाप्त करने का भी प्रयास किया है. वहीं लड़की को फिलहाल उपचार के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया है. पुलिस ने मुकदमा तो दर्ज कर लिया है लेकिन बड़ी बात यह है कि 48 घंटे बीतने के बाद भी दबंग पूर्व चेयरमैन प्रत्याशी आबिद व उसके साथियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है।

0
comment0
Report

हमें फेसबुक पर लाइक करें, ट्विटर पर फॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब्ड करें ताकि आप ताजा खबरें और लाइव अपडेट्स प्राप्त कर सकें| और यदि आप विस्तार से पढ़ना चाहते हैं तो https://pinewz.com/hindi से जुड़े और पाए अपने इलाके की हर छोटी सी छोटी खबर|

Advertisement
DGDeepak Goyal
Nov 21, 2025 12:18:00
Jaipur, Rajasthan:घरेलू सिलेंडरों से कमर्शियल सिलेंडरों में अवैध रिफिलिंग का खुला खेल एक बार फिर बेनकाब हुआ है। लेकिन इससे भी बड़ी चौंकाने वाली बात यह है कि तीनों बड़ी तेल कंपनियां यह बताने तक में असमर्थ रहीं कि बाजार में पहुंच रहे घरेलू सिलेंडरों का ट्रैक आखिर चलता कैसे है। जिला रसद अधिकारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में जब अधिकारियों से पूछा गया कि कौन-सा सिलेंडर किस एजेंसी से निकलकर बाजार तक पहुंच रहा है, इसे ट्रैक कैसे किया जाता है? तो तीनों तेल कंपनियों के प्रतिनिधियों ने साफ कहा ट्रैकिंग सिस्टम है ही नहीं। घरेलू सिलेंडों को कमर्शियल गैस में रिफिल कर मोटी कमाई का काला खेल राजधानी में किस हद तक फैला है। यह खुद तेल कंपनियों ने ही बेबस खड़े होकर मान लिया। जयपुर जिला रसद अधिकारी प्रियव्रत सिंह चारण की अध्यक्षता में हुइ बैठक में तीनों ऑयल कंपनियों के प्रतिनिधि तब निरुत्तर रह गए, जब उनसे पूछा गया घरेलू सिलेंडर बाजार तक आ कहां से रहा है? ट्रैकिंग सिस्टम क्या है? जवाब था—किसी तरह का ट्रैकिंग सिस्टम है ही नहीं। जयपुर जैसे राजधानी जिले में जहां रोज हजारों सिलेंडर घूमते हैं, वहां ट्रैकिंग का शून्य होना अपने आप में सबसे बड़ा सवाल है। दिल्ली में बारकोड का पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है। लेकिन राजस्थान अब भी “ब्लाइंड मोड” पर काम कर रहा है। यानी जो सिलेंडर अवैध रिफिलिंग के अड्डों पर मिल रहे हैं, उनके स्रोत का कोई रिकॉर्ड नहीं। पिछले दिनों चार लोकेशन पर की गई कार्रवाई में 700 से ज्यादा सिलेंडर पकड़े गए। कई जगहों पर तो एक लक्ष्य इंडियन गैस एजेंसी की गाड़ियां भी खड़ी मिलीं। पर ये सिलेंडर कहां से आए, किसने भेजे, कितने दिन से चल रहा था रैकेट—कोई नहीं बता सका, क्योंकि कंपनियों के पास रिकॉर्ड या ट्रैकिंग सिस्टम है ही नहीं। प्रियव्रत सिंह चारण, DSO, जयपुर प्रथम कुछ दिन पहले ही जयपुर जिला रसद टीम ने चार लोकेशन पर छापे में 700 सिलेंडर बरामद कर गैस माफिया की रीढ़ तोड़ी थी। इतना ही नहीं, एक जगह तो लक्ष्य इंडियन गैस एजेंसी की गाड़ियां खड़ी मिलीं। इसकी बाकायदा नामज़द एफआईआर भी करवाई गई है। इंडियन ऑयल अधिकारियों को भी आखिर मानना पड़ा कि इस प्रकरण के बाद लक्ष्य इंडियन गैस एजेंसी के निलंबन की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। लेकिन असली सवाल अब भी वही है—सिस्टम में छेद कहां है और इसे बंद कौन करेगा? बैठक में कई बड़े सवाल उठे: आखिर इतनी बड़ी संख्या में घरेलू सिलेंडरों से कॉमर्शियल सिलेंडर में कैसे रिफलिंग हो रही है? आखिर घरेलू सिलेंडर इतनी बड़ी संख्या में कैसे आ रहे हैं? किस एजेंसी से सिलेंडर बाजार में आ रहा इसका कोई ट्रेकिंग सिस्टम है? 70 साल से सिलेंडर डिज़ाइन में कोई सुधार क्यों नहीं? उपभोक्ता को समय पर सिलेंडर नहीं मिलता, और यही कमी अवैध रिफिलिंग को बढ़ाती है। इस चक्र को कौन तोड़ेगा? डिलीवरी OTP सिस्टम आधा-अधूरा क्यों है? तेल कंपनियों के अधिकारियों ने माना कि OTP आधारित डिलीवरी अभी भी अधूरी है। IOCL केवल 75 फीसदी , जबकि HPCL और BPCL 40 फीसदी OTP पर अटके हैं। जब तक 100% OTP डिलीवरी नहीं होती, सिलेंडर का असली गंतव्य पता ही नहीं चलेगा। डिलीवरी वाहनों पर GPS क्यों नहीं? अब जिला रसद अधिकारी ने सख्त निर्देश दिए—लेकिन क्या बदलेगा? 100% OTP डिलीवरी अनिवार्य। हर 15 दिन की रिपोर्ट विभाग को भेजी जाए—हर महीने प्रगति समीक्षा। सुधार न दिखे तो सीधे केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजेंगे। डिलीवरी के कांटे की विधिक माप-विज्ञान से जांच अनिवार्य। बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाना जरूरी। बहरहाल, गैस माफिया का खेल वर्षों से चल रहा था, लेकिन अब पहली बार ऐसा लगा कि सिस्टम ने उसकी गर्दन पकड़ने की कोशिश शुरू की है। हालांकि असली परीक्षा अब शुरू होती है। क्या कंपनियां वाकई सुधार लागू करेंगी, या फिर सिलेंडरों की यह छाया अर्थव्यवस्था यूं ही शहर के मोहल्लों में फुसफुसाती रहेगी? जयपुर में अवैध रिफिलिंग के रैकेट पर लगाम लगाने की कोशिश जारी है, पर असल लड़ाई उन जवाबों की है जो तेल कंपनियों के पास आज भी नहीं हैं। दीपक गोयल जी मीडिया जयपुर।
0
comment0
Report
Nov 21, 2025 12:17:56
0
comment0
Report
Nov 21, 2025 12:17:20
0
comment0
Report
OBOrin Basu
Nov 21, 2025 12:17:01
0
comment0
Report
HBHeeralal Bhati
Nov 21, 2025 12:15:19
0
comment0
Report
RKRakesh Kumar Bhardwaj
Nov 21, 2025 12:05:58
Jodhpur, Rajasthan:जोधपुर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जोधपुर के सर्किट हाउस में आमजन से मुलाकात की । वही इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया से बात करते हुए SIR के सवाल पर उन्होंने कहा कि शुरू से ही चुनाव आयोग का रवैया ठीक नहीं रहा । चुनाव आयोग पर पूरा लोकतंत्र का काम रहता है । निष्पक्ष चुनाव हो वोटर लिस्ट बने । वह बिल्कुल सही बने । फर्जी वोटर नहीं हो और असली वोट बाहर नहीं छूटे यही तो होता है । पर जिस प्रकार का चुनाव आयोग का रवैया को लेकर राहुल गांधी लगातार सूचना दे रहे हैं मेरी दृष्टि में भी मैंने जांच करवाई है मैंने भी सूचित किया है 1 लाख 250 वोट यह फर्जी बने हुए हैं । चुनाव आयोग को सिर्फ इतना ही कहना था कि हम जांच कर रहे हैं और कुछ नहीं कहना था अपने आप जांच होती महीना भर मे । 20 दिन में और परिणाम बता देते जो रवैया चुनाव आयोग ने अडॉप्ट किया एफिडेविट दे दीजिए उसके बाद बार-बार आरोप लग रहे हॆ । उल्टा कभी भी चुनाव आयोग पॉलिटिकल लीडर चाहे सत्ता पक्ष का हो चाहे विपक्ष का हो उनको इस प्रकार से जवाब नहीं दिया जाता । वह अपनी बात कहेंगे डेमोक्रसी का देश है । आपकी ड्यूटी है कि आप उनको अपना धर्म निभाते हुए कर्तव्य निभाते हुए जवाब दें । चुनाव आयोग के विरोध मे इतना अविश्वास हो चुका है । बिहार में जो चुनाव परिणाम आए । आप देखिए राजस्थान में सारी स्कीम में रोक दी । चाहे मोबाइल फोन की हो । पेंशन हो बुजुर्गों की पेशन हो ।इन सब को रोक दी । हमारे तमाम स्कीमे बंद कर दी और बिहार में चुनाव हुआ है सारा पैसा यहां से जा रहा है बिहार भेजा गया । एक परिवार को 10000 देना यह पूरा चला । लेकिन चुनाव आयोग आंखें मूंद कर बैठा रहा । अब जो एस ए आर की शुरुआत करी है यह पहले क्यों नहीं की । इससे आपकी नीयत में खोट लग रही है । और इसीलिए देश के लोगों में आक्रोश है और अविश्वास पैदा हो गया यह उचित नहीं है ।
104
comment0
Report
LSLaxmi Sharma
Nov 21, 2025 12:05:14
Dausa, Rajasthan:जिला दौसा मोरेल बांध से नहरों में पानी छोड़ा: 83 गांवों की 77 हजार बीघा भूमि होगी सिंचित, 25 हजार किसान परिवारों को मिलेगा लाभ किसानों की लंबे समय से चली आ रही प्रतीक्षा आज पूरी हुई , जब मोरेल बांध की मेन कैनाल व ईस्ट कैनाल की मोरी खोलकर नहरों में पानी छोड़ा गया। पानी की पहली धार देखते ही वहां मौजूद किसानों और ग्रामीणों के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ गई। पूजा-अर्चना के साथ एईएन चेतराम मीणा और जेईएन अंकित मीणा , जिला परिषद सदस्य रामप्रसाद मीणा, रामविलास मीणा कांदलोदा कांजीलाल मीणा, मीठालाल मीणा सहित नहर कमेटियों के अध्यक्षों तथा किसानों ने विधिवत नहरों में पानी प्रवाहित किया। मोरेल बांध वर्तमान में 30.6 फीट पानी से पूरी तरह लबालब है। नहरों में पानी छोड़े जाने से तीन जिलों—सवाई माधोपुर, गंगापुर सिटी और दौसा के लालसोट क्षेत्र—के 83 गांवों की लगभग 77,572 बीघा भूमि पर सिंचाई संभव हो सकेगी। इससे 25 हजार से अधिक किसान परिवार सीधे लाभांवित होंगे। किसानों के अनुसार रबी फसल की सिंचाई के लिए नहरों से पानी मिलना उनके लिए जीवनदान जैसा है। बांध में से केवल कृषि ही नहीं, बल्कि पशु-पक्षियों और अंतरराष्ट्रीय प्रवासी पक्षियों के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए 8 फीट पानी रिजर्व रखा जाएगा। मोरेल बांध: तीन जिलों के लिए जीवन रेखा मोरेल बांध बामनवास, मलारना चौड़, मलारना डूंगर, बौंली और लालसोट तहसील के गांवों के लिए प्रमुख जल स्रोत है। हर वर्ष बांध से सिंचाई व्यवस्था इन क्षेत्रों की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूती देती है इस वर्ष भी बांध के पूरा भरने से नहरें लगातार 90 दिन चल सकेंगी, जिससे किसानों में उत्साह है। नहरों से लाभान्वित होने वाले क्षेत्र बामनवास, लालसोट, बौंली, मलारना डूंगर तहसीलें लाभान्वित गांव: मलारना डूंगर क्षेत्र के 44 गांव बौंली तहसील के 11 गांव बरनाला क्षेत्र के 15 गांव लालसोट तहसील के 13 गांव पिछले वर्षों की सिंचाई स्थिति 2019 – 90 दिन 2020 – 20 दिन 2021 – 30 दिन 2022 – 30 दिन 2023 – 30 दिन 2024 – 90 दिन 2025 – इस वर्ष भी 90 दिन सिंचाई होगी। मोरेल बांध का भराव लंबे समय बाद लगातार दो वर्षों तक अपनी क्षमता पर पहुंचा है, जिससे किसानों में नई उम्मीद और कृषि उत्पादन बढ़ने का विश्वास जागा है।
99
comment0
Report
ADArjun Devda
Nov 21, 2025 12:04:54
Harda, Madhya Pradesh:मध्यप्रदेश में SIR सिस्टम लागू होने के बाद शिक्षकों पर काम का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। शिक्षकों को शिक्षण कार्य के साथ-साथ SIR से जुड़ी ऑनलाइन प्रविष्टियाँ भी समय पर अपडेट करनी पड़ रही हैं। इससे स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग के कार्यों की जिम्मेदारी भी शिक्षकों पर बढ़ा बोझ डाल रही है। दोहरी जिम्मेदारियों के चलते शिक्षक तनावपूर्ण माहौल में काम करने को मजबूर हैं। कई शिक्षक संगठनों ने इसे शिक्षकों के साथ अतिरिक्त मानसिक दबाव बताया है। प्रशासन को शिक्षकों का कार्यभार कम करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। लगातार रिपोर्टिंग और फील्ड वर्क के कारण शिक्षकों के लिए समय प्रबंधन बड़ा चुनौती बन गया है। शिक्षक प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि यदि भार कम नहीं हुआ, तो वे आंदोलन पर भी विचार कर सकते हैं। शिक्षकों ने सरकार से मांग की है कि शिक्षण कार्य प्राथमिकता में रहे, और गैर-शैक्षणिक कार्यों से राहत दी जाए।
112
comment0
Report
KYKaniram yadav
Nov 21, 2025 12:04:39
Agar, Madhya Pradesh:मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR का काम पूरे प्रदेश में तेज़ी से चल रहा है। चार नवंबर से चार दिसंबर तक चलने वाली इस प्रक्रिया में जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ रहे हैं, फील्ड में काम कर रहे बूथ लेवल अधिकारियों, यानी BLO पर काम का बोझ और मानसिक दबाव दोनों बढ़ता जा रहा है। आगर मालवा जिले में हालत ये है कि प्रक्रिया शुरू होने के 15 दिनों बाद भी सिर्फ 27.83% फॉर्म ही डिजिटाइज हो पाए हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत ग्रामीण इलाकों में सामने आ रही है। आइए देखते हैं रिपोर्ट। आगर मालवा के कुछ गाँवों में BLO का काम आसान नहीं है। यहाँ के कुछ ग्रामो में घुमक्कड़ और प्रवासी समुदायों की संख्या अधिक है। रोज़गार के लिए कई परिवार दूसरे शहरों या राज्यों में पलायन कर चुके हैं। घर पर या तो बुजुर्ग माता-पिता बचे हैं, या फिर सिर्फ महिलाएँ, और वे भी अधिकतर अनपढ़ या साक्षर नहीं। ऐसे में SIR के तहत ऑफ़लाइन फॉर्म भरना BLO के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। कई महिलाएँ तो फॉर्म भरने से पहले ही BLO को शिकायतें सुनाने लगती हैं — प्रधानमंत्री आवास न मिलने की…लाड़ली बहना योजना में नाम न आने की… या गरीबी रेखा का राशन कार्ड न बनने की। ग्रामीण महिलाएँ जिले में ज्यादातर BLO स्कूली शिक्षक और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं। शिक्षक अपनी क्लासरूम की पढ़ाई दूसरे साथियों पर छोड़कर गाँव-गाँव, घर-घर दस्तक दे रहे हैं। दूसरी तरफ अधिकारियों का दबाव है, काम जल्दी पूरा करने का, लक्ष्य समय पर हासिल करने का, और फॉर्म डिजिटाइजेशन में तेजी लाने का।डिजिटल सिस्टम पर अपलोडिंग में भी कई तकनीकी दिक्कतें सामने आ रही हैं, कभी फॉर्म रिटर्न हो रहा है, कभी दस्तावेज़ मैच नहीं हो रहा, तो कभी ऐप स्लो हो जाता है। शहरी इलाकों में समस्या थोड़ी कम है, लेकिन मतदाताओं के दस्तावेज़ों का मिलान करना अभी भी टेढ़ी खीर बना हुआ है। कई मतदाता पुराने दस्तावेज़ों में जानकारी अपडेट नहीं करा पाए हैं, जिससे डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया और धीमी हो जाती है। एक तरफ तकनीकी और दस्तावेज़ी चुनौतियाँ, दूसरी ओर मतदाताओं की नाराज़गी और समझ की कमी… और ऊपर से शिक्षकों और BLO पर लक्ष्य पूरा करने का भारी दबाव। इन सबके बीच SIR अभियान की रफ्तार अभी धीमी है, और BLO लगातार मेहनत कर रहे हैं कि एक भी योग्य मतदाता मतदाता सूची से बाहर न रह जाए।
71
comment0
Report
Advertisement
Back to top