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Burhanpur450331

ग्राम बड़सिंगी की ग्रामीण बहनों को नहीं मिल रहा लाडली बहना योजना का लाभ, DM से की शिकायत

Sept 10, 2024 11:19:49
Ambada Ryt, Madhya Pradesh

बुरहानपुर जिले में मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना के लाभ से वंचित बहनों की शिकायतें सबसे ज्यादा सामने आ रही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुरू की गई इस योजना का लाभ बहनों को मिलना शुरू हो चुका है, लेकिन कई महिलाएं अब भी इसका लाभ नहीं मिलने के कारण पंचायत और जिला कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काट रही हैं। आज ग्राम बड़ सिंगी की महिलाएं कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर इस योजना का लाभ दिलाने की गुहार लगाई।

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NPNishit Pancholi
Dec 22, 2025 11:23:41
Noida, Uttar Pradesh:
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NPNishit Pancholi
Dec 22, 2025 11:23:31
Noida, Uttar Pradesh:
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NPNishit Pancholi
Dec 22, 2025 11:23:22
Noida, Uttar Pradesh:
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NPNishit Pancholi
Dec 22, 2025 11:23:13
Noida, Uttar Pradesh:AI HAIRCUT
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NPNishit Pancholi
Dec 22, 2025 11:23:05
Noida, Uttar Pradesh:
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NPNishit Pancholi
Dec 22, 2025 11:22:58
Noida, Uttar Pradesh:
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NPNishit Pancholi
Dec 22, 2025 11:22:51
Noida, Uttar Pradesh:
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NPNishit Pancholi
Dec 22, 2025 11:22:38
Noida, Uttar Pradesh:
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ABAmit Bhardwaj1
Dec 22, 2025 11:22:25
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NSNAVEEN SHARMA
Dec 22, 2025 11:21:29
Bhiwani, Haryana:बाईट : स्टैंड विद नेचर के अध्यक्ष लोकेश भिवानी। भिवानी के तोशाम में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने किया उपवास -आरावली के अस्तित्व पर संकट के खिलाफ जनसंगठनों का एक दिवसीय उपवास -आरावली विरासत जन अभियान के तहत अनेक जनसंगठनों ने बुलंद की आवाज -नई परिभाषा लागू होने से अरावली क्षेत्र की 90 प्रतिशत से अधिक पहाडिय़ां संरक्षण से बाहर हो जाएंगी : पर्यावरण प्रेमी डा. लोकेश -अरावली केवल पत्थरों की श्रृंखला नहीं बल्कि भूजल रिचार्ज, स्वच्छ हवा, जैव-विविधता और उत्तर-पश्चिम भारत की जलवायु संतुलन की रीढ : पर्यावरण प्रेमी भिवानी,भारत की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला अरावली के संरक्षण और उसके अस्तित्व पर मंडरा रहे गंभीर खतरों के विरोध में भिवानी जिला के कस्बा तोशाम पहाड़ पर अरावली विरासत जन अभियान के अंतर्गत एक दिवसीय उपवास एवं जन-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान तोशाम स्थित मुंगीपा धर्मशाला के मुख्य द्वार पर विभिन्न सामाजिक, पर्यावरणीय और जनसंगठनों के प्रतिनिधियों, युवाओं, किसानों, ग्रामीणों एवं बुद्धिजीवियों का जमावड़ा शुरू हो गया। इसके पश्चात सभी प्रतिभागी शांतिपूर्ण ढंग से पहाड़ पर चढ़े और अरावली के संरक्षण का संकल्प लिया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य हाल ही में स्वीकार की गई अरावली की नई परिभाषा के दुष्परिणामों की ओर सरकार, प्रशासन और समाज का ध्यान आकर्षित करना था। इस नई परिभाषा के अंतर्गत 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाडिय़ों को अरावली क्षेत्र से बाहर कर दिया गया है, जिससे इस ऐतिहासिक पर्वतमाला का बड़ा हिस्सा कानूनी संरक्षण से वंचित हो जाएगा। इस मौके पर स्टैंड विद नेचर के अध्यक्ष डा. लोकेश भिवानी ने कहा कि नई परिभाषा लागू होने से अरावली क्षेत्र की 90 प्रतिशत से अधिक पहाडिय़ां संरक्षण से बाहर हो जाएंगी। इसका सीधा दुष्परिणाम पर्यावरण, जल-स्रोतों, वन्यजीवों और मानव स्वास्थ्य पर घातक साबित होंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि अरावली केवल पत्थरों की श्रृंखला नहीं बल्कि भूजल रिचार्ज, स्वच्छ हवा, जैव-विविधता और उत्तर-पश्चिम भारत की जलवायु संतुलन की रीढ़ है। यदि इसे कमजोर किया गया तो हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में जल संकट, वायु प्रदूषण और मरुस्थलीकरण की समस्या और अधिक भयावह हो जाएगी। उन्होंने कहा कि खनन के कारण खेतों की उर्वरता घट रही है और ग्रामीण इलाकों में बीमारियां बढ़ रही हैं। युवा कल्याण संगठन के संयोजक कमल प्रधान ने युवाओं से इस आंदोलन को जन-जन तक पहुँचाने का आह्वान किया。 उपवास के दौरान पर्यावरण प्रेमियों ने मांग रखी कि 20 नवंबर 2025 को लिए गए उस निर्णय को तत्काल वापस लिया जाए, जिसमें अरावली की नई परिभाषा को स्वीकार किया गया है। गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में फैली लगभग 692 किलोमीटर लंबी अरावली पर्वतमाला को महत्वपूर्ण पारिस्थितिक क्षेत्र घोषित किया जाए। मानव बस्तियों, कृषि भूमि, जल-स्रोतों और वन्यजीव संवेदनशील क्षेत्रों के आसपास खनन एवं अन्य विनाशकारी गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। वैकल्पिक निर्माण सामग्री को प्रोत्साहित कर अरावली क्षेत्र में पत्थर खनन को पूरी तरह बंद किया जाए।
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TSTripurari Sharan
Dec 22, 2025 11:20:44
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SKShivam Kumar1
Dec 22, 2025 11:19:35
Noida, Uttar Pradesh:
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