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सोनभद्र में प्रेम विवाह: क्या परिवारिक जिम्मेदारियाँ भुला दी गईं?
Lucknow, Uttar Pradesh
Arvind dubey
Sonbhdra
9415328369
यूपी के सोनभद्र जिले के विंढमगंज थाना क्षेत्र के धरती डोलवा गांव से एक ऐसा मामला सामने आया है, जो केवल एक प्रेम विवाह नहीं, बल्कि सामाजिक ढांचे और पारिवारिक ताने-बाने को झकझोर देने वाला प्रसंग बन गया है।
यहां चार बच्चों की मां ने चार बच्चों के पिता से शादी कर ली। दोनों पूर्व में विवाहित थे और अब अपने पहले संबंधों से अलग हो चुके हैं। प्रेम के चलते दोनों ने साथ जीने का फैसला किया, लेकिन इस फैसले ने गांव में बवाल खड़ा कर दिया।
जिसके बाद पंचायत ने सामाजिक बहिष्कार कर दिया
गांव की पंचायत ने इस विवाह को 'परिवार और समाज के विरुद्ध' मानते हुए दोनों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है। उनका मानना है कि इससे गांव की युवा पीढ़ी पर गलत असर पड़ेगा और पारिवारिक मर्यादाओं को ठेस पहुंचेगी।
समाज में एक बड़ी चिंता यह है कि अगर ऐसे रिश्तों को बिना सामाजिक या नैतिक जवाबदेही के स्वीकार कर लिया गया, तो आने वाली पीढ़ी पारिवारिक ज़िम्मेदारियों और मूल्यों से भटक सकती है। विशेषकर जब दोनों के अपने-अपने बच्चे भी हों, तो यह सवाल और गहरा हो जाता है:
हर कोई यह कह रहा क्या ये बच्चे एक नई संयुक्त परिवार व्यवस्था में सहजता से ढल पाएंगे?
क्या दोनों पक्षों के बच्चे एक-दूसरे को स्वीकार करेंगे या इससे घर में तनाव बढ़ेगा?
क्या इन बच्चों की मानसिक और भावनात्मक स्थिति स्थिर रह पाएगी?
बच्चों का भविष्य सबसे बड़ा प्रश्न
शादीशुदा ज़िंदगी टूटने का सबसे गहरा असर अक्सर बच्चों पर पड़ता है। इस मामले में भी आठ बच्चों के भविष्य को लेकर गहरी चिंता जताई जा रही है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि माता-पिता का अलग होना और फिर नए रिश्ते में जाना बच्चों के मन पर अस्थिरता, असुरक्षा और पहचान की उलझनें पैदा कर सकता है।
यहां यह बात भी आती है कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता बनाम सामाजिक ज़िम्मेदारी
बेशक, दो बालिग व्यक्ति कानूनन अपनी मर्ज़ी से विवाह कर सकते हैं। लेकिन क्या यह निर्णय समाज, परिवार और खासकर बच्चों की ज़िंदगी पर पड़ने वाले प्रभावों से ऊपर रखा जा सकता है?
यह सवाल केवल धरती डोलवा गांव का नहीं, बल्कि पूरे समाज का है — कि हम किस तरह के व्यक्तिगत निर्णयों को सामाजिक रूप से स्वीकार करें और कहां एक सीमा खींची जाए।
Vo: धरती डोलवा की यह घटना केवल प्रेम विवाह नहीं है, यह समाज के सामने खड़े उस संकट का प्रतीक है जहां व्यक्तिगत इच्छाएं और सामाजिक ज़िम्मेदारियाँ आमने-सामने हैं।
इस विवाह ने जहां व्यक्तिगत स्वतंत्रता की मिसाल पेश की है, वहीं समाज को यह सोचने पर भी मजबूर कर दिया है कि रिश्तों में स्वतंत्रता के साथ ज़िम्मेदारी भी उतनी ही ज़रूरी है। विशेषकर तब, जब बच्चों के भविष्य की बात हो।
सोनभद्र जिले के विंढमगंज थाना क्षेत्र के धरती डोलवा गांव में सामने आया एक प्रेम विवाह समाज के लिए न सिर्फ चर्चा का विषय बन गया है, बल्कि चिंता और सोच का कारण भी।
यहां चार बच्चों की मां ने चार बच्चों के पिता से विवाह कर लिया। दोनों पहले से ही अपने-अपने वैवाहिक संबंधों से अलग हो चुके थे। लेकिन उनके इस नए रिश्ते ने सामाजिक ताने-बाने को झकझोर दिया है।
Vo: दो परिवार, आठ बच्चे और एक फैसला: प्रेम विवाह पर बवाल, समाज में चिंता की लकीरें
गांव की पंचायत ने इसे सामाजिक मर्यादाओं के विरुद्ध मानते हुए दोनों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है। पंचायत का कहना है कि यह कदम न केवल समाज में गलत उदाहरण पेश करता है, बल्कि पारिवारिक मूल्यों और बच्चों की मानसिक स्थिति पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है।
इस घटना में सबसे बड़ी चिंता उन आठ मासूम बच्चों की है, जिनकी जिंदगी अचानक एक नए और असामान्य पारिवारिक ढांचे में ढलने जा रही है।
क्या ये बच्चे इस परिवर्तन को सहजता से स्वीकार कर पाएंगे?
क्या उन्हें वह भावनात्मक स्थिरता मिल पाएगी जिसकी उन्हें ज़रूरत है?
वर्तमान समय में जहां रिश्तों की परिभाषाएं तेजी से बदल रही हैं, वहीं ग्रामीण समाज अब भी परंपरा, ज़िम्मेदारी और सामूहिक सोच को प्राथमिकता देता है। ऐसे में जब कोई फैसला समाज की जड़ पर सवाल उठाता है, तो भावनाएं आहत होती हैं।
लोगों को डर है कि इस तरह के रिश्ते अगर सामान्य मान लिए गए, तो पारिवारिक व्यवस्था की नींव कमजोर हो सकती है।
इस घटना में प्रेम की अपनी जगह हो सकती है, लेकिन क्या इस विवाह का फैसला केवल भावना से प्रेरित है या पारिवारिक जिम्मेदारियों से पलायन का एक रास्ता भी है?
क्योंकि यहां दोनों ने अपने-अपने बच्चों, जीवनसाथियों और रिश्तेदारों को पीछे छोड़कर एक नया जीवन चुना है। यह निर्णय केवल निजी नहीं है — यह सामाजिक असर छोड़ने वाला कदम है।
कानून के अनुसार, दो बालिग अपनी मर्जी से विवाह कर सकते हैं। लेकिन समाज केवल कानून से नहीं चलता, वह परंपराओं, भावनाओं और सामूहिक जिम्मेदारी से भी जुड़ा होता है।
इस घटना ने गांव की शांति और विश्वास की नींव को झकझोर दिया है। खासकर बच्चों की मानसिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति पर नज़र रखे।
धरती डोलवा गांव की यह प्रेम कहानी एक नई शुरुआत है, लेकिन सवाल यह है — किस कीमत पर?
क्या प्रेम की आज़ादी सामाजिक संतुलन और पारिवारिक ज़िम्मेदारी से ऊपर है?
या फिर हमें ऐसे फैसलों के बीच में से एक ऐसा रास्ता निकालना होगा, जिसमें इंसानियत, परंपरा और बच्चों का भविष्य तीनों सुरक्षित रह सकें।
यह खबर केवल एक विवाह की नहीं, हमारे सामाजिक मनोविज्ञान की परीक्षा है।
Vo: वहीं पंचायत की अध्यक्षता कर रहें बनारसी पासवान ने इस संबंध में बताया कि शादी करने वाला चार बच्चों का पिता संजय ने समाज के साथ छल किया है जिस वजह से उसका बहिष्कार हम सब करते हैं।
Byte - बनारसी पासवान
पंचायत में मौजूद शादी करने वाले संजय पासवान के भाई अरुण पासवान ने कहा कि हमारे भाई द्वारा समाज के प्रति जो गलती की गई है उसे लेकर हम लोग समाज मिल कर खुद को उनसे अलग कर लिए हैं उसके साथ आगे कोई सामाजिक वास्ता नहीं रखना चाहते क्यों कि उसने खुद के साथ दूसरे का घर भी उजाड़ दिया है। उसके घर किसी प्रकार से खान - पान या संबंध हमारा समाज नहीं रखेगा।
Byte - अरुण पासवान शादी करने वाले व्यक्ति का भाई।
पंचायत में मौजूद समाज के राधेश्याम पासवान ने कहा कि इस व्यक्ति ने जो कृत्य किया जिसमें की उसके भी चार बच्चे हैं तो उस महिला के भी चार बच्चे हैं ऐसी हालत में भी इन लोगों ने भाग कर दूसरा घर बसाया इसी वजह से हम लोग सामाजिक रूप से बहिष्कृत हो रहें। अब से उसके साथ हमारे समाज के लोगों का नेह निमंत्रण समेत हर प्रकार का संबंध समाप्त किया जाएगा।
Byte - राधेश्याम पासवान
राकेश कुमार ने पंचायत को लेकर बताया कि इस पंचायत में समाज से जुड़े आस - पास के कई गांव समेत झारखंड से भी लोग उपस्थित हुए हैं । गांव के एक व्यक्ति ने जो चार बच्चे के पिता हैं उनके बच्चे भी बड़े हो गए हैं उनकी बेटी शादी करने योग्य है वहीं एक महिला उनके भी चार बच्चे हैं दोनों बच्चों की कोई परवाह किए बगैर साथ जीवन बसाने को तैयार हो गई जिस बात से आहत होकर समाज के लोगों ने उनसे हर प्रकार से अलग होने का निर्णय लिया ताकि इसका दुष्प्रभाव आने वाली पीढ़ी पर न पड़े।
Byte - राकेश कुमार
पंचायत में मौजूद दीपक कुमार गुप्ता ने बताया कि गांव में एक व्यक्ति द्वारा गलत कर्म किया गया जिसके बाद सभी बिरादरी के लोग एकत्रित होकर खुद को उनसे अलग करने का निर्णय लिया ताकि उन्हें अपने किए का अनुभव हो सके।
Byte- दीपक कुमार गुप्ता
नन्हकू लाल पासवान ने बताया कि हम लोग इस पंचायत में बैठक कर यह निर्णय लिए कि जो लड़का है उसके चार बच्चे हैं और जो लड़की भागी है उसके भी चार बच्चे हैं बावजूद उन लोगों ने शादी की जिसे लेकर समाज उनसे पूरी तहर अलग हो गया यहां पंचायत में 500 से अधिक लोग मौजूद हैं जो विभिन्न क्षेत्रों से आए हैं सबने यही निर्णय लिया।
Vo: पंचायत के दौरान धरती डोलवा के ग्राम प्रधान सुरेंद्र पासवान ने बताया कि गांव के शिव मंदिर स्थल पर एक महा पंचायत का आवाहन किया गया। जिस महा पंचायत में स्थानीय गांव के अतिरिक्त कई अन्य गांव से व झारखंड के गढ़वा जिला से भी लोग एकत्रित हुए इस महा पंचायत में विभिन्न बिरादरी के लोग उपस्थित हुए। कुछ सप्ताह पहले धरती डोलवा से संजय पासवान ने बगल गांव की महिला को सहमति से लेकर भाग जाते हैं और एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं जिसमें दिखाया गया कि एक मंदिर में दोनों सिंदूर की रस्म निभाते हैं जिसके बाद दोनों एक दूसरे को पति - पत्नी के रूप में स्वीकार कर रहे हैं। संजय पासवान द्वारा इस तरह की तीसरी शादी होने की बात भी प्रधान द्वारा बताई गई । इसके पहले उनकी पहली शादी जहां हुई वहां लड़के के रंग भेद की वजह से उसे छोड़ दिया था फिर दूसरी पत्नी को खुद की पसन्द से शादी करके लाया था जिसके साथ रह भी रहे थे जिनसे चार बच्चे भी हुए एक बेटा और तीन बेटी। दो बेटियां लगभग 16 से 18 वर्ष के बीच हैं और दो बच्चे अभी छोटे हैं। वहीं जो महिला इसके साथ गई है उसके भी दो बेटे और दो बेटियां हैं। जिसे लेकर यहां पंचायत में बैठक बुलाई गई और चर्चा हुई कि यह कृत्य वैधानिक रूप से सही हो सकता है किंतु सामाजिक रूप से कितना सही है जो महिला इसके साथ गई है इसके पहले पति इस घटना के बाद काफी नीरस और डरे हुए हैं बच्चे भी विलख रहें। जिसके बाद समाज में यह निर्णय किया गया कि इनके इस कृत्य के बाद हम सब इनके खुद को अलग करते हैं
Byte - सुरेंद्र पासवान ( धरती डोलवा के ग्राम प्रधान)
नोट: बाइट के दौरान महिला का नाम है अगर जरूरी न हो तो कृपया चेक कर कट कर दें
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