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छिंदवाड़ा का ऐतिहासिक कब्रिस्तान: 193 साल पुरानी धरोहर की कहानी!
Betul, Madhya Pradesh
नोट -वेब के लिए भी उपयोग कर सकते हैं
छिंदवाड़ा- समय भले ही आगे बढ़ गया हो, लेकिन इतिहास की कुछ निशानियां आज भी अपने अस्तित्व की गवाही देती हैं। छिंदवाड़ा में ऐसा ही एक बेहद खास और ऐतिहासिक क्रिश्चियन कब्रिस्तान मौजूद है, जो अंग्रेजों के शासन काल का गवाह रहा है। बताया जाता है कि यह कब्रिस्तान करीब 193 साल पुराना है और अंग्रेजी हुकूमत के दौर में यहां अफसरों को दफनाया जाता था।
यह ऐतिहासिक कब्रिस्तान छिंदवाड़ा कलेक्टर कार्यालय के सामने स्थित है, जहां आज भी अंग्रेज अधिकारियों की 70 से ज्यादा कब्रें मौजूद हैं। इनमें से कई कब्रें 19वीं सदी की हैं, जिनमें 1885 की सबसे पुरानी कब्र भी शामिल है।
इटली से मंगवाया गया था खास मार्बल
कब्रों के निर्माण में जिस मार्बल का उपयोग किया गया है, वह साधारण नहीं बल्कि इटली से मंगवाया गया स्टैटुअरियो मार्बल है, जिसे 'मूसा मार्बल' के नाम से भी जाना जाता था। यह दुनिया के सबसे बेहतरीन और सफेद मार्बल्स में गिना जाता है। केयरटेकर डेनिश टाइटस और राजू टाइटस बताते हैं कि इन कब्रों पर लगी मार्बल की चमक आज भी बरकरार है, जबकि इन पर आज तक कोई पॉलिश तक नहीं की गई है।
नाम, पद और तारीखें खुद में समेटे हैं इतिहास
कब्रों पर अंग्रेज अधिकारियों के नाम, उनकी जन्मतिथि और मृत्यु की तिथियां दर्ज हैं, जो उस दौर की प्रशासनिक संरचना और व्यक्तित्वों की जानकारी देती हैं। इनमें से कई कब्रें तत्कालीन कलेक्टर, जज और अन्य उच्च पदों पर रहे अफसरों की हैं। बताया जाता है कि जब नागपुर मध्य भारत की राजधानी हुआ करता था, तब छिंदवाड़ा का यह इलाका ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन था और यहीं पर कई अंग्रेज अफसरों की मौत के बाद उन्हें इस कब्रिस्तान में दफनाया गया था।
कभी शांति का प्रतीक,अब उपेक्षा का शिकार
यह ऐतिहासिक धरोहर आज चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया की देखरेख में है, लेकिन देखरेख के बावजूद कुछ कब्रों पर छेड़छाड़ और नुकसान के निशान भी देखे गए हैं। सामाजिक तत्वों द्वारा कब्रों की जानकारी वाले हिस्सों को नुकसान पहुंचाया गया है, जिससे इतिहास के कुछ दस्तावेज मिटने की कगार पर हैं।
जरूरत है संरक्षण की
इतिहास प्रेमियों और स्थानीय लोगों का मानना है कि यह कब्रिस्तान न केवल छिंदवाड़ा का, बल्कि पूरे भारत का एक अनमोल धरोहर है, जिसे सहेजने और संरक्षित करने की सख्त जरूरत है। यदि इस स्थल को हेरिटेज साइट का दर्जा देकर उचित देखरेख की जाए, तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए इतिहास का जीवंत पाठ बन सकता है।
बाइट -1- राजू टाईटस,सदस्य चर्च कमेटी छिंदवाड़ा
बाइट -2- डेनिश टाईटस,सदस्य चर्च कमेटी छिंदवाड़ा
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