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सुप्रीम कोर्ट के रोक के बाद अरावली संरक्षण संघर्ष में राहत
NSNAVEEN SHARMA
Dec 30, 2025 13:13:28
Bhiwani, Haryana
बाइट : अरावली संरक्षण संघर्ष समिति सदस्य डा. लोकेश भिवानी。
भिवानी
-अरावली संरक्षण संघर्ष को बड़ी राहत
-सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर के आदेश पर लगाई रोक
-भिवानी में पर्यावरण प्रेमियों ने मिठाई बांटकर जताई खुशी
-यह संघर्ष केवल एक पर्वतमाला का नहीं, बल्कि जल, हवा, जैव-विविधता और आने वाली पीढिय़ों के अस्तित्व का प्रश्न है : पर्यावरण प्रेमी डा. लोकेश
-जब तक अरावली को स्थायी और कानूनी संरक्षण नहीं मिलता, तब तक जन-जागरूकता, संवाद और लोकतांत्रिक दबाव बनाए रखना बेहद आवश्यक : डा. लोकेश भिवानी
भिवानी,अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर चल रहे जनसंघर्ष के बीच एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया है। देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था सुप्रीम कोर्ट ने अरावली मामले में 20 नवंबर को दिए गए अपने ही फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है। यह आदेश मुख्य न्यायधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ द्वारा पारित किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जब तक प्रस्तावित हाई-पावर्ड एक्सपर्ट कमेटी का गठन नहीं हो जाता, तब तक समिति की सिफारिशों और न्यायालय के पूर्व निर्देशों पर स्थगन प्रभावी रहेगा। इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 जनवरी की तिथि निर्धारित की गई है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद भिवानी के पर्यावरण प्रेमियों में खुशी है तथा उन्होंने मंगलवार को भिवानी में मिठाई बांटकर खुशी मनाई।
गौरतलब होगा कि सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालत यह आवश्यक मानती है कि रिपोर्ट का समग्र आकलन किया जाए और उठाए गए गंभीर सवालों की गहराई से जांच हो। इसके लिए एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति गठित करने का प्रस्ताव दिया गया है। यह समिति उन क्षेत्रों की विस्तृत पहचान करेगी जिन्हें अरावली क्षेत्र से बाहर रखने का प्रस्ताव है। यह आकलन करेगी कि ऐसे किसी भी निर्णय से अरावली पर्वतमाला को पर्यावरणीय नुकसान या दीर्घकालिक खतरा तो नहीं होगा। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि अरावली जैसी प्राचीन और संवेदनशील पारिस्थितिकी को लेकर किसी भी प्रकार का निर्णय वैज्ञानिक, पर्यावरणीय और जनहित के व्यापक दृष्टिकोण से ही लिया जाना चाहिए।
इस मौके पर पर्यावरणविद् डा. लोकेश भिवानी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को जनता और पर्यावरण की बड़ी जीत बताया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय साबित करता है कि यदि जनता जागरूक हो, तथ्य आधारित संघर्ष करे और संविधान व पर्यावरण के पक्ष में आवाज उठाए, तो व्यवस्था को भी रुककर सोचना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम अरावली को बचाने की दिशा में एक ऐतिहासिक मोड़ है। डा. लोकेश भिवानी ने सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त करते हुए देशभर के नागरिकों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और जनसंगठनों से अपील की है कि वे इस आंदोलन को और अधिक मजबूत करें। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष केवल एक पर्वतमाला का नहीं, बल्कि जल, हवा, जैव-विविधता और आने वाली पीढिय़ों के अस्तित्व का प्रश्न है।
डॉ. लोकेश भिवानी ने स्पष्ट किया कि यह केवल एक अस्थायी राहत है, अंतिम जीत नहीं। उन्होंने कहा कि जब तक अरावली को स्थायी और कानूनी संरक्षण नहीं मिलता, तब तक जन-जागरूकता, संवाद और लोकतांत्रिक दबाव बनाए रखना बेहद आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में किसी भी प्रकार के खनन, भूमि उपयोग परिवर्तन या अरावली की परिभाषा से छेड़छाड़ के प्रयासों पर समाज को सतर्क रहना होगा。
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