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हरियाणा पुलिस के लिए पब्लिक डीलिंग सुधार: विज़िटर रूम और स्वागत उपाय
VRVIJAY RANA
Oct 22, 2025 04:37:47
Chandigarh, Chandigarh
चिठ्ठी में कहा कि
हरियाणा पुलिस के मेरे प्रिय एसएचओ, डीएसपी, एसीपी, एसपी, डीसीपी, सीपी, आईजी, एडीजी/रेंज,
मैं चाहता हूं कि आप ये समझें कि सरकारी दफ्तर लोगों के पैसे से बना है। ये उनकी सहायता और उनके समस्या के समाधान के लिए है।
मेरा मानना है कि पब्लिक डीलिंग एक फाइन आर्ट है। इसका संबंध आपके ऑफिस डिज़ाइन, सॉफ्ट-स्किल और प्रबंधन क्षमता से है।
सबसे पहले अपने ऑफिस के टेबल का साइज छोटा करें। अपनी और विजिटर्स की कुर्सी एक जैसी करें। अपनी कुर्सी पर तौलिए के इस्तेमाल कतई ना करें। इसका कोई तुक़ नहीं है।
अगर आपके ऑफिस में कोई कांफ्रेंस हॉल है तो विजिटर्स को वहीं बैठायें। अगर नहीं है तो अपने ऑफिस के एक बड़े साइज के कमरे को विजिटर्स रूम बनायें। वहाँ प्रेमचंद, दिनकर, रेणु जैसे साहित्यकारों की किताबें रखें। एक आदमी लगायें जो उन्हें चाय-पानी पूछे, सर्व करे। एक व्यवहार-कुशल पुलिसकर्मी लगायें जो उनसे उनके आने के प्रयोजन और समस्या के बारे में अनौपचारिक बात कर उनको कम्फर्टेबल करे।
लोगों को गेट से विजिटर्स रूम तक पहुँचने के लिए मेट्रो रेल स्टेशन के प्रोटोकॉल को अपनायें फुट स्टेप्स, साइनेज जो लोगों को सीधा विजिटर्स रूम ले जाये। डीएवी पुलिस-पब्लिक स्कूल के इक्छुक छात्रों को स्टीवर्ड की ट्रेनिंग दें। उन्हें विजिटर्स को गेट पर रिसीव करने और उन्हें विजिटर्स रूम तक पहुंचने में सहायता करने के स्वयंसेवा के काम में लगायें। परेशान लोगों को भटकना नहीं पड़ेगा, बच्चों को सॉफ्ट स्किल और संवेदनशीलता की ट्रेनिंग मिलेगी।
अगर कांफ्रेंस हॉल है तो लोगों से वहीं मिलें। जिनकी बारी हो उन्हें पास की कुर्सी पर बैठायें। जब लोग अपनी बात रख रहे हों तो मोबाइल फ़ोन दूर रखें, एक्टिवली सुनें। समस्या ठीक से फ्रेम करने में उनकी मदद करें।
जिस पुलिसकर्मी को इनका काम करना है उनको इनका मोबाइल नंबर नोट करा दें। उन्हें कहें कि वे कंप्लेनेंट से संपर्क कर लें और एक सप्ताह के अंदर तीन में से एक कार्रवाई कर दें -
एक, अगर मुकदमा बनता है तो दर्ज कर दें।
दो, शिकायत सिविल नेचर का हो थाने के कंप्यूटर से ही तो सीएम विंडो में दर्ज करा दें। हो सके तो संबंधित अधिकारी को फ़ोन भी कर दें।
तीन, अगर शिकायत झूठी हो रोज़नामचे में रपट दर्ज कर उनकी एक कॉपी चेतावनी के तौर कंप्लेनेंट को दे दें। अगर झूठी शिकायत का आदि हो तो मुक़दमा दर्ज कर कार्रवाई करें। हर हाल में बहसभाजी से बचें।
जो पुलिसकर्मी ऐसा ना करे, उनकी पेशी लें, कारण जानें। प्रेरित-प्रशिक्षित करें। अगर ढिलाई दिखे तो चेतावनी दें। और अगर पब्लिक डीलिंग की अक्ल ही नहीं है तो उन्हें थाना-चौकी से दूर कर कोई और काम दें। बढ़ई को हलवाई का काम देने में कोई बुद्धिमानी नहीं है।
याद रखें पुलिस एक बल है और सेवा भी। आप एक तार हैं जिसमें बिजली का करंट दौड़ रहा है। लोगों को आपसे कनेक्शन चाहिए, रोशनी चाहिए। झटका बेशक दें लेकिन ये उसे दें जो लोगों का खून चूसते हैं।
खुश-अख़लाक़ी है वो दौलत जो हर दिल को जीत ले,
चेहरे की मुस्कान ही तो सब से बड़ा सरमाया है।
* खुश अख़लाक़ी - अच्छा बात-व्यवहार
*सरमाया - सम्पत्ति
(Good manners are the wealth that can win every heart, the smile on the face is the biggest asset.)
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