पीलीभीत में 17 जुलाई से आतंक का पर्याय बनी बाघिन को को आखिरकार ऑपरेशन थर्ड आई के तहत डंडिया गांव से रेस्क्यू कर लिया गया है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में 80 लोग 15 वाहन व 3 ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। 11 घंटे चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद वन विभाग को सफलता मिली, और बाघिन पिंजरे में कैद हो गई। इस बाघिन ने एक दर्जन गांव की नींद उड़ा दी थी, स्कूल बंद हो गए थे। किसानों ने खेतों पर जाना छोड़ दिया था। वी/ओ01 दरअसल 17 जुलाई को बाघिन ने तीन लोगों पर हमला किया जिसमें एक महिला की मौत हो गई जबकि दो लोग घायल हो गए थे। 17 जुलाई को थाना न्यूरिया क्षेत्र के गांव सहजना में मुन्नी देवी को बुरी तरह घायल कर दिया, वह अब भी लखनऊ में एडमिट है। इसके 3 घण्टे बाद बाघिन मंडरिया गांव पहुची थी। वहां इसने पहले 17 साल के नीलेश को घयल किया फिर उसके 15 मिनट बाद इसी गांव की कृष्णा देवी 55 साल को मार डाला था। घटना को अंजाम देकर बाघिन आसपास के एक दर्जन गांवों में घूमने लगी। ग्रामीण दहशत में आ गए स्कूलों को बंद करना पड़ गया इसके बाद शासन ने बाघिन को पकड़ने की परमिशन दी। डॉक्टर नजीर व डॉक्टर दक्ष गंगवार के नेतृत्व में ऑपरेशन चलाया गया और इस ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन थर्ड आई दिया गया। आखिरकार 24 जुलाई की देर शाम इस बाघिन को दोनों डॉक्टर ने गन्ने के खेत में बेहद मुश्किल भरी स्थिति में बेहोश कर रेस्क्यू कर लिया। इसके बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। इसको देखने के लिए देर रात ग्रामीण अपनी छतों पर चढ़ गए और उन्होंने जश्न मनाया। अभी डॉक्टर बाघिन का मेडिकल परीक्षण कर रहे हैं। अभी पीटीआर में ही इसको रखा गया है शासन से निर्देश के बाद इसको जंगल छोड़ा जाएगा या कहीं और इसका पर फैसला होगा।
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