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अरावली बचाओ के नारायणपुर में ग्रामीणों का उग्र विरोध, पहाड़ों पर चढ़कर प्रदर्शन
AYAmit Yadav
Dec 22, 2025 05:19:35
Jaipur, Rajasthan
नारायणपुर(कोटपूतली)....अरावली पर्वत श्रृंखला एक बार फिर देशभर में चर्चा का विषय बन गई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरावली की पहचान के लिए 100 मीटर ऊंचाई को आधार मानने के फैसले के बाद राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली तक इस पर आक्रोश दिखने लगा है जिसके बाद तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी है। इसी कड़ी में कोटपूतली जिले के नारायणपुर क्षेत्र में अरावली की गोद में रहने वाले ग्रामीण खुलकर विरोध पर उतर आए हैं। ग्रामीणों ने अरावली की पहाड़ियों पर चढ़कर विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन की खास बात यह रही कि इसमें 8 साल के बच्चों से लेकर 60 साल तक के बुजुर्ग शामिल हुए। सभी के हाथों में ‘अरावली बचाओ’ की तख्तियां थीं और एक ही स्वर में अरावली के संरक्षण की मांग की जा रही थी। ग्रामीणों का कहना है कि नई परिभाषा से अरावली के बड़े हिस्से को पहाड़ की श्रेणी से बाहर किया जा सकता है, जिससे खनन और निर्माण गतिविधियों का रास्ता खुलने का खतरा है। ग्रामीणों ने अरावली को उत्तर भारत की जीवनरेखा बताया। उनका कहना है कि यही पर्वतमाला थार मरुस्थल की रेत, लू और धूल भरी आंधियों को आगे बढ़ने से रोकती है। अरावली भूजल रिचार्ज करने, जंगलों और वन्यजीवों को आश्रय देने के साथ-साथ करोड़ों लोगों को स्वच्छ हवा उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाती है। प्रदर्शन के दौरान मौजूद 8 वर्षीय गोलू ने कहा कि वह रोज यहां अपनी बकरियां चराने आता है। अगर अरावली नष्ट हो गई तो बच्चों के खेलने और रहने की जगह ही नहीं bचेगी। वहीं मनोज प्रजापत ने अरावली के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक महत्व पर जोर देते हुए कहा कि वे इसके निवासी हैं और इसके संरक्षण के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेंगे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की। सामाजिक कार्यकर्ता राकेश दायमा सहित अन्य ग्रामीणों ने अरावली को मां के समान बताते हुए कहा कि वे इसका एक टुकड़ा भी नष्ट नहीं होने देंगे। ग्रामीणों का दावा है कि अरावली की 80 से 90 प्रतिशत पहाड़ियां 100 मीटर से कम ऊंचाई की हैं और नई परिभाषा से उनका भविष्य खतरे में पड़ सकता है। ग्रामीणों ने ऐलान किया है कि आने वाले दिनों में आंदोलन को और तेज किया जाएगा। जल्द ही अरावली क्षेत्र से जिला कलेक्ट्रेट तक ‘अरावली बचाओ साइकिल यात्रा’ आयोजित की जाएगी। सोशल मीडिया पर भी #SaveAravalli अभियान के जरिए इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की तैयारी है। अब देखना यह होगा कि जनआक्रोश और आंदोलन के दबाव में इस फैसले पर आगे क्या रुख अपनाया जाता है।
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