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तीन महीने से यूरिन में समस्या? CKD का खतरा तेज, डॉक्टर्स की चेतावनी
APAvaj PANCHAL
Sept 25, 2025 12:49:20
Jaipur, Rajasthan
नोट - विजुअल बाइट अटैच है
एवज पांचाल
जयपुर
तीन महीने से ज्यादा यूरिन में दिक्कत? हो सकता है क्रोनिक किडनी डिजीज का खतरा।
एसएमएस सुपर स्पेशियलिटी में यूरोलॉजी अवेयरनेस प्रोग्राम आयोजित।
हर 10 में से एक व्यक्ति किडनी रोगी, एसएमएस डॉक्टर्स की चेतावनी। ,
विशेषज्ञों की चेतावनी : यूरिन में तीन माह से अधिक परेशानी को न करें नजरअंदाज
यूरिन में जलन, रुकावट, ब्लड दिखे तो न करें नजरअंदाज – तुरंत करवाएं जांच।
अधीक्षक डॉ विनय मल्होत्रा बोले- किडनी की बीमारियों में तेजी- शुगर, हाई बीपी और स्ट्रेस जिम्मेदार।
जंक फूड और स्मोकिंग से बढ़ रहे हैं किडनी और प्रोस्टेट कैंसर के केस।
कम पानी पीने और खराब लाइफस्टाइल से यूरिन इंफेक्शन और पथरी का खतरा बढ़ा।
यूरोलॉजी डिपार्टमेंट ने SSB में काउंसलिंग रूम शुरू करने का दिया प्रस्ताव।
जनता को सलाह: रेगुलर करवाएं ब्लड और यूरिन टेस्ट, समय पर पकड़े जाएंगे लक्षण।
डॉ. शिवम प्रियदर्शी बोले – समय रहते जांच जरूरी, वरना बीमारी हो जाती है क्रोनिक।
एंकर
राजस्थान में यूरोलॉजी से जुड़ी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। एसएमएस मेडिकल कॉलेज से अटैच सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि किसी व्यक्ति को तीन माह या उससे अधिक समय तक यूरिन में लगातार जलन, बार-बार पेशाब आना, ब्लड आना या अन्य परेशानी हो रही है, तो यह क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) का संकेत हो सकता है।
यूरोलॉजी अवेयरनेस सप्ताह के तहत आज एसएमएस मेडिकल कॉलेज परिसर में एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम में यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर्स ने भाग लिया। इसमें अधीक्षक डॉ. विनय मल्होत्रा, यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. शिवम प्रियदर्शी, डॉ. नीरज अग्रवाल, डॉ. सोमेन्द्र बंसल और डॉ. धनंजय अग्रवाल ने भाग लिया।
डॉ. विनय मल्होत्रा ने बताया कि पेशाब से जुड़ी हल्की-फुल्की समस्याओं को लोग नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यदि ये तीन महीने से ज्यादा समय तक बनी रहती हैं, तो यह किडनी की क्रोनिक बीमारी बन जाती है। इस अवस्था में बीमारी को पूरी तरह खत्म करना मुश्किल हो जाता है, लेकिन समय पर इलाज से उसकी प्रगति को रोका जा सकता है।
डॉ. शिवम प्रियदर्शी ने बताया कि हॉस्पिटल में एडवांस जांच सुविधाएं उपलब्ध हैं, फिर भी लोगों को नियमित रूप से साधारण ब्लड और यूरिन टेस्ट करवाने चाहिए। इससे रोगों का शुरुआती चरण में ही पता लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि यूरोलॉजी विभाग ने एक काउंसलिंग रूम शुरू करने का प्रस्ताव दिया है, जहां मरीज और परिजन इन बीमारियों की जानकारी ले सकेंगे।
विशेषज्ञों ने बताया कि डायबिटीज, हाई बीपी, तनाव, स्मोकिंग, जंक फूड और कम पानी पीने की आदतें किडनी की समस्याओं को बढ़ावा दे रही हैं। यही कारण है कि हर 10 में से एक व्यक्ति अब किडनी से जुड़ी बीमारी से प्रभावित हो रहा है।
बाइट-डॉ. विनय मल्होत्रा, अधीक्षक SSB, SMS
बाइट- डॉ. शिवम प्रियदर्शी, यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष
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