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सात साल की मिष्टी का भगवान केदार से भावुक पत्र, डाकिया ने किया अद्भुत काम!
HNHARENDRA NEGI
FollowJul 09, 2025 07:43:56
Rudraprayag, Uttarakhand
भोले कितने भोले है। एक पोस्टकार्ड के माध्यम से मिस्टी की सुनी
डाकिया ने 16 किमी पैदल चलकर सात साल की मिष्टी का पत्र बाबा केदार तक पहुंचाया
रुद्रप्रयाग.गौरीकुंड हाईवे पर केदारनाथ के यात्रा के मुख्य पड़ाव मुनकटिया में सात वर्षीय बच्ची मिष्टी के दादा बहुत बीमार थे। चिकित्सकों ने भी जब आखिरी उम्मीद बाबा केदार पर छोड़ दी, तो मिष्टी ने भगवान केदारनाथ को अपने दादा को जल्द स्वस्थ करने के लिए पत्र लिख दिया।
डाकिया डाक लाया खुशी का पयाम लाया, डाक विभाग में डाकिया की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होती है और वह किसी के दुख.सुख के पत्रों को कैसे उनके सगे.संबंधियों तक पहुंचाता हैए इस संदेश को आमजन तक पहुंचाने के लिए डाक विभाग ने एक डाक्यूमेंट्री बनाई हैए जो सोशल मीडिया पर खूब पसंद की जा रही है।
ैभक्ति के साथ जिम्मेदारी के साथ एक डाकिया की भूमिका को डाक विभाग ने बखूबी बताया है। कहानीए रुद्रप्रयाग.गौरीकुंड हाईवे पर केदारनाथ के यात्रा के मुख्य पड़ाव मुनकटिया की हैए जहां सात वर्षीय बच्ची मिष्टी के दादा जी बहुत बीमार होते हैं। चिकित्सक भी जब आखिरी उम्मीद बाबा केदार पर छोड़ देते हैंए तब स्वयं मिष्टी भगवान केदारनाथ को अपने दादा को जल्द स्वस्थ करने के लिए पत्र लिखने का निर्णय लेती है।
वह घर में रखे एक पोस्टकार्ड पर भगवान भोलेनाथ को पत्र लिखती हैए कि भगवान डाक्टरों ने भी उम्मीद छोड़ दी हैए अब आप ही मेरे दादा जी को स्वस्थ कीजिये। यह पत्र वह अपने गांव में लगी डाक विभाग की पत्रपेटी में डाल देती है। दूसरे दिन ही यह पत्र गौरीकुंड स्थित डाकघर में पहुंचता हैए जहां पोस्टमास्टर.पोस्टमैन गणेश गोस्वामी पत्रपेटी से सभी डाक निकालते हैं और वितरण के लिए छांटते हैं। तभी उनकी नजर एक पोस्टकार्ड पर पड़ती हैए जो एक बच्ची ने भोलेनाथ केदार बाबा के लिए लिखा था।
पोस्टकार्ड को पढ़कर भावुक हुआ डाकिया
वह पोस्टकार्ड को पढ़कर भावुक हो जाते हैं और बच्ची की प्रार्थना को सर्वोपरि मानते हुए केदारनाथ के लिए रवाना हो जाते हैं। 16 किमी पैदल दूरी तय कर डाकिया केदारनाथ पहुंचते हैं और सीधे मंदिर परिसर में भगवान केदारनाथ के सेवक नंदी महाराज के चरणों में बच्ची के लिखे पोस्टकार्ड को रखकर स्वयं भी उसके दादू के ठीक होने की प्रार्थना करते हैं। इसके बाद वह धाम से लौट आते हैं।
इधर कुछ दिन बाद मिष्टी के घर एक पत्र आयाए जिसमें लिखा था कि तुम्हारे दादू जल्द ठीक हो जाएंगे। तुम खुद का भी ध्यान रखना ण्ण् तुम्हारे भोलेनाथ जी। कुछ समय बाद मिष्टी के दादा स्वस्थ हो जाते हैं और वह अब अपने दादा के साथ खूब खेल रही है।
गौरीकुंड डाकघर के पोस्टमास्टर.पोस्टमैन गणेश गोस्वामी बताते हैं सितंबर 2024 में यह लघु फिल्म भारतीय डाक विभाग के दिल्ली कार्यालय से बनाई गई थी। इसमें लघु फिल्म का मुख्य उद्देश्य आस्थाए भक्ति के साथ डाक विभाग की जिम्मेदारी को बताया गया था। वह स्वयं दुर्गम क्षेत्र में निवास करते हैंए तो समझते हैं कि किसी के लिए डाकघर में आने वाला पत्र कितने मायने रखता है।
भोलेनाथ के नाम एक पोस्टकार्ड
मेरे दादू बहुत बीमार थे।
तभी डॉक्टर अंकल बोले दृ ष्अब सिर्फ भोलेनाथ ही कुछ कर सकते हैं।ष् यह सुनकर सबकी आँखों में आँसू आ गएए
पर मुझे एक आइडिया आया!
मैं धीरे से उठी, टेबल के पास गई।
बस्ते से निकाला एक पोस्टकार्ड और मेरी कलम।
मैंने भोले बाबा को लिखा प्लीज़, मेरे दादू को ठीक कर दो।श् पोस्टकार्ड पर पता लिखा दृ भोलेनाथ जीए केदारनाथ मंदिर और डाल दिया लाल लेटर बॉक्स मेंए दिल से द्यरोज़ की तरह मैं चिट्ठियाँ छांट रहा था कृ तभी एक पोस्टकार्ड दिखा। भेजने वाली थी मिष्टी कृ एक छोटी सी बच्ची। पोस्टकार्ड में लिखी थी उसकी प्रार्थनाए
और मेरे मन में चल रहा था द्वंद्व।
पर मैं डाकिया हूँ कृ संदेश पहुँचाना मेरा कर्तव्य है।
तो मैं निकल पड़ा बाबा केदार के घर। रास्ता लंबा थाए
पर दिल कह रहा था कृ पहुँचना ज़रूरी है। मंदिर जाकर मिष्टी का पोस्टकार्ड नंदी जी के पास रखा।
हाथ जोड़कर बस इतना कहा कृ श्भोलेनाथए ये मिष्टी की अरज़ है।श्
कुछ दिन बाद एक जवाब आया मिष्टीए तुम्हारे दादू जल्दी ठीक हो जाएंगे।खुद का भी ध्यान रखना दृ तुम्हारे भोलेनाथ जी। भोलेनाथ जी ने मेरी प्रार्थना सुन लीए मेरे दादू ठीक हो गए।अब दादू हँसते भी हैं और मेरे साथ खेलते भी हैं। प्रार्थना को विश्वास से जोड़करए मैंने अपना फर्ज निभाया।
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