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Chittorgarh312001

बिरला सीमेंट की मुनाफाखोरी ने चित्तौड़गढ़ की संस्कृति को किया बर्बाद!

ASABHISHEK SHARMA1
Jul 08, 2025 09:35:14
Chittorgarh, Rajasthan
#चित्तौड़गढ़ - एंकर - चित्तौड़गढ़ में उद्योग के नाम पर अंधाधुंध मुनाफाखोरी, और उसके सामने दम तोड़ता जनजीवन, खेत-खलिहान और देवस्थल, लोकसभा की याचिका समिति खुद जमीनी सच्चाई परखने पहुंची तो सामने आए ऐसे खुलासे, जिन्होंने बिरला सीमेंट वर्क्स के 'विकास' के नकाब को चीर कर रख दिया, न मंदिर सुरक्षित, न नाले बचे, न ही किसानों की जमीन, अब सवाल है — क्या संसद की यह जांच टीम सिर्फ दौरा करेगी या चित्तौड़ की आत्मा बचाने का कोई फैसला भी निकलेगा? Zee Rajasthan के साथ देखिए ये ग्राउंड रिपोर्ट, विओ - 1 चित्तौड़गढ़ के जाई, सुरजना और नगरी जैसे गांवों में जिस तरीके से बिरला सीमेंट वर्क्स ने खनन किया है, उसने सिर्फ जमीन नहीं छीनी, बल्कि लोगों की आस्था, जीवन और भविष्य को भी रौंद डाला। जिन शर्तों पर खनन की अनुमति दी गई थी — जैसे कि देवस्थान, आबादी, नाले, वन भूमि और सार्वजनिक रास्तों से कम से कम 50 मीटर की दूरी बनाए रखना — उन्हें कंपनी ने सरेआम लांघ दिया। बिरला सीमेंट ने ऐसा कोई कानून नहीं छोड़ा जिसे तोड़ा न हो, ऐसा कोई सामाजिक संतुलन नहीं छोड़ा जिसे बिगाड़ा न हो। लोकसभा की याचिका समिति जब खुद मौके पर पहुंची, तो ग्रामीणों की पीड़ा, दशकों की अनदेखी चीख बनकर सामने आई। सुरजना गांव में आदिवासी समाज के पवित्र देवस्थल की जमीन तक को खुदाई से नहीं बख्शा गया, जबकि वह राजस्व रिकॉर्ड में आज भी देवस्थान दर्ज है। चारागाह की ज़मीनों को समतल कर डंपिंग ग्राउंड बना दिया गया, मवेशियों के लिए चारे की जगह तक नहीं छोड़ी। ग्रामीणों का आरोप है कि बिरला सीमेंट एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत खनन की आड़ में धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक मूल्यों को कुचल रही है। बाइट - कान सिंह राठौड़ .............. ग्रामीण विओ - 2 सांसद सीपी जोशी जो खुद याचिका समिति के अध्यक्ष हैं, उन्होंने माना कि यदि किसी गरीब या किसान का हक छीना गया है, तो अब कार्रवाई टाली नहीं जाएगी। उन्होंने गांवों में जाकर न सिर्फ जनसुनवाई की, बल्कि उन खनन क्षेत्रों का निरीक्षण भी किया, जहां ग्रामीणों ने बिरला सीमेंट पर अवैध कब्जों, ज़बरन भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण दोहन के गंभीर आरोप लगाए थे। समिति में शामिल सभी 18 सांसदों ने हालात की भयावहता को महसूस किया और स्पष्ट किया कि यह कोई रूटीन विज़िट नहीं, बल्कि देश की संसद द्वारा उठाया गया ठोस हस्तक्षेप है। कल इस पूरे मामले पर विस्तृत बैठक प्रस्तावित है और उसके बाद दिल्ली में संसद स्तर की चर्चा होगी ताकि कोई निर्णायक और कड़ा फैसला सामने लाया जा सके। यह अब सिर्फ चित्तौड़ का मामला नहीं, ये उस व्यवस्था की भी परीक्षा है जो आम जनता के हितों की रक्षा का दावा करती है। बाइट - सीपी जोशी............ सांसद विओ - 3 बिरला सीमेंट वर्क्स के खनन से न सिर्फ गांव उजड़े, बल्कि चित्तौड़गढ़ का ऐतिहासिक किला भी इसकी चपेट में आ चुका है। भूपेंद्र सिंह बड़ौली ने समिति को बताया कि माइनिंग ब्लास्ट की गूंज ने किले की दीवारों को हिला दिया है, विजय स्तंभ की तीन मंजिलों में दरारें साफ देखी जा सकती हैं। ये वही विजय स्तंभ है, जो भारत की गौरवगाथा का प्रतीक है — और आज उस पर मुनाफाखोर कंपनियों का धमाका बैठा है। फतेहपुर सीकरी जैसी धरोहरों के 10 किलोमीटर के दायरे में माइनिंग प्रतिबंधित है, तो चित्तौड़गढ़ को यह संरक्षण क्यों नहीं? क्या ये विश्व धरोहर कमतर है, या यहां के लोगों का स्वाभिमान सस्ता है? समिति को ये भी बताया गया कि माइनिंग लीज के बाहर भी बिरला सीमेंट ने ज़मीन हथिया ली है, तोड़फोड़ कर निर्माण किए हैं, और जब ग्रामीण विरोध करते हैं तो उन्हें धमकाया जाता है। यह खनन नहीं — यह संस्कृति, संवैधानिकता और कानून का बलात्कार है। बाइट - भूपेंद्र सिंह बड़ौली ............. पूर्व जिला प्रमुख विओ - 4 बिरला सीमेंट के खिलाफ ग्रामीणों की आवाज अब संसद तक पहुंच गई है, सवाल अब सिर्फ न्याय का नहीं, बल्कि इस देश की नीति, नियत और निष्पक्षता का है। क्या सांसदों की यह समिति कोई ठोस अनुशंसा दे पाएगी? या फिर बिरला जैसे कॉर्पोरेट घराने अपनी पूंजी और पहुंच से एक और जनसंघर्ष को कुचल देंगे? यह फैसला आने वाले दिनों में होगा, लेकिन इतना तय है — चित्तौड़ के किसान, आदिवासी और संस्कृति अब न चुप हैं, और न ही अकेले, देश देख रहा है — क्या संसद जन की बात सुनेगी, या फिर उद्योगपतियों की? पिटीसी - अभिषेक शर्मा.......... जी मीडिया चित्तौड़गढ़
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