Become a News Creator

Your local stories, Your voice

Follow us on
Download App fromplay-storeapp-store
Advertisement
Back
Begusarai851101

नागपंचमी पर अद्भुत सांपों का मेला, जानें इस गांव की अनोखी परंपरा!

JCJitendra Chaudhary
Jul 15, 2025 15:35:40
Begusarai, Bihar
जितेन्द्र कुमार बेगूसराय एंकर देश भर मे आज नागपंचमी के दिन सापो को दूध पिलाने क़ी परंपरा है। पर देश मे एक ऐसा भी गावं है जहाँ नागपंचमी के मौके पर नदी से सैकड़ो जहरीले सांपो को निकालने का मेला लगता है। इतना ही नहीं यहाँ के लोग नदी से निकालने वालो सांपो के साथ ऐसे खेलते है जैसे वो बच्चो का खेलने वाला खिलौना हो। अद्भुत और दिलो मे सिहरन पैदा करने वाले इस नजारे को देखने नागपंचमी के मौके पर हजारों लोग दूर दूर से आते है। नागपंचमी के दिन सांपों का मेला देखने के लिए लोग दूर दराज से उस गांव में आते है।बताया जाता है क़ी यह परंपरा लगभग तीन सौ सालो से इस गावं मे चली आ रही है। हम बात कर रहे है बेगूसराय जिला के मंसूरचक प्रखंड के नवटोल गावं क़ी है। इस गावं को लोग सांपो का गावं कहते है। क्युकी यहाँ के लोग अपनी परंपरा को निभाने के लिए अपनी जान क़ी भी परवाह नहीं करते है। मंगलवार को आयोजित नागपंचमी के मौके पर कुछ ऐसा ही नजारा एक बार नवटोल गावं मे देखने को मिला जहाँ लोग अपनी परंपरा का निर्वाह करने बलान नदी मे छलांग लगाने लगे और देखते ही देखते सैकड़ो सांपो को पकड़ लिया और फिर उसे गले मे टांग कर भगबती मंदिर तक पहुंचे।इस मौके पर सैकड़ो लोग नदी के घाट पर मौजूद थे। इस मौके पर सांप पकड़ने वाले भगत ढ़ोल क़ी थाप पर नाचते गाते नदी से मंदिर तक पहुंचे। इस दौरान सांप को देखकर दूर भागने वाले लोग सांप को ऐसे गले लगा रहे थे जैसे वो उनका दोस्त या फिर खेलने वाली बस्तु हो। सांपो के लगने वाले इस मेले को देखने दूर दूर से लोग आते है। बताया जाता है क़ी बेगूसराय के मंसूरचक प्रखंड क्षेत्र के नवटोल गावं मे लगभग तीन सौ सालो से यह परंपरा चली आ रही है। इस गावं के रहने वाले रौबी दास भगवती के बड़े भक्त थे जिनके कथनी और करनी मे कोई फर्क नहीं था जिनके द्वारा इस स्थान पर नागपंचमी के मौके पर सबसे पहले इस परंपरा क़ी शुरुआत क़ी गई थी । तब से लेकर आज तक उनके बंशज और ग्रामीण पूरी भावना के साथ इस परंपरा का निर्वाह कर रहे है। स्थानीय लोग बताते है क़ी इस भक्ति मे एकता का भाव सनातन विधियों का संस्कार और समरसता क़ी भावना को तालाशा जाता है। लोग बताते है क़ी यह भूमि शांति सद्भावना और सद्भाक्ति क़ी भूमि रही है।इस लिए इस स्थान का बहुत महत्व है। ग्रामीण बताते है क़ी अंग्रेज के जमाने मे जब यहाँ ताजिया का जुलुस निकलता था तब यहाँ स्वयं बाबा ब्रह्म हुंकार भरा करते थे।जो कई बार प्रमाणित हुआ। नागपंचमी पर सांपो के मेला के संबंध मे ग्रामीण बताते है क़ी इसके पीछे क़ी भावना यह है क़ी हमारी मानवीय समवेंदनाओ मे सभी प्राणियों का सभभाव है। सांप प्रकृतक मीथेन गैस का अवशोषण करता है जिसकी महत्ता को जानते हुए आज क़ी ही तारीख मे सनातन धर्मियों ने सर्प का पूजा शुरू किया था।यहीं वजह है क़ी भगवान शिव, माता भगवती सहित सनातन धार्मियों के साथ तंत्र मंत्र साधक के हाथो मे सर्प का पूजन किया जाता है। बाइट - रघुबंश चौधरी - ग्रामीण
2
Report

हमें फेसबुक पर लाइक करें, ट्विटर पर फॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब्ड करें ताकि आप ताजा खबरें और लाइव अपडेट्स प्राप्त कर सकें| और यदि आप विस्तार से पढ़ना चाहते हैं तो https://pinewz.com/hindi से जुड़े और पाए अपने इलाके की हर छोटी सी छोटी खबर|

Advertisement
Advertisement
Back to top