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राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों के लिए बीजेपी ने तेज़ कवायद शुरू कर दी
VSVishnu Sharma
Oct 27, 2025 06:58:43
Jaipur, Rajasthan
राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर एक बार फिर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी लम्बे से समय चला आ रहा इंतजार जल्द खत्म होने की संभावना है। प्रदेश बीजेपी में 100 से ज्यादा बोर्ड निगमों में होने वाली इन नियुक्तियों के लिए कवायद चल रही है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ के बीच कई बार इन नियुक्तियों को लेकर चर्चा हो चुकी है। बताया जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव और पंचायत-निकाय चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्तियों का तोहफा मिल सकता है। पार्टी सूत्रों में कयास लगाए जा रहे हैं कि राजनीतिक नियुक्तियों में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के खेमे के नेताओं को तरजीह मिल सकती है, वहीं कांग्रेस से बीजेपी में आए नेताओं को भी स्थान मिल सकता है।
बीजेपी को सत्ता में आए लगभग दो साल पूरे होने जा रहे हैं। पार्टी को सत्ता में लाने के लिए संघर्ष करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं में राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर इंतजार है। पार्टी को सत्ता में लाने के लिए उन्होंने आंदोलन के दौरान लाठियां खाई, संघर्ष किया। इसके बाद भी लगातार पार्टी के अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभ रहे हैं। ऐसे कार्यकर्ताओं को अब बोर्ड निगमों में नियुक्तियों का इंतजार है। राजस्थान में बोर्ड निगमों में करीब दस हजार कार्यकर्ताओं को एडजस्ट किया जा सकता है। इसके लिए पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ताओं के साथ ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए प्रमुख नेता भी नियुक्तियों की दौड़ में शामिल हैं।
सूत्रों का कहना है कि बीजेपी पार्टी में संगठन स्तर पर इन राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर तैयारियां हो चुकी है। प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से बातचीत भी हो चुकी है। बीजेपी के एक प्रदेश प्रभारी ने कहा कि राजनीतिक नियुक्तियां तो करनी ही है, कार्यकर्ताओं का मनोबल बना रहे, इसके लिए यह जरूरी है। राजनीतिक नियुक्तियों में प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री का अधिकार है। दोनों में ही इसको लेकर चर्चा हो चुकी है, लेकिन किसी न किसी कारण से नियुक्तियाें को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। सीएम भजनलाल शर्मा और प्रदेश अध्यक्ष राठौड़ दोनों को ही पता है कि किन किन कार्यकर्ताओं और नेताओं को नियुक्ति देना है। इसके लिए ज्यादा सोच विचार की आवश्यकता नहीं है। फिलहाल अंता चुनाव प्राथमिकता है, इसलिए काम नहीं हो पा रहा है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ भी 5 अक्टूबर को चित्तौड़गढ़ में संकेत दिया था कि राजनीतिक नियुक्तियों और बोर्ड गठन का कार्य जारी है। नियुक्तियां दिसंबर तक पूरी कर ली जाएंगी। इसकी प्रक्रिया सरकार और संगठनात्मक स्तर पर जारी है।
वसुंधरा खेमे के साथ ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए नेता भी दौड़ में....
राजनीतिक नियुक्तیوں के इंतजार में पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी, सतीश पूनिया, पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, पूर्व राज्यसभा सांसद नारायण पंचारिया, पूर्व महिला आयोग अध्यक्ष सुमन शर्मा, पूजा कपिल मिश्रा सहित कई अन्य नेता जो चुनाव नहीं जीत पाए लेकिन संगठन में खासे सक्रिय हैं उनके नाम चर्चाओं में हैं। इनमें
इसी तरह चुनाव कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए नेता भी राजनीतिक नियुक्तियों की दौड़ में हैं। इनमें पूर्व मंत्री लालचंद कटारिया, सुरेश मिश्रा, पूर्व विधायक आलोक, राजेंद्र यादव और महेंद्रजीत सिंह मालवीया के नाम प्रमुख हैं। दूसरी ओर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दूसरे दल से आए नेताओं को पार्टी में एडजस्ट करना बड़ी चुनौती होगी। कांग्रेस से आए नेताओं को मिली राजनीतिक नियुक्तियां बीजेपी के मूल कार्यकर्ता कितना पचा पाएंगे, यह देखने वाली बात होगी। इसका कारण यह है कि प्रदेश कार्यकारिणी की वायरल सूची में पूर्व कांग्रेस मेयर ज्योति खंडेलवाल का नाम सामने आया था जिस पर बवाल हो गया था।
इसलिए चाहते हैं नियुक्तियां ....
बोर्ड-आयोग में कई पद ऐसे हैं, जिनका दर्जा मंत्री स्तर का होता है। नियुक्तियों में जो पद सौंपे जाएगे, उनमें हर महीने 20 हजार से लेकर 1 लाख 20 हजार तक वेतन मिलेगा। भजनलाल सरकार आने के बाद प्रदेश में अब तक मात्र 9 बोर्ड-आयोगों में ही राजनीतिक नियुक्तियां हो सकी हैं। इसलिए भी नेता कार्यकर्ता इन पदों पर नियुक्तियों के लिए लॉबिंग करते हैं। गहलोत सरकार ने अपने चार साल के कार्यकाल में ही विभिन्न बोर्ड, आयोग और निगमों में करीब 15 हजार नेताओं को सियासी नियुक्तियां दे दी थीं। ऐसे में बीजेपी कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि इन पदों पर उन्हें तोहफा मिल सकता है। दर्जा प्राप्त कैबिनेट मंत्री को राजधानी जयपुर में आवास, वाहन और सुरक्षा गार्ड की सुविधा भी मिलती है। राज्य मंत्री का दर्जा वाले बोर्ड निगमों के अध्यक्षों का वेतन 62 हजार रुपए है। सत्कार भत्ता 55 हजार रुपए है। ऐसे में हर महीने करीब 1 लाख 17 हजार रुपए मिलते हैं।
नगर परिषद या निगमों में जो सदस्य और पार्षद मनोनीत किए जाते हैं, उन्हें सरकार मानदेय देती है। ये मानदेय 10 हजार और 20 हजार के बीच मिलता है। वेतनमान से ज्यादा अहमियत समाज और क्षेत्र में उनके ओहदे व प्रभाव की है। मुख्यमंत्री तय करते हैं, किसे मिलेगा मंत्री स्तर का दर्जा
नगर निकायों में मनोनयन के आदेश रद्द, अब इंतजार ....
भजनलाल सरकार ने 10 जनवरी 2024 को कांग्रेस राज में नगर निगम, नगर पालिकाओं और नगर परिषद में मनोनीत सदस्य व मनोनयन को रद्द कर दिया था। दरअसल, पूर्व कांग्रेस सरकार में प्रदेशभर में नगर निगम, नगर पालिकाओं और नगर परिषद में जनप्रतिनिधियों को मनोनीत पार्षद और समितियों का सदस्य बनाकर राजनीतिक नियुक्तियाँ दी गई थीं। राजस्थान में 309 नगर निकाय हैं। इनमें 10 नगर निगम और शेष अन्य स्थानीय निकाय (नगर परिषद और नगर पालिका) हैं। इनमें करीब 2 हजार सभासद और पार्षद मनोनीत होंगे। इससे पहले 14 अक्टूबर 2024 को 78 नगरीय निकायों में 550 मनोनीत पार्षदों के आदेश जारी किए थे। इससे बखेड़ा खड़ा हो गया था। कुछ घंटे बाद ही इन आदेशों को स्थगित कर दिया गया था। विवाद होने पर सरकार और संगठन ने राजनीतिक नियुक्तियां रोक दी थीं।
दो साल से है इंतजार ...
प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियों की अटकलें दिसंबर 2023 में भजनलाल सरकार के गठन के बाद से ही शुरू हो गई थीं। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 7 वरिष्ठ नेताओं को राजनीतिक नियुक्तियां दे दी थी। उसके बाद कुछ अन्य आयोग और बोर्ड में नियुक्तियाँ हुईं। इनमें 2 अगस्त, 2025 को पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी को राज्य वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाया गया।
प्रदेश में 104 के करीब संवैधानिक, शैक्षणिक, प्रशासनिक आयोग-बोर्ड-अथॉरिटी हैं। इनमें जन अभाव अभियोग निराकरण समिति, हाउसिंग बोर्ड व आरटीडीसी अध्यक्ष, बीस सूत्री कार्यक्रम उपाध्यक्ष, महिला आयोग की अध्यक्ष समेत अन्य महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियाँ होनी हैं। नागौर से बीजेपी के पूर्व सांसद सीआर चौधरी को राजस्थान किसान आयोग अध्यक्ष, जोधपुर से पूर्व सांसद जसवंत विश्नोई को जीव जंतु कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति दी गई। ओमप्रकाश भडाना को देवनारायण बोर्ड अध्यक्ष, पूर्व विधायक प्रेम सिंह बाजौर को राज्य स्तरीय सैनिक कल्याण सलाहकार समिति में अध्यक्ष नियुक्त किया। प्रहलाद टाक को श्रीयादे माटी कला बोर्ड अध्यक्ष बनाया। राजेंद्र नायक को राजस्थान राज्य एससी वित्त निगम अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया है। राजेंद्र एससी मोर्चा के उपाध्यक्ष हैं। रामगोपाल सुथार को विश्वकर्मा कौशल विकास बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था। इन्हें मंत्री का दर्जा नहीं मिला है।
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