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एसीबी केरल पहुंचकर 900 करोड़ जल जीवन मिशन घोटाले की फर्जीवाड़े की जांच
ACAshish Chauhan
Dec 27, 2025 13:19:18
Jaipur, Rajasthan
पानी में 900 करोड़ के भ्रष्टाचार की जांच केरल पहुंची एसीबी, सब कुछ फर्जी मिला जल जीवन मिशन घोटाले की जांच के लिए एसीबी केरल पहुंची है. आरोपियों ने केरल के एड्रेस पर ही 5 फर्जी सर्टिफिकेट बनवाए थे, जिसमें किस किस की मिलीभगत रही. इस पर अब एसीबी दस्तावेजों की जांच के साथ साथ मौके पर पहुंची है. अब ऐसे में माना जा रहा है कि जेजेएम एसआईटी बहुत जल्दी बड़ा खुलासे और बड़ी कार्रवाई कर सकती है. जेजेएम की जांच... जयपुर टू केरल- 900 करोड़ के जल जीवन मिशन की जांच के लिए एसीबी जयपुर टू केरल पहुंची, जहां एसआईटी फर्जी सर्टिफिकेट के साथ साथ आरोपियों की मिलीभगत की जांच में जुट गई. अब एसीबी पूरे मामले की तस्दीक कर रही है कि कहां कहां जाकर फर्जी प्रमाण पत्र बनाए गए. दरअसल इरकॉन कंपनी के नाम से 5 फर्जी प्रमाण पत्र बनाए गए, जो केरल के कटप्पना में मुलएपियर ड्रिंकिंग वाटर प्रोजेक्ट के थे. जिसके जरिए श्री श्याम और गणपति ट्यूबवेल फर्म ने करोड़ों के टैंडर हासिल किए. जल जीवन मिशन में दोनों फर्मों ने जयपुर 1, जयपुर 2, अलवर, अजमेर रीजन में टैंडर मिले. इरकॉन ने पूरे फर्जीवाड़े की शिकायत जलदाय विभाग को, लेकिन जांच के लिए गए एक्सईएन विशाल सक्सेना ने झूठी रिपोर्ट बना दी. ऐसे खेला फर्जीवाड़े का खेल- इरकॉन की शिकायत के बाद एक्सईएन विशाल सक्सेना को केरल भेजा. जहां दोनों ठेकेदारों के साथ मिलीभगत कर केरल के एक निजी होटल में इरकॉन का फर्जी दफ्तर क्रिएट किया. इसके बाद जियो टैगिंग के जरिए फोटो अटैच की. जिसमें इरकॉन के नाम से दो अधिकारी विजय शंकर और एमवीजी मुरलीधर शामिल हुए. इतना ही नहीं विशाल सक्सेना ने इस इस्पेक्शन में सालों पुरानी पाइप लाइन की फोटो जांच रिपोर्ट में अटैच की. ये रिपोर्ट विभाग में भेजी तो दिल्ली से जयपुर तक हलचल और बढ़ गई है, क्योंकि ना तो इरकॉन का केरल में कोई दफ्तर था, ना ये अधिकारी थे, ना ये पाइप लाइन. बल्कि इरकॉन से पिछले 30 साल में कोई काम केरल में किया ही नहीं. यानी सब कुछ फर्जी था. प्रमाण पत्र में जो नंबर दिए गए थे वो दरअसल पोस्ट ऑफिस के नंबर थे. विभाग की भी फर्जी ईमेल आईडी बनाई- आरोपियों ने ना केवल इरकॉन की फर्जी ईमेल आईडी बनाई, बल्कि जलदाय विभाग की भी फर्जी मेल आईडी बनाई. आरोपियों ने पीएचईडी जयपुर और एडिशनल चीफ इंजीनियर सेकंड जोधपुर के नाम पर फर्जी ईमेल आईडी भी क्रिएट की गई. पीएचईडी तत्कालीन जांच में इस बात का खुलासा हुआ. इरकॉन ने भी 3 बार जलदाय विभाग को मेल करके सूचित किया था. ईडी ने भी केरल पहुंचेकर जांच की तो पता चला कि ठेकेदार और एक्सईएन की लोकेशन एक जगह की ही आ रही थी. ऐसे में फर्जी प्रमाण पत्र के खेल को कूतरचित तरीके से बनाया गया.
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