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जौनपुर की मुस्लिम महिलाओं ने दीपक से कौमी एकता की मिसाल कायम की
ASAJEET SINGH
Oct 14, 2025 05:34:28
Jaunpur, Uttar Pradesh
जौनपुर में इस बार दीपावली पर जौनपुर की मिट्टी से निकली रोशनी केवल शहर ही नहीं, बल्कि अयोध्या, काशी, हरिद्वार, लखनऊ और यहां तक कि अमेरिका तक जगमगाएगी। खास बात यह है कि इन दीयों को बनाने वाले हाथ मुस्लिम महिलाओं के हैं जो न केवल कारीगरी में निपुण हैं बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल भी पेश कर रही हैं।
गांव की महिलाओं ने रचा अनोखा उदाहरण
आप को बता दे कि जिले के जलालपुर विकासखंड के महिमापुर गांव में उत्तर प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित मिल्की समूह की 11 महिलाएं दीपावली से पहले दिन-रात मेहनत कर रही हैं। इनमें सात मुस्लिम और चार हिन्दू महिलाएं शामिल हैं। गांव की ये महिलाएं शिक्षित नहीं हैं, लेकिन अपने हुनर से उन्होंने पूरे जिले का नाम रौशन कर दिया है।
समूह की अध्यक्ष जाफरून हाशमी बताती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वदेशी अपनाओ के तहत इस बार हम लोगों स्वदेशी अपनाएं हम सभी महिलाओं ने मिलकर यह काम शुरू किया। सरकार से अभी कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली है, लेकिन हमने आपस में पैसे जोड़कर दीपक बनाना शुरू किया। अब तो देश-विदेश से ऑर्डर आने लगे हैं।
बिना तेल के जलने वाला अनोखा दीपक
इन महिलाओं द्वारा तैयार किए जा रहे दीपक पूरी तरह स्वदेशी और पर्यावरण हितैषी हैं। इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये बिना तेल के भी जलते हैं। इन दीपकों को तैयार करने में 11 चरणों की प्रक्रिया अपनाई जाती है — मिट्टी से आकार देने से लेकर पेंटिंग और अंत में मोम से रोशनी भरने तक। हर दीपक लगभग डेढ़ घंटे तक लगातार जलता है।
जाफरून कहती हैं, दीपक बनाना आसान नहीं है, लेकिन जब यह तैयार होकर चमकता है तो सारी थकान दूर हो जाती है।
15 हजार दीयों का ऑर्डर, बढ़ी मांग
इस साल समूह को करीब 15 हजार दीयों का ऑर्डर मिला है। तैयार दीपक न केवल जौनपुर में बल्कि अयोध्या, काशी, हरिद्वार, मुंबई और लखनऊ के बाजारों में भेजे जा रहे हैं। कुछ ऑर्डर अमेरिका तक से आए हैं। इस काम से गांव की कई महिलाओं को रोजगार भी मिला है, जिससे परिवारों में आर्थिक सुधार दिख रहा है।
हिन्दू-मुस्लिम एकता की झलक
गांव की हिन्दू सदस्य सुनीता देवी कहती हैं, “हम सब मिलकर काम करते हैं। कोई भेदभाव नहीं है। दीपावली हो या ईद, हम एक-दूसरे की खुशी में शामिल रहते हैं।”
यह समूह सिर्फ दीपक नहीं बना रहा, बल्कि यह संदेश भी दे रहा है कि मजहब नहीं, मेहनत ही असली पहचान है।
दीपावली पर रोशनी से ज्यादा चमकेगी इंसानियत
महिमापुर की इन महिलाओं के हाथों से तैयार दीपक जब घर-घर जलेंगे, तो उनके साथ कौमी एकता, महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की रोशनी भी फैल जाएगी। इस दीपावली पर इन दीयों की चमक में न केवल मिट्टी की खुशबू होगी, बल्कि इंसानियत की असली लौ भी दिखाई देगी।
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