Delhi, Delhi:मोहर्रम के जुलूस में दिखी गंगा जमुनी तहजीब साल 1993 से लगातार निकला जा रहा ताजिया बनाकर जलूस...
लाखों की संख्या में लोग होते हैं इकट्ठा भीड़ को संभालने के लिए दिल्ली पुलिस के आला अधिकारी सहित पुलिसकर्मी और मस्जिद कमेटी के वॉलिंटियर रहते हैं मौजूद...
लोकेशन : वेस्ट दिल्ली
रिपोर्ट राजेश शर्मा
ताज़िया, मुहर्रम के महीने में हज़रत इमाम हुसैन की शहादत की याद में बनाया जाने वाला एक प्रतीकात्मक मकबरा है। यह शोक और श्रद्धांजलि का प्रतीक है, और शिया मुस्लिम समुदाय द्वारा निकाला जाता है। ताजिया बनाने की परंपरा भारत में तैमूर लंग के शासनकाल में शुरू हुई थी, कुछ स्रोतों के अनुसार। ताज़िया, अरबी शब्द "तज़ियत" से निकला है, जिसका अर्थ है "शोक मनाना" या "संवेदना व्यक्त करना"। मुहर्रम के महीने में, विशेष रूप से 10वें दिन, शिया मुस्लिम ताजिया बनाकर जुलूस निकालते हैं, जो कर्बला की लड़ाई में इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद दिलाता है।
भारत में, ताजिया बनाने की शुरुआत 14वीं शताब्दी में तैमूर लंग के शासनकाल में हुई थी, कई स्रोतों का कहना है। तैमूर, जो शिया संप्रदाय से थे, बीमारी के कारण इराक में मुहर्रम में शामिल नहीं हो सके, इसलिए उनके दरबारियों ने उन्हें खुश करने के लिए हज़रत इमाम हुसैन की कब्र की नकल बनाई, जिसे ताजिया कहा गया, जैसा कि इस परंपरा भारत के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी फैल गई। ताज़िया, हज़रत इमाम हुसैन के साहस, सच्चाई और अन्याय के खिलाफ लड़ने के संदेश का प्रतीक है। यह बलिदान, साहस और इंसानियत के लिए संघर्ष का प्रतीक है। ताज़िया, शोक और श्रद्धांजलि का प्रतीक है, और शिया मुस्लिम समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है। यह समुदाय में भाईचारे और एकता की भावना को भी बढ़ावा देता है।
वहीं वेस्ट दिल्ली के कई इलाकों में अलग अलग मस्जिदों की तरफ से मोहर्रम के मौके पर लगभग 20 से ज्यादा मस्जिदों की तरफ से आज ताजिया का जुलूस निकाला गया जिसमें लाखों की तादात में हिंदू मुस्लिम समुदाय के लोग हर साल की तरह शामिल हुए आपको बता दें कि विकासपुरी विधानसभा क्षेत्र में भी कई मस्जिदों की तरफ से यह जुलूस निकाला गया कमेटी के चेयरमैन और कार्यकर्ताओं ने बताया कि साल 1993 से विकास नगर स्थित कादरिया जिलानी मस्जिद की कमेटी कादरिया अखाड़ा की तरफ से ताजिया बनाकर जुलूस निकाला जिसमें 20 से 25 तजिए शामिल हुए और इसके बाद देर रात विकास कुंज कर्बला जोकि हिंदू बाहुल्य क्षेत्र है वहां दफनाए गए कमेटी के लोगों ने बताया कि हमारे इस जुलूस में दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों समेत पुलिसकर्मी हमारे खुद वॉलिंटियर और हिंदू भाई भी शामिल हुए एक हिंदू भाई ब्रिजेश कुमार ने बताया जोकि विकास कुंज स्थित कर्बला के पास रहते हैं ताजिया का जुलूस बड़े ही अमनो सुकून के साथ हर साल की तरह निकला गया जिसमें हम सभी हिंदू मुस्लिम भाई एक साथ इकट्ठा होकर ताजिया यहां दफन करते हैं और सबसे दिलचस्प बात यह है कि हिंदू बहुल इलाका होने के बावजूद भी यहां लाखों की तादाद में ताजिया लेकर मुस्लिम समुदाय के लोग
आते हैं जिसके बाद यहां रहने वाले किसी भी हिंदू भाई कोई तक्लीफ नहीं होती वो खुद मुस्लिम भाइयों के साथ मिलकर ताजिया कर्बला में दफन करवाते हैं , वहीं मोहर्रम के जुलूस के दौरान इलाके में निकाले गए ताजिया जूलूस में कुछ लोग मुंह से आग निकालने का करतब कर रहे थे जिससे हादसे का अंदेशा था। पुलिस ने ऐसे लोगों को इस तरह का करतब करने से रोका और भीड़ से अलग रहने की हिदायत दी इसके साथ ही कमेटी के लोगों ने दिल्ली पुलिस का शुक्रिया अदा किया ।
बाइट : मोनी खान , कमेटी सदस्य कादरिया अखाड़ा
बाइट : अनीस राणा कमेटी सदस्य
बाइट : ब्रिजेश कुमार, स्थानीय निवासी विकास कुंज कर्बला
बाइट : अफरोज अहमद , कादरिया अखाड़ा सदस्य
बाइट : उमर अली खान , सदस्य कादरिया अखाड़ा