Back
फतेहगढ़ के श्री जी अस्पताल में इलाज के नाम पर मौत, लापरवाही परिजन भड़के
ASARUN SINGH
Oct 09, 2025 12:37:57
Farrukhabad, Uttar Pradesh
स्वामी दयाल ने अपनी पत्नी मुन्नी देवी को ठीक होने के लिए अस्पताल में भर्ती किया स्वामी दाल को नहीं मालूम था की अस्पताल में ठीक नहीं मिलेगी मौत
इंफेक्शन में थोड़ा बढ़कर कर दिया ऑपरेशन धरती के भगवान बने यमराज
फतेहगढ़ से एक दिल दहला देने वाली खबर आई है, जहां इलाज के नाम पर एक और जिंदगी किस्मत और कुशासन के बीच हार गई। श्री जी हॉस्पिटल में मरीज की मौत के बाद परिजनों का गुस्सा फूटा — हंगामा, रोड जाम और पुलिस से झड़प तक पहुंची यह घटना सवाल उठा रही है कि क्या हमारे निजी नर्सिंग होम “सेवा” नहीं, “व्यवसाय” बन चुके हैं?
कोतवाली फतेहगढ़ क्षेत्र के श्री जी हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मरीज की मौत के बाद परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा। परिजनों ने शव को एम्बुलेंस में रखकर रोड जाम कर दिया। मौके पर पहुंची पुलिस से भी झड़प हुई। परिवार का आरोप है कि डॉक्टरों ने लापरवाही के साथ न सिर्फ देरी की बल्कि बिना सर्जन डॉक्टर के पेट का ऑपरेशन कर मरीज की जिंदगी से खिलवाड़ किया।
"डॉक्टर ने पहले गलत ऑपरेशन किया, फिर बोला कि अब बड़े अस्पताल ले जाओ — लेकिन तब तक सब खत्म हो चुका था
सूत्रों के मुताबिक, मरीज के पेट में ‘फोड़ा’ बताकर ऑपरेशन किया गया, जबकि वहां गंभीर इंफेक्शन था। हालत बिगड़ी तो डॉक्टरों ने खुद ही हायर सेंटर रेफर करने का दबाव बनाया। लेकिन परिजनों के मुताबिक तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के आँकड़े बताते हैं कि पिछले 3 वर्षों में 1000 से अधिक निजी नर्सिंग होम्स पर फर्जी लाइसेंस या बिना योग्य सर्जन के ऑपरेशन करने के आरोप लगे, परंतु कार्रवाई केवल 8% मामलों में ही पूरी हो सकी है।
यही नहीं, हर साल करीब 70 से 80 मरीजों की मौत गलत या अधूरी सर्जरी के कारण दर्ज की जाती है, लेकिन दोषियों पर सजा के मामले नाममात्र के हैं।
स्वास्थ्य अधिनियम के तहत बिना पंजीकृत सर्जन या अयोग्य चिकित्सक द्वारा सर्जरी करना स्पष्ट आपराधिक अपराध है, लेकिन राज्य में न तो मेडिकल एथिक्स बोर्ड की सक्रिय निगरानी है, न ही लोक शिकायत तंत्र प्रभावी। विशेषज्ञ मानते हैं कि कमजोर लाइसेंसिंग व्यवस्था और राजनीतिक संरक्षण ने निजी नर्सिंग होम को “मरने या बचने के खेल” का मैदान बना दिया है。
यहां फतेहगढ़ का श्री जी हॉस्पिटल आज सिर्फ एक परिवार के नहीं, बल्कि पूरे समाज के भरोसे की मौत का प्रतीक बन गया है। सवाल यह है — जब तक ऐसी घटनाओं में सख्त कानूनी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक इलाज की जगह व्यापारीकरण और मौत के कारोबार को कौन रोकेगा?
फतेहगढ़ का ये मामला एक बार फिर यह सोचने को मजबूर करता है कि देश की स्वास्थ्य नीति में इंसानी जिंदगियां कहां खो जाती हैं। लापरवाही और प्रशासनिक ढिलाई के बीच इलाज अब भरोसे से ज्यादा डर का नाम बनता जा रहा है।
4
Report
हमें फेसबुक पर लाइक करें, ट्विटर पर फॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब्ड करें ताकि आप ताजा खबरें और लाइव अपडेट्स प्राप्त कर सकें| और यदि आप विस्तार से पढ़ना चाहते हैं तो https://pinewz.com/hindi से जुड़े और पाए अपने इलाके की हर छोटी सी छोटी खबर|
Advertisement
0
Report
0
Report
Basti, Uttar Pradesh:_जन शिकायतों को प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण कराए जाने के क्रम में पुलिस अधीक्षक मऊ इलामारन जी द्वारा पुलिस कार्यालय में उपस्थित रहकर की जा रही जनसुनवाई।
0
Report
SBSharad Bhardwaj
FollowOct 09, 2025 16:31:090
Report
AKAshok Kumar1
FollowOct 09, 2025 16:30:540
Report
NSNavdeep Singh
FollowOct 09, 2025 16:30:410
Report
DDDeepak Dwivedi
FollowOct 09, 2025 16:30:090
Report
3
Report
2
Report
PSPrince Suraj
FollowOct 09, 2025 16:04:410
Report
HBHeeralal Bhati
FollowOct 09, 2025 16:04:330
Report
SKSwadesh Kapil
FollowOct 09, 2025 16:03:310
Report
RKRakesh Kumar Bhardwaj
FollowOct 09, 2025 16:03:150
Report
VSVARUN SHARMA
FollowOct 09, 2025 16:02:520
Report