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Amethi227411

Amethi: महिमापुर गांव में सरकारी जमीन पर कब्जा, प्रशासन बना मूक दर्शक

Feb 13, 2025 07:57:22
Jalama, Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अतिक्रमण हटाने के सख्त आदेश दिए हैं, लेकिन अमेठी के गौरीगंज तहसील क्षेत्र के महिमापुर गाँव में हालात कुछ और ही हैं। ग्राम सभा महिमापुर में भूमाफियाओं ने रातों-रात खलिहान और बंजर जमीन पर बाउंड्री बनाकर कब्जा कर लिया। वहीं, प्रशासन इस अवैध कब्जे पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है और चुप्पी साधे बैठा है। स्थानीय लोगों में इसको लेकर आक्रोश है।

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DKDAVESH KUMAR
Dec 05, 2025 16:47:05
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ASANIMESH SINGH
Dec 05, 2025 16:46:42
Ujjain, Madhya Pradesh:उज्जैन। सिंहस्थ 2028 को लेकर पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने पुलिस कंट्रोल रूम में अहम समीक्षा बैठक ली, जिसमें एसपी पीटीएस मनीषा पाठक, एएसपी गुरु प्रसाद पराशर, आलोक शर्मा, सीएसपी–डीएसपी और रेलवे जीआरपी अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में भीड़ नियंत्रण, यातायात व्यवस्था और आपातकालीन प्रतिक्रिया को सुदृढ़ करने पर विशेष जोर दिया गया। एसपी ने घाटों और प्रमुख मार्गों पर भीड़ प्रवाह का डेटा-आधारित अध्ययन करने, संवेदनशील स्थानों पर क्यू सिस्टम लागू करने और सेक्टर–जोन आधारित फोर्स तैनाती को मजबूत करने के निर्देश दिए। शहर के प्रवेश मार्गों और पार्किंग स्थलों का मैप-बेस्ड विश्लेषण कर सुचारू यातायात सुनिश्चित करने की बात भी कही। आपातकालीन स्थिति में पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के बीच तेज समन्वय पर जोर देते हुए QRT, फायर एंड रेस्क्यू और एंबुलेंस को तत्पर रखने के निर्देश दिए गए। वहीं सुरक्षा में ड्रोन, सीसीटीवी, AI और फेस रिकॉग्निशन तकनीक का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने की बात कही गई। एसपी शर्मा ने कहा कि सिंहस्थ 2028 को राष्ट्रीय स्तर का मॉडल बनाना लक्ष्य है, इसलिए सभी विभागों को अभी से पूर्ण समन्वय के साथ तैयारी करनी होगी।
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Dec 05, 2025 16:45:41
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PSPrabhanjan Singh
Dec 05, 2025 16:45:33
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VSVishnu Sharma
Dec 05, 2025 16:31:10
Jaipur, Rajasthan:6 दिसम्बर.... गुलामी का कलंक मिटा, अनगिनत कारसेवकों का संघर्ष, आज भी जेहन में है वो दृश्य करीब 33 साल पहले आज ही की तारीख 6 दिसम्बर, अयोध्या में गुलामी का प्रतीक बाबरी ढांचा ढहाया गया। भले ही आज वहां रामलला का भव्य मंदिर बनकर तैयारी में है, लेकिन अनगिनत कारसेवकों के संघर्ष के कारण ही देश के माथे से गुलामी का कलंक मिटा। राम मंदिर आंदोलन के दौरान दो बार कारसेवा हुई, पहली बार 6 नवम्बर 1990 को गोलियां चलीं और दूसरी बार 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी ढांचा ढहाया गया। राम मंदिर आंदोलन के दौरान अयोध्या गए कारसेवकों के जेहन में आज भी वो दृश्य साकार है। अयोध्या का नाम आते ही भगवान श्रीराम की जन्मभूमि मन में उभर आती है। आज अयोध्या में भव्य और अद्भुद राम मंदिर बना है, लेकिन इसके पीछे कारसेवकों का संघर्ष त्याग की कहानी है। अयोध्या में राम जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए आंदोलन चलाया गया। इस आंदोलन के दौरान दो बड़ी घटनाएं घटीं, देशभर से हजारों लाखों कारसेवक अयोध्या पहुंचे। पहली 6 नवम्बर 1990 को तत्कालीन मुलायम सरकार के समय कार सेवकों पर गोलियां चलीं, जिसमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए। इसके बाद 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में फिर कार सेवा हुई। इसमें देशभर से पहुंचे कारसेवकों ने गुलामी के दंश बाबरी ढांचे को ढहा दिया। जी मीडिया ने 6 दिसम्बर को हुई कारसेवा में शामिल रहे कारसेवकों से बातचीत की तो आज भी उनके जेहन में वो दृश्य साकार है। अयोध्या में बाबरी ढांचे को ढहाने के लिए हुई कारसेवा में जयपुर से भी बड़ी संख्या में कारसेवक गए। उनमें एक 70 वर्षीय मुरलीपुरा निवासी डॉ रमेश अग्रवाल कहते हैं कि हम किसी तरह बच बचाकर आयोध्या पहुंचे। वहां हमसे कहा गया कि एक मुट्ठी मिट्टी डालकर सांकेतिक कारसेवा करनी है। इस दौराना अचानक कारसेवकों में न जाने क्या हुआ कि उनमें से कुछ गुम्बंद पर चढ़ गए। जिसके हाथ में जो आया उससे ढांचे को ढहाने लग गए। हालांकि इस दौरान नेता रोकते रहे, लेकिन कारसेवकों ने नहीं सुना। शाम पांच बजते बजते ढांचा पूरी तरह ढहा दिया गया। डॉ रमेश अग्रवाल वन टू वन .... जयपुर से ही दोनों बार कार सेवा में गए व्यवसायी अनिल लोढ़ा भी यादों को झरोखे में झांकते हुए बताते हैं कि पहली बार कार सेवा में गए तो हमें कहा गया था कि जहां पुलिस रोके वहीं जमीन पर बैठ जाना है, संघर्ष नहीं करना है। धीरे धीरे हम वहां जन्मभूमि के नजदीक पहुंचे तो बेरिकेंडिंग लगाई हुई थी और पुलिसबल मौजूद था। इस दौरान वहां कुछ उत्साह युवक आगे बढ़े तो पुलिस ने गोलियां चलाई गई। इसमें मेरे साथ गए जोधपुर के महेंद्रनाथ अरोड़ा ने कहा कि मेरी वाहिनी आगे गई है मैं वहां जा रहा हूं। कुछ देर बाद ही पता चला कि महेंद्रनाथ अरोड़ा को गोलियां लग गई। इसके बाद मेरे दायीं तरफ खड़े युवक के गोली लगी, गनीमत था कि मैं बायीं ओर खड़ा था बच गया। इसके बाद हम एक मकान में छिपे रहे। इसके बाद हम साथियों के साथ वापस जयपुर आ गए। कारसेवकों के साथ उनकी परिवार ने भी बहुत कुछ सहन किया। अनिल लोढ़ा की पत्नी श्यामा ने घटना को याद करते हुए कहा कि उस वक्त गोलियां चलने और कारसेवकों के मरने के समाचार आ रहे थे। उस वक्त मोबाइल फोन भी नहीं थे जिससे इनसे किसी प्रकार का सम्पर्क नहीं हो पा रहा था। रात की नींद और दिन का चैन गायब था, हर वक्त देवी देवताओं से मन्नतें मांगा करते थे कि ये सकुशल लौट लाएं। इस दौरान मन्नत में कभी गेंहू तो कभी हलवा नहीं खाएंगे सहित अन्य चीजें छोड़ते थे। इस दौरान एक बार मन्नत मांगी कि ये सकुशल लौट आएं तो तिरूपति बालाजी के जाएंगे। इनके आने के बाद हम तिरूपत गए और मैनें अपने बाल मुंडवाए। बाइट - अनिल लोढा और श्यामा लोढा इसी तरह जयपुर से गए कारसेवकों के दल में शामिल रहे दिनेश कुमार खंडेलवाल ने कारसेवा के दौरान हुए मंजर को बयां किया। किस तरह बाबरी ढांचा ढहाया गया तथा अब राम मंदिर बनने के बाद गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। दिनेश कुमार खंडेलवाल वन टू वन कुल मिलाकर अयोध्या में आज जहां भव्य मंदिर बना हुआ है, उसके बनने के पीछे कारसेवकों के संघर्ष की यह कहानी इतिहास के पन्नों में हो गई है।
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STSharad Tak
Dec 05, 2025 16:30:55
Sirohi, Rajasthan:एंकर : 6 दिसंबर 1992—देश के इतिहास की वो तारीख, जिसे आज भी करोड़ों लोग याद रखते हैं। उसी दिन अयोध्या में लाखों की भीड़ उमड़ी थी और उस भीड़ में सिरोही से भी सौ से अधिक कारसेवक मौजूद थे। इनमें राजस्थान विधानसभा की पूर्व उपाध्यक्ष तारा भंडारी और कारसेवक हरिसिंह भी शामिल थे। आज… तीन दशक बाद भी उन कारसेवकों की यादें बिल्कुल ताज़ा हैं। जी मीडिया से खास बातचीत में उन्होंने उस दौर के संघर्ष, मुश्किलों और भावनाओं को साझा किया। आइए सुनते हैं—30 साल पुराने उस सफर की दास्तान…\n\nVO 1 — 2 दिसंबर 1992… राजस्थान के सिरोही, कालंद्री, चडुआल और आस-पास के गांवों से कारसेवकों का एक बड़ा जत्था रामझरोखा मंदिर से रवाना हुआ।\nजत्थे का नेतृत्व कर रही थी—पूर्व विधायक और कारसेवक तारा भंडारी और हरिसिंह। सिरोही से बस से रवाना होकर बाद में रेलवे के सफर में हर तरफ गूंज रहा था—“जय श्री राम!” चेहरों पर उत्साह, दिलों में सिर्फ एक सपना—रामलला के दर्शन। कारसेवक बताते हैं कि यात्रा के दौरान पूरा माहौल भक्तिमय था। लोग भजन गाते, नारे लगाते और अयोध्या पहुँचने की खुशियों में डूबे थे। तीन दिसंबर की रात जब उनका जत्था अयोध्या पहुँचा, तो सबसे पहले सभी ने सरयू नदी में स्नान किया। और फिर तुरंत सेवा और आयोजन कार्यों में जुट गए।\n\nBITE – तारा भंडारी, कार सेवक और पूर्व विधायक \\n\nVO 2 — छह दिसंबर की सुबह… अयोध्या का माहौल आस्था, उत्साह और नारों से थर्रा रहा था। पूरा शहर “जय श्री राम” के उद्घोष से गूंज उठा था। कारसेवक बताते हैं कि जैसे-जैसे भीड़ बढ़ती गई, माहौल तीव्र होता गया। इसी बीच सिरोही का ही एक कारसेवक—समुंदर सिंह राजपुरोहित, विवादित ढांचे से गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे तुरंत भीड़ से निकालकर लोगों ने मदद पहुँचाने की कोशिश की। धक्का-मुक्की और भगदड़ में स्वयं तारा भंडारी भी घायल हो गईं, लेकिन उस समय किसी को अपने दर्द की नहीं—सबके मन में बस एक ही भाव था—आस्था और सेवा।\n\nBITE – तारा भंडारी, कार सेवक और पूर्व विधायक \n\nVO – कारसेवक कहते हैं कि उस सफर में दर्द भी था, मुश्किलें भी…लेकिन आस्था इतनी प्रबल थी कि हर संकट छोटा लगने लगा। आज… तीन दशक बाद जब भव्य राममंदिर तैयार खड़ा है, तो सिरोही के ये कारसेवक गर्व से कहते हैं— उनकी हर मुश्किल, हर कदम…सार्थक हो गया।\nउनके लिए यह सिर्फ यात्रा नहीं, बल्कि विश्वास, समर्पण और जीवन की सबसे बड़ी आस्था का क्षण था।\n\nWALK THROUGH \n\nशरद टाक\nजी राजस्थान, सिरोही
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NZNaveen Zee
Dec 05, 2025 16:30:40
Rewari, Haryana:कोसली विधानसभा के गांव कंवाली में उद्योग एवं पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह का दौरा। कांग्रेस के ‘वोट चोरी’ मुद्दे पर साधा निशाना, कहा—“हारी हुई सीटों पर बहानेबाज़ी”। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह पर भी बिना नाम लिए कसा तंज कहा; 1987 में जाटूसाना से उन्हें हराया जिनकी बोलती थी तूती। कोसली विधानसभा क्षेत्र के गांव कंवाली में उद्योग एवं पर्यावरण मंत्री राव नरबीर सिंह पहुंचे। जहां उन्होंने राजकीय विद्यालय परिसर में अपने दादा राव मोहर सिंह के नाम पर बनाए गए द्वार का लोकार्पण किया। कार्यक्रम में भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। मंच से संबोधित करते हुए मंत्री ने कांग्रेस पर वोट चोरी का आरोप लगाने के मुद्दे पर जमकर हमला बोला। उन्होंने बादशाहपुर और रेवाड़ी का उदाहरण देते हुए कहा कि जहां कांग्रेस उम्मीदवार हार जाते हैं, वहीं वोटों के अंतर को लेकर “चोरी” का शोर मचा दिया जाता है।“जितने वोटों से हारे, उनमें कुछ जोड़कर चोरी की बात कह देना कांग्रेस की पुरानी आदत है।”
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