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जयपुर में एक शहर–एक निगम लागू, दो निगमों का प्रयोग समाप्त
DGDeepak Goyal
Nov 09, 2025 12:42:23
Jaipur, Rajasthan
राजधानी जयपुर की दो शहरी सरकारों नगर निगम ग्रेटर और नगर निगम हैरिटेज का कार्यकाल आज खत्म हो गया है। कल से जयपुर फिर अपने पुराने स्वरूप में लौट आएगा। यानी, छह साल बाद एक बार फिर “एक शहर–एक निगम” मॉडल लागू हो जाएगा। गहलोत सरकार के समय बने ग्रेटर और हैरिटेज निगम का यह पहला कार्यकाल राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों ही दृष्टि से विवादों में घिरा रहा। खास बात यह कि दोनों निगमों की मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर (ग्रेटर) और मुनेश गुर्जर (हैरिटेज) में से कोई भी अपना कार्यकाल पूरा nahi कर सकीं। दोनों को अपने-अपने कार्यकाल में निलंबन का सामना करना पड़ा।
राजधानी की दोनो शहरी सरकार का कार्यकाल आज पांच साल पूरे होने के साथ खत्म हो गया है। जयपुर नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज, जिनका गठन 2020 में “बेहतर प्रशासन और विकास के उद्देश्य” से किया गया था, अपना कार्यकाल खत्म कर रहे हैं। और इतिहास में “विफल प्रयोग” के रूप में दर्ज हो रहे हैं। पहली बार बने इन दोनों निगमों में किसी मेयर ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया। निगम ग्रेटर की मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर अधिकारियों से टकराव के कारण लम्बे समय तक निलंबित और बर्खास्त رہی । वहीं हैरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर भ्रष्टाचार के मामले में एसीबी की कार्रवाई के बाद पद से हटा दी गईं और दोबारा वापसी नहीं कर सकीं। राजनीतिक खींचतान और प्रशासनिक असंतुलन के बीच जनता के मुद्दे हाशिए पर रहे। मेयर डॉक्टर सौम्या गुर्जर का कहना है कि हमने पारदर्शिता, स्वच्छता, स्वास्थ्य और हरित विकास को अपनी प्राथमिकताओं में रखा। डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण, प्लास्टिक मुक्त अभियान और नागरिक सहभागिता को बढ़ाकर शहर की स्वच्छता रैंकिंग में अहम सुधार हुआ। उधर मुनेश गुर्जर के निलंबन के बाद निगम हैरिटेज में कार्यवाहक महापौर का जिम्मा कुसुम यादव के पास 14 महीने तक रहा।
नगर निगम हैरिटेज की तत्कालीन मेयर मुनेश गुर्जर का कार्यकाल: 10 नवम्बर 2020 को कांग्रेस से मेयर बनी। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पट्टा देने की एवज में रिश्वत प्रकरण मामले में मुनेश को 5 अगस्त 2023 को निलंबित कर दिया। हाईकोर्ट से स्टे मिलने के बाद 24 अगस्त 2023 को फिर से कुर्सी पर कबाबिज हुई। लेकिन 22 सितंबर 2023 को राज्य सरकार ने उन्हें वापस निलंबित किया। हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद 4 दिसम्बर 2023 को फिर से मुनेश गुर्जर ने कुर्सी संभाली। भजनलाल सरकार ने 23 सितंबर 2024 को भ्रष्टाचार के आरोपों में मुनेश को फिर से निलंबित किया। उसके बाद वापस सीट पर नही आई। 24 सितंबर 2024 को निर्दलीय चुनाव जीतने वाली कुसुम यादव को कार्यवाहक महापौर बनाया गया।
अब सरकार ने दोनों निगमों को फिर से एक कर दिया है। जयपुर में एक बार फिर “एक शहर–एक निगम” प्रणाली लागू होगी। निगमों के प्रशासनिक नियंत्रण की जिम्मेदारी संभागीय आयुक्त (प्रशासक) को दी गई है। हैरिटेज निगम पर हर साल 100 करोड़ रुपए से अधिक का अतिरिक्त खर्च बैठा। पांच साल में यह बोझ करीब 500 करोड़ तक पहुंच गया। दोनों निगमों ने मिलकर 1000 करोड़ रुपए विकास कार्यों पर खर्च किए, लेकिन परिणाम सीमित रहे। बजट की कमी से पार्षद लगातार असंतोष जताते रहे。
बहरहाल, दो नगर निगमों का यह प्रयोग राजस्थान की शहरी व्यवस्था के इतिहास में एक अध्याय बनकर रह गया ठीक वैसे ही जैसे 2009 में सीधे महापौर चुनाव का प्रयोग हुआ था। सरकार बदली, नीति बदली और अब जयपुर फिर उसी पुराने रास्ते पर लौट आया है। पांच साल में जयपुर के दो निगमों ने जनता को दोहरी सरकार तो दी, लेकिन सुविधा नहीं। अब उम्मीद यही है कि एकीकृत निगम के साथ शहर की व्यवस्था में फिर से “एक सूत्रता” लौटे। दीपक गोयल जी मीडिया जयपुर।
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