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मतदाता प्रपत्र ऑनलाइन करने पर अवैध वसूली का वीडियो वायरल!
JPJAY PRAKASH KUMAR
FollowJul 14, 2025 07:34:39
Gaya, Bihar
मतदाता प्रपत्र ऑनलाइन करने के नाम पर अवैध वसूली, वीडियो वायरल—बीडीओ ने दिए एफआईआर के आदेश
गया जिले के मानपुर प्रखंड में भ्रष्टाचार की जड़ें अब इतनी गहरी हो चुकी हैं कि आम जनता के संवैधानिक अधिकार भी 'चाय-पानी' के नाम पर बेचा जा रहा है। ताजा मामला मध्य विद्यालय नौरंगा के उर्दू बूथ संख्या 119 का है, जहां बीएलओ गौरी शंकर पर मतदाता प्रपत्र ऑनलाइन करने के एवज में अवैध वसूली का आरोप लगा है।
वीडियो हुआ वायरल, हुआ खुलासा
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें बीएलओ स्थानीय मतदाताओं से ऑनलाइन फॉर्म भरने के बदले पैसे लेते हुए नजर आ रहे हैं। जब लोगों ने इस पर आपत्ति जताई, तो बीएलओ ने पैसे लौटा दिए। नाम नहीं छापने के शर्त पर स्थानीय लोगो ने कहा कि आरोपी शुरू से ही अवैध बसूली के रहा था। प्रत्येक मतदाता से उसके हैसियत के अनुसार पैसा ली मांग करता था।लोगो ने कहा कि प्रति विपत्र ₹ 20/- लेता था। वीडियो वायरल होने के बाद से ही स्थानीय लोगो में आक्रोश है। लोगों का कहना है कि यह तो बस एक उदाहरण है, ऐसे कई बीएलओ चुपचाप अवैध वसूली कर रहे हैं। अगर उच्चाधिकारियों द्वारा जांच की जाए, तो कई और मामले सामने आ सकते हैं।
क्या है नियम?
भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार, मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने या सुधार करने जैसी सभी सेवाएं निशुल्क हैं। इन प्रक्रियाओं के लिए कोई भी अधिकारी या कर्मचारी पैसा नहीं ले सकता।
वायरल वीडियो में क्या था? – 56 सेकंड की बातचीत का सारांश
वीडियो में मतदाता और बीएलओ के बीच हुई बहस को साफ सुना जा सकता है:
मतदाता: "ऑनलाइन फॉर्म करने का कितना रुपया लिया है?"
बीएलओ: "40 रुपया।"
मतदाता: "कितना फॉर्म था?"
बीएलओ: "2।"
मतदाता: "आप ऑनलाइन करने का पैसा लिए हो?"
बीएलओ: "अरे भाई चाय-पानी के लिए लिए हैं, तो क्या हो गया?"
मतदाता: "फोन पे पर लिए हो?"
बीएलओ: "हाँ तो क्या? जाइए आप, अपना काम करो, तकलीफ है आपको?"
मतदाता: "हाँ तकलीफ है। क्या इसमें पैसा लगता है? यह तो फ्री होता है।"
क्या कहते है बीडीओ
घटना पर संज्ञान लेते हुए बीडीओ वेद प्रकाश ने तुरंत कार्रवाई की बात कही। उन्होंने बताया कि संबंधित बीएलओ के खिलाफ स्थानीय थाना में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दे दिया गया है।जिसके बाद स्थानीय लोगो के कहा कि अब देखना दिलचस्प होगा कि एफआईआर के बाद प्रशासन इस पर कैसी कार्रवाई करता है। क्या यह केवल खानापूर्ति बनकर रह जाएगी या फिर भ्रष्टाचार पर वाकई कोई सख्त कदम उठाया जाएगा?
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