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तुलसीपुर के देवीपाटन शक्तिपीठ में अखंड धूने के पीछे साधना का राज खुला!
PTPawan Tiwari
Sept 27, 2025 07:04:03
Balrampur, Uttar Pradesh
बलरामपुर जनपद के तुलसीपुर तहसील में स्थित मां पाटेश्वरी देवीपाटन शक्तिपीठ, 51 शक्तिपीठों में शामिल होकर श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। यह मंदिर न केवल मां सती का स्थल है, बल्कि इसे महायोगी गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली के रूप में भी ख्याति प्राप्त है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महायोगी गुरु गोरखनाथ ने यहां वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। साधना के दौरान उन्होंने जो धूना प्रज्वलित किया था, वह आज भी अखंड रूप से जल रहा है। श्रद्धालुओं के अनुसार यह धूना त्रेता युग से निरंतर प्रज्वलित है और इसे ‘अखंड ज्योति’ भी कहा जाता है।
मंदिर में पहुंचने वाले भक्त मां पाटेश्वरी के दर्शन के बाद अखंड धूने का दर्शन और पूजन करना अपनी तीर्थ यात्रा का अनिवार्य हिस्सा मानते हैं। मान्यता है कि अखंड धूने का दर्शन और उसकी भस्म को माथे पर लगाने से सभी प्रकार के कष्ट और नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती हैं। श्रद्धालु इस भस्म को प्रसाद के रूप में अपने घर भी ले जाते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अखंड धूने पर काल भैरव का विशेष स्थान है। यहां की गई मनौतियां पूरी होती हैं और भक्तों के दुख दूर होते हैं। तंत्र साधना में भी इस धूने का विशेष महत्व बताया गया है।
माना जाता है कि यहां इस अखंड धोने का जो भी दर्शन करता है उसकी नकारात्मक ऊर्जा अखंड धोने के दर्शन के साथ नष्ट हो जाती है। इसलिए यहां लोग बड़ी संख्या में अखंड धोने का दर्शन करते हैं और भगवती लेते हैं। श्रद्धालु इस अखंड धुन में प्रवेश करते समय सर पर रूमाल या कोई कपड़ा रखते हैं कहा जाता है कि यहां नंगे सर जाना वर्जित है। नवरात्रि व विशेष दिनों में बड़ी संख्या में तांत्रिक व पुरोहित यहां विशेष पूजन अखंड धोने का भभूति लेकर करते हैं।
नेपाल से भी पहुंचते हैं श्रद्धालु
नवरात्रि और मकर संक्रांति जैसे पर्वों पर देवीपाटन शक्तिपीठ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। नेपाल समेत भारत के कोने-कोने से भक्त यहां मां पाटेश्वरी के दर्शन करने और महायोगी को खिचड़ी अर्पित करने पहुंचते हैं। मकर संक्रांति के अवसर पर जो श्रद्धालु गोरखपुर स्थित गोरखपीठ नहीं पहुंच पाते, वे देवीपाटन में महायोगी गोरखनाथ को खिचड़ी अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
मां पाटेश्वरी के दर्शन के बाद महायोगी गुरु गोरखनाथ द्वारा प्रज्वलित अखंड धूने का दर्शन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह धूना आज भी आस्था और साधना का प्रतीक बना हुआ है और श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
बयान - अनुज प्रताप सिंह
बयान - ज्ञानी बाबा मुख्य पुजारी
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