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सरदारशहर: ढाई वर्षीय रुचिका ने निगला 1 रुपए का सिक्का, डॉक्टर बने भगवान!
Churu, Rajasthan
चूरू
विधानसभा- सरदारशहर
लोकेशन-सरदारशहर
स्थानीय-संवाददाता- मनोज कुमार प्रजापत
मोबाइल-9024381575
@manoj98346
सरदारशहर।
ढाई वर्षीय रुचिका ने खेल खेल में निगल लिया 1 रुपए का सिक्का,
रुचिका के गले में सिक्का फंसने से आफत में पड़ी जान,
सिक्का फंसने के बाद बच्ची के परिजनों की उखड़ी सांसे,
रुचिका को राजकीय अस्पताल लेकर भागे परिजन,
फिर रुचिका के लिए डॉक्टर बने भगवान
राजकीय अस्पताल में रुचिका का डॉक्टरों ने किया जटिल ऑपरेशन
डॉक्टर लोकेंद्र राठौड़ ओर उनकी टीम ने निकाला रुचिका के गले से एक रुपए का सिक्का
सरदारशहर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां एक ढाई साल की मासूम बच्ची ने खेलते-खेलते गलती से 1 रुपए का सिक्का निगल लिया। इस छोटी सी लापरवाही से बच्चे की जान भी जा सकती थी। दरअसल सरदारशहर के गांव रामसीसर भेडवालिया की ढाई वर्षीय रुचिका नायक के गले में खेलते वक्त एक रुपए का सिक्का फंस गया। जैसे ही यह बात रुचिका के परिजनों को पता चली, परिजनों की जान अटक गई। इस दौरान रुचिका की मां का रो रो कर बुरा हाल हो गया। वहीं सिक्का गले में खाने की नली में फंसा होने के कारण रुचिका की जान पर बन आई। जिसके बाद सरदारशहर के राजकीय उपजिला अस्पताल में रुचिका का इएनटी रोग विशेषज्ञ डॉ लोकेंद्रसिंह राठौड़ की टीम ने जटिल ऑपरेशन कर एक रुपए के सिक्के को बाहर निकाला। इस दौरान अस्पताल प्रभारी डॉ चन्द्रभान जांगिड़ ने बताया की खेलते वक्त ढाई वर्षीय रुचिका ने सिक्का निगल लिया था, उस समय बच्ची के घरवालों को पता नहीं चला लेकिन धीरे धीरे बच्ची को खाने ओर सांस लेने में दिक्कत होने लगी जिसपर बच्ची के परिजन बच्ची को राजकीय उपजिला अस्पताल लेकर पहुंचे, जिसके बाद बच्ची का एक्स-रे करवाया गया। जांच में यह सामने आया कि सिक्का बच्चे की सांस व खाने की नली में फंसा हुआ है। यह स्टेज बहुत डेंजर था क्योंकि सिक्का सांस की नली को भी ब्लॉक कर सकता था जिससे बच्चे की जान जाने का भी खतरा था। ऐसे में डॉ लोकेंद्रसिंह राठौड़ और उनकी टीम ने बच्ची को इमरजेंसी ऑपरेशन थिएटर में शिफ्ट किया और जटिल ऑपरेशन के बाद सिक्के को सफलतापूर्वक बाहर निकाल लिया।
डॉक्टर ने बचाई बच्चे की जान
बच्ची का सफल ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर लोकेंद्रसिंह राठौड़ ने बताया की गले में फंसे सिक्के के साथ परिजन बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे। फिर कड़ी मशक्कत के बाद सिक्के को बाहर निकाला गया। डॉक्टर राठौड़ ने बताया कि बच्चों के परिवारजनों से यह अपील की है कि अगर किसी भी छोटे बच्चों को सिक्का देते हैं तो सावधानी बरतें, नहीं तो बच्चों की जान पर भारी पड़ सकता है। अमूमन गांव के घरों में बच्चे सिक्के लेकर मुंह में डाल लेते है, यह कारण है कि बच्चे सिक्के निगल जाते हैं, जो ज्यादातर गले में जाकर अटक जाता है, ऐसी स्थिति में सिक्के को बाहर निकालना किसी खतरे से कम नहीं रहता है। लेकिन जब गले में किस जगह पर सिक्का अटक जाता है, उसका सही आंकलन हो जाने पर ही ट्रीटमेंट और सिक्का निकालने की शुरुआत की जाती है। ऑपरेशन में शामिल डॉक्टर कमलेश ने बताया कि खाने की नली में कोई भी वस्तु फंस जाना बहुत गंभीर होता है। अगर इलाज में थोड़ी सी भी देरी हो जाती, तो स्थिति जानलेवा हो सकती थी, लेकिन समय पर इलाज मिलने से बच्ची अब पूरी तरह सुरक्षित है। वहीं अब सिक्का निकलने के बाद रुचिका के परिजनों ने राहत की सांस ली हैं। राजकीय उप जिला अस्पताल में यह ऑपरेशन मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना के तहत पूरी तरह से निशुल्क हुआ जिसके लिए परिजनों ने डॉक्टरों और राज्य सरकार का आभार प्रकट किया। चूरू के सरदारशहर से जी मीडिया के लिए मनोज कुमार प्रजापत की रिपोर्ट
बाइट- डॉक्टर लोकेंद्र सिंह राठौड़, इएनटी रोग विशेषज्ञ
ऑपरेशन की ड्रेस पहनी हुई है सर पर पॉलिथीन लगी हुई है।
बाइट- डॉ चंद्रभान जांगिड़, प्रभारी, राजकीय उप जिला अस्पताल
शर्ट की जेब में पेन है और गले में मास्क लगा हुआ है।
बाइट- दीपक बैद, स्थानीय वार्ड पार्षद
टी-शर्ट पहन रखी है।
बाईट- मदनलाल नायक, बच्ची का ताऊ
सफेद कलर का चोला पहन रखा है और गले में तौलिया डाल रखा है।
बाइट- सीलोचना नायक, बच्ची की मां
घुंघट निकाल रखा है।
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