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जोधपुर हाईकोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपों को किया खारिज!

RKRakesh Kumar Bhardwaj
Jul 14, 2025 18:00:29
Jodhpur, Rajasthan
जोधपुर राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की बैंच ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में याचिकाकर्ता को आईपीसी की धारा 306 के तहत आरोप मुक्त करते हुए बडी राहत दी है। याचिकाकर्ता सगता राम की ओर से अधिवक्ता प्रियंका बोराना ने बताया कि एडीजे कोर्ट बाडमेर ने याची के विरूद्ध धारा 306 भारतीय दंड संहिता आत्महत्या के लिए उकसाना के तहत आरोप तय किए है जो कानून उचित नही है। अधिवक्ता ने कहा कि प्रथम दृष्टया कोई ऐसा साक्ष्य नहीं है जिससे यह प्रतीत हो कि याचिकाकर्ता ने मृतक को आत्महत्या के लिए उकसाया। अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि सगता राम पर आरोप था कि उसने अपने साझेदार को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जिससे उसने आत्महत्या कर ली। अधिवक्ता ने कोर्ट में तर्क दिया कि आत्महत्या के लिए उकसावे की आवश्यक शर्त को साक्ष्य अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों का हवाला देते हुए उन्होंने यह दर्शाया कि केवल साझेदारी में मतभेद या व्यापारिक विवाद आत्महत्या के लिए उकसावे का आधार नहीं हो सकते।हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद अपने फैसले माना कि मृतक द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट में आरोप मात्रात्मक हैं, न कि ठोस और विधिक रूप से सिद्ध करने योग्य। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन यह प्रमाणित करने में असमर्थ रहा कि याचिकाकर्ता की किसी ठोस कार्रवाई से मृतक आत्महत्या करने को विवश हुआ। हाईकोर्ट ने एडीजे कोर्ट बाडमेर द्वारा 22 सितम्बर 2022 को पारित आदेश को रद्द करते हुए याची को बडी राहत दी है।
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