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सरकारी स्कूल की छात्रा ने नीट क्रैक कर दिखाया जादू!
Kota, Rajasthan
कोटा
सरकारी स्कूल से हिंदी मीडियम में पढ़कर की नीट क्रैक, गांव से मिली थी प्रेरणा
विपरीत परिस्थितियों में सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर बालिका ने नीट यूजी परीक्षा को क्रैक किया है. अब करेगी एमबीबीएस.
कोटा: नीट यूजी 2025 के परिणाम के बाद देशभर से सफलता की अलग-अलग कहानी सामने आ रही है. इसी में बूंदी जिले के नैनवा तहसील के धनुगांव से एक और कहानी सामने आई है, जहां पर विपरीत परिस्थितियों में भी सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर बालिका ने नीट यूजी परीक्षा को क्रैक किया है. अब उसे राजस्थान के अच्छे मेडिकल कॉलेज में प्रवेश भी मिल जाएगा.
बालिका आरती बसवाल ने कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई सरकारी और हिंदी मीडियम स्कूल से ही की है. 11वीं और 12वीं में उसने कोटा में आकर पढ़ाई की और कोचिंग संस्थान ने उसकी मदद की, जिससे वह नीट यूजी की परीक्षा में 555 अंक लेकर आई है. इसके अलावा उसकी ऑल इंडिया रैंक 10345 बनी है, जबकि एससी कैटेगरी में 239 रैंक है. आरती ने दसवीं की परीक्षा 94.3 फ़ीसदी अंको से पास की है. वहीं, 12वीं की परीक्षा 93.80 फीसदी अंको से पास है.
आरती ने नीट की परीक्षा भी पहले अटेम्प्ट में ही क्लियर कर ली है और 12वीं के साथ ही यह परीक्षा दी थी. दसवीं की परीक्षा उसने धनुगांव के ही सरकारी स्कूल से दी थी, जबकि कोटा में केशवपुरा स्थित सरकारी स्कूल में उन्होंने अपना एडमिशन कराया था.
आरती बसवाल ने बताया कि
अनुप्रीत योजना में कैंसिल हो गया फॉर्म, कोचिंग में पढ़ाया निशुल्क : आरती बसवाल का कहना है कि अनुप्रीत योजना के तहत उसने निशुल्क कोचिंग के लिए फॉर्म भरा था, जिसके तहत छोटी सी त्रुटि के कारण उसका फॉर्म अस्वीकृत हो गया. ऐसे में एडमिशन हो गया था, लेकिन बाद में फॉर्म रद्द हो गया. हालांकि, मोशन कोचिंग संस्थान ने उसे निशुल्क ही पढ़ा दिया.
उसने पहले रंगबाड़ी खड़े गणेश जी के नजदीक और बाद में शास्त्री नगर दादाबाड़ी में शेयरिंग में एक अन्य बालिका के साथ रूम में रही. आरती बसवाल का कहना है कि गांव की ही अन्य छात्र की सफलता के बाद एमबीबीएस करने की प्रेरणा ली थी. इसके बाद ही उन्होंने कोटा जाकर कोचिंग करने का तय किया था. इसी के लिए अनुप्रीत योजना की जानकारी भी उन्हें स्कूल से ही मिली थी.
पिता खेती और पशुपालन से ही गुजारा करते हैं : आरती ने बताया कि उसके पिता राजेश खटीक किसान हैं. उनके पिता आजीविका के लिए पशुपालन भी करते हैं. उनके पिता ने पढ़ाई भी ग्रेजुएशन तक की है, लेकिन नौकरी नहीं की. गांव में रहकर खेती करते हैं. उनके महज 8 बीघा जमीन है. भाई कृष्ण मुरारी भी पढ़ाई में ठीक था, लेकिन उसने नीट की परीक्षा नहीं दी. जयपुर के कॉलेज से वह वेटरनरी साइंस में पढ़ाई कर रहा है. मां कमलेश गृहणी हैं. वह पढ़ाई नहीं कर पाईं थीं. आरती का कहना है कि वह राजस्थान के ही किसी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करना चाहती है. काउंसलिंग में उसे राजस्थान में सरकारी फीस पर ही सीट भी मिल जाएगी. उसने लक्ष्य बनाया था कि एक बार में ही नीट को क्लियर करना है और पढ़ाई में भी घंटों मेहनत की है.
पढ़ाई में हुई परेशानी, मेहनत नहीं छोड़ी : आरती का कहना है कि कोटा कोचिंग में उसकी पढ़ाई में काफी मदद की. फैकल्टी भी हर डाउट को सॉल्व करवाती थी. मैं हिंदी मीडियम की छात्रा रही हूं, लेकिन कोचिंग के दौरान ऐसी कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. मुझे यकीन था कि सफल हो जाऊंगी. गांव से सीधा 11वीं में कोटा जाकर पढ़ाई की. परेशानी शुरुआत में आई थी, लेकिन मैंने मेहनत करना नहीं छोड़ा. बाद में सब कुछ नॉर्मल हो गया. मेरी सफलता से मेरे माता-पिता ही नहीं, परिवारजन, पड़ोसी और गांव के लोग भी खुश हैं. सभी ने मेरे पिता को शुभकामनाएं दी, जिससे मुझे काफी सुखद अनुभव लगा.
त्योहार और शादी समारोह से भी बनाई दूरी : आरती का कहना है कि उन्होंने कोटा में रहने के साथ त्योहार और शादी समारोह से भी दूरी बनाई थी. परिवार में शादी होने पर भी वह पढ़ाई में ही इंवॉल्व रही. मोबाइल उनके पास था, लेकिन वह पढ़ाई पर ही ज्यादा फोकस करती थीं. कोचिंग से आने के बाद भी वह चार से पांच घंटे पढ़ाई करती थीं. कोचिंग में पढ़े हुए टॉपिक को घर पर रिवीजन करती थी. परिवार में रोज घर वालों से बात करती थी. आरती का कहना है कि उसके माता-पिता रोज केवल यही कहते थे कि तुम पढ़ाई में पूरी कोशिश करो, सफलता मिल जाएगी.
बाइट 01 आरती बसवाल
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