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नेत्रहीन शिक्षक कंचन कुमार: शिक्षा की रौशनी से बच्चों का भविष्य रोशन!
Bhagalpur, Bihar
INTRO - भागलपुर के एक शिक्षक ऐसे जो हैं तो नेत्रहीन लेकिन अंधकार को शिक्षा की रौशनी से दूर कर रहे हैं।
खुद के आंखों में रौशनी नहीं है लेकिन बच्चों की ज़िंदगी रौशन कर रहे हैं। तस्वीर देख आप भी कहेंगे वाह मास्टर साहब कमाल हैं आप...
भागलपुर के नवगछिया अनुमंडल अंतर्गत उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय भवानीपुर टोला में एक ऐसे शिक्षक पहुँच गए जिन्हें देख बच्चों को भी लगा कि सर कैसे पढ़ाएंगे। अन्य शिक्षक भी सोच में पड़ गए लेकिन जैसे ही सर ने दसवीं और नौवीं की हिंदी कक्षा ली सब आश्चर्य चकित हो गए। बच्चे उन्हें कनेक्ट कर पाते हैं अच्छे से समझते हैं जैसे सामान्य शिक्षक उन्हें समझाते हैं। दरअसल हम बात बिहपुर के रहने वाले नेत्रहीन शिक्षक कंचन कुमार की कर रहे हैं। जिनके ज़िन्दगी में बचपन से अंधेरा है लेकिन बचपन मे ही उन्होंने शिक्षा का अलख जगाने का ठाना कई डिग्रियां ली बड़े बड़े संस्थानों में पढाई की फिर कई स्कूलों में पढ़ाना शुरू किया जो बदस्तूर जारी है। कंचन कुमार मूल रूप से नवगछिया के बिहपुर के रहने वाले हैं चार भाई तीन बहनें हैं। दोनों आँख से दिव्यांग होने के कारण परिजन परेशान रहते थे लेकिन कंचन ने आगे बढ़ने की ठानी उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा भीखनपुर स्थित नेत्रहीन विद्यालय से की इसके बाद पटना के कदमकुआं नेत्रहीन उच्च विद्यालय गए। 12 वीं की पढाई मध्यप्रदेश से की, देवघर स्थित सरसकुंज से संगीत की शिक्षा ली। जगतगुरु श्री रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्विद्यालय चित्रकूट में बीएड , एमएड किया फिर बाँका के करझौसा में बतौर नियोजित शिक्षक बहाल हुए इतना ही नहीं उन्होंने राज्य शिक्षक पात्रता परीक्षा पास की सरकार ने बीपीएससी के जरिये शिक्षक बहाली लायी तो BPSC TRE 2 के तहत बहाल हुए। इसके बाद पहली पोस्टिंग पीरपैंती रानिदियारा में उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विधालय में डेढ़ साल पढ़ाया हाल ही में कंचन सर का ट्रांसफर नवगछिया भवानीपुर टोला स्थित उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय में हो गया।
यहां दो किलोमीटर दूर रूम लिया इसके बाद विद्यालय के शैक्षणिक प्रभारी प्रधानाचार्य सुभाष कुमार उन्हें अपने साथ स्कूल लाने लगे ऐसे मे कंचन सर की चिंता कम हुई धीरे धीरे दो तीन दिनों में ही बच्चे कनेक्ट करने लगे। zee media टीम जब स्कूल पहुँची तो सर ब्रेल लिपि के जरिये नौवीं कक्षा के बच्चों को कथाकार शिवपूजन सहाय द्वारा रचित कहानियां पढा रहे थे बच्चे मन लगाकर पढाई कर रहे थे।
कंचन सर ने कहा कि बचपन से पढ़ने और पढ़ाने का शौक था पहले ट्यूशन की तरह बच्चों को पढ़ाते थे कई जगह शिक्षा ग्रहण की शिक्षक बने। इसके बाद बीपीएससी के तहत बहाल हुए यहां स्कूल पहुँचे हैं कोई परेशानी नहीं होती है अनुभव के जरिये ब्रेल लिपि के जरिये बच्चों को पढ़ाते हैं बच्चे देवनागरी लिपि के जरिये समझते हैं।
उन्होंने सरकार की बीपीएससी से शिक्षक बहाली स्कीम को सराहा साथ ही कहा कि अब मेहनतकश युवाओं को आसानी से शिक्षक की नौकरी मिल रही है।
निश्चित रूप से कंचन कुमार जैसे शिक्षक समाज के लिए प्रेरणादायक हैं जो बच्चों को शिक्षित कर उनके भविष्य को चमका रहे हैं।
Wt - अश्वनी कुमार, ज़ी मीडिया, भागलपुर
Byte- कंचन कुमार, नेत्रहीन शिक्षक
Byte- सुभाष कुमार, प्रभारी प्रधानाचार्य, उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय भवानीपुर टोला नवगछिया
Byte - शिवानी कुमारी, छात्रा, नौंवीं कक्षा
Byte- श्रीशंत कुमार, छात्रा ,नौवीं कक्षा
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