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बाढ़ कटाव: क्या नेताओं की लापरवाही से पीड़ित होंगे और?
DDDHANANJAY DWIVEDI
FollowJul 12, 2025 08:08:06
Bettiah, Bihar
Reporter ____ dhananjay dwivedi
Anchor ______ कौन सुनेगा बाढ़ कटाव पीड़ितों का दर्द ,कौन है जिम्मेदार... बाढ़ कटाव ये प्राकृतिक आपदा आम जनता के लिए अभिशाप है तो नेताओं अधिकारियों ठेकेदारों के लिए वरदान है हम बात कर रहे है बैरिया प्रखंड के पुजाहा पाटजीरवा सहित दर्जनों गांवों की जो 2003 से लगातार से बाढ़ कटाव का दंश झेल रहे है हर साल बाढ़ आती है हर साल गंडक नदी कटाव करती है हर साल जल संसाधन विभाग करोड़ों की लागत से कटावरोधी कार्य करती है लेकिन समस्या जस की तस बनी रहती है सरकार स्थाई निदान नहीं निकाल रही है लगता है जल संसाधन विभाग के अधिकारियों नेताओ और ठेकेदारों के दर्जनों गांव बाढ़ बरसात में किसी दुधारू गाय से कम नहीं है देखे ये रिपोर्ट........
V.O.1_________ यह बैरिया का चंपारण तटबंध है इस तटबंध पर गंडक नदी का खतरा मंडरा रहा है इस तटबंध के नीचे पहले दर्जनों गांव की एक बड़ी आबादी रहती थी लेकिन 2003 में गंडक नदी ने विकराल रूप धारण कर दर्जनों गांवों को अपने गर्भ में विलीन कर ली घोड़ाहिया पूजहा बजार टोला मलाही टोला रखई मर्चैया श्रीनगर जैसे दर्जनों गांव के हजारों की आबादी तटबंध के दूसरी तरफ चले आए कोई बेतिया राज की जमीन पर है कोई तटबंध के किनारे गुजर बसर कर रहा है 2003 से हर साल इस क्षेत्र में गंडक नदी कहर बरपाती है हर साल नदी कटाव करते करते अब चंपारण तटबंध के किनारे पहुंच गई है अब फिर चंपारण तटबंध पर खतरा मंडराने लगा है फिर एक बार जो हजारों लोग विस्थापित हुए थे उनके ऊपर खतरा मंडराने लगा है ग्रामीणों का कहना है की हर जल संसाधन विभाग जियो बैग से बांध बांधती है लेकिन हर साल बांध कट जाता है करोड़ों करोड़ का हर साल काम होते आया है जो चंपारण तटबंध नदी से चार पांच किमी दूर थी वह नदी आज तटबंध से बीस फिट की दूरी पर है आखिर सरकार ने इतने सालो में सैकड़ो करोड़ रुपया नदी में बहा दिया लेकिन समस्या आज भी जस की तस है आखिर सरकार तटबंध और गांवों को बचाने के लिए पक्का बांध का निर्माण क्यों नही किया क्या हर साल जियो बांध के नाम पर नेताओ अधिकारियों और ठेकेदारों कमाई की है ऐसे सवाल जनता कर रही है इस साल फिर गंडक नदी भीषण कटाव कर रही है फिर जियो बैग सैंड बैग हाथी पांव के सहारे कटावरोधी कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है गांव के विनोद यादव और अन्य बताते है की जल संसाधन विभाग की मंशा हमलोग को बचाने की नही बाढ़ कटाव के नाम पर कटावरोधी के नाम पर कमाने की है कटावरोधी कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है
Wt ____dhananjay with gramin
V.O.2______ दर्जनों गांवों के ग्रामीण जो बाढ़ कटाव से विस्थापित हो गए है वो प्रतिदिन अपनी खेती बारी नाव से करने उस पार जाते है बरसात के दिनों में जान जोखिम में डाल उफनाती गंडक नदी को नाव से पार कर उस पार जाते है मवेशियों के चारा भी उस पार से ही लाना होता है पीड़ितों का कहना है 2003 से लगातार वो गंडक नदी की कटाव झेल रहे है इनका इलाका जल संसाधन विभाग और ठेकेदारों के लिए दुधारू गाय की तरह है हर साल कटाव हो रहा है लेकिन स्थाई निदान नहीं हो रहा है
Wt __dhananjay boat
V.O.3_____ गंडक नदी ने इन गांवों पर कहर तो बरपाया ही है सरकार हो जिला प्रशासन हो कोई इनकी सुध नहीं लेता है पूजहा घाट पर आज तक सरकारी नाव की व्यवस्था नहीं की गई है गांव के जो संपन्न लोग है वही लोग प्राइवेट नाव बनवाते है उन्ही नावों से किसान उस पार आते जाते है उस पार भी गांव है वहा के ग्रामीणों को भी नाव ही सहारा है लेकिन नाव सरकार नहीं मुहैया कराती है ग्रामीण कई नाव बड़े बड़े बनाए है एक बड़ी नाव बनाने में सात से दस लाख की लागत आती है किसानों को कुछ राशि साल का देना पड़ता है ऐसे में सवाल उठता है सरकार इन ग्रामीणों को आज तक एक सरकारी नाव क्यों नही दिया एक नाव कैसे बनाया जाता है कितना खर्च आता है ग्रामीणों ने जब बताया तो सरकार पर सवाल उठना लाजमी है
Wt __boat on
V.O.4_____ अबकी बार जब पूजहा घाट पर गंडक नदी भीषण कटाव कर रही थी तो चंपारण तटबंध पर खतरा मंडराने लगा जिसकी सूचना पर बेतिया सांसद डा संजय जायसवाल जायजा लेने तटबंध पर पहुंच गए तटबंध पर सैकड़ो ग्रामीणों ने सांसद का घेराव कर स्थाई निदान की मांग की अबकी बार सांसद ने जनता से वादा किया है की नवंबर से बोल्डर पिचिंग का काम किया जायेगा किसी भी सूरत में चंपारण तटबंध नही कटने दिया जायेगा
बाइट__डा संजय जायसवाल_सांसद
बाइट__महिला,पुरुष
Final ______ ये बाढ़ पीड़ितों का दर्द है इनकी दर्द कोई सुनने वाला नहीं है हर साल सिस्टम की तरफ ये बेबस और लाचार निगाहों से राहत की राह देखते है लेकिन यह सत्ता और व्यवस्था के लिए दुधारू गाय बने हुए है क्योंकि प्राकृतिक आपदा बाढ़ कटाव नेता अधिकारी और ठेकेदारों के लिए वरदान है तो आम जनता के लिए अभिशाप है कब तक समस्या से स्थाई निदान मिलेगा इन पीड़ितों को और सिस्टम को भी मालूम नही है
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