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चूरू विमान दुर्घटना: शहीद पायलट लोकेंद्र का पार्थिव शरीर रोहतक पहुंचा
RTRAJ TAKIYA
FollowJul 10, 2025 11:44:03
Rohtak, Haryana
राजस्थान के चूरू में प्लेन क्रेश पायलट का पार्थिव शव पहुंचेगा आज रोहतक ।
राजकीय सामान के साथ किया जाएगा अंतिम संस्कार ।
एंकर- रोहतक। चूरू जैगुआर फाइटर प्लेन हादसे में शहीद हुए पाइलेट लोकेंद्र सिंधु रोहतक जिले के खेड़ी साध गांव के रहने वाले हैं । शहीद पाइलेट के घर मे गम का माहौल बना हुआ है रिस्तेदार व आस पास के लोग परिवार को सांत्वना देने के लिए पहुंच रहे हैं । लोकेंद्र 2015 में वायु सेना में भर्ती हुआ था । उसकी 2023 में शादी हुई थी उसका एक महीने का लड़का है । परिवार में दो भाई व एक बहन है । लोकेंद्र परिवार में सबसे छोटा था । बहन भी वायु सेना में अधकारी रही है । पाइलेट लोकेंद्र का पार्थिव शरीर लगभग 3 बजे दिल्ली से उनके घर लाया जाएगा । जिसके बाद राजकीय सम्मान के साथ उनका दाह संस्कार कोय जाएगा ।
वीओ-1 शहीद लोकेंद्र के दादा B.S सिंधु ने बताया कि लोकेंद्र उनका लाडला पोता था वह उनकी हर बात मानता था शांत सभव का निडर लड़का था । उन्होंने बताया कि आर्मी एजुकेशन में हवलदार व बाद में एक्साइज टेक्सेशन ऑफिसर से रिटायर हुआ है लोकेंद्र उसका सबसे प्यारा पोता था । पाइलेट लोकेंद्र को याद कर वह भावुक हो गए। दादा बलवान सिंधु ने बताया कि जब लोकेंद्र ने 12वीं पास की तो उसे एक ब्रिगेडियर के पास लेकर गया था। उस समय लोकेंद्र ने एनडीए का फार्म भर दिया था।
ब्रिगेडियर ने लोकेंद्र को कॉफी टिप्स भी दिए और उसका हौसला बढ़ाया। इसके बाद लोकेंद्र ने अपने पहले ही प्रयास में एनडीए की परीक्षा पास कर ली। लोकेंद्र पढ़ाई में शुरू से ही होशियार था। लोकेंद्र सिंधु तीन भाई-बहन है, जिसमें बड़ी बहन अंशी भी एयरफोर्स से रिटायर होकर एक कंपनी में नौकरी करती है। बड़ा भाई ज्ञानेंद्र भी कंपनी में इंजीनियर है और लोकेंद्र एयरफोर्स में था।
बलवान सिंह ने बताया कि हादसे के बारे में बेटे जोगेंद्र के पास फोन आया था, जिसके बाद ही पता चला। पोते ही याद तो आती है, लेकिन गर्व भी है कि वह देश के लिए शहीद हुआ है। बलवान सिंह ने लोकेंद्र का एक किस्सा याद करते हुए बताया कि एक बार किसी ने लोकेंद्र को स्टिक मार दी। जब लोकेंद्र ने इस बारे में उन्हें बताया। तब लोकेंद्र को कहा कि तुने क्यों नहीं उसे पलट वॉर किया। लोकेंद्र ने कहा कि नहीं दादा जी, मैं किसी के साथ झगड़ा नहीं कर सकता। इतने सरल स्वभाव व दूसरों के प्रति दयालु भाव रखने वाला लोकेंद्र आज उन्हें छोड़कर चला गया है।
वीओ-2 शहीद लोकेंद्र सिंधु के भाई ज्ञानेंद्र सिंधु ने बताया कि लोकेंद्र सिंधु जगुवार में एक को-पायलेट को ट्रेनिंग दे रहा था। दो सीट वाले जगुवार में कंट्रोल को-पायलेट के पास था, जिसे लोकेंद्र ट्रेंड कर रहा था। इसी दौरान जगुवार 500 फुट से नीचे आ गया। जगुवार में एक कमी यही बताई जा रही है कि जब वह 500 फुट से नीचे आ जाता है तो उसे टेकऑफ करना मुश्किल होता है।
ज्ञानेंद्र ने बताया कि एयरफोर्स में ट्रेनिंग के दौरान एक पायलेट की जिम्मेदारी होती है कि वह सबसे पहले अपने प्लेन को सुरक्षित रखे, उसके बाद सिविलयन को बचाए और बाद में खुद को बचाए। लेकिन जगुवार इतना नीचे आ गया कि उसे टेकऑफ करना मुश्किल हो गया तो वह प्लेन को नहीं बचा सकते थे। जिस गांव के ऊपर जगुवार उड़ रहा था, उस गांव को बचाने के लिए लोकेंद्र ने अपने प्राणों की रक्षा न करते हुए शहीद हो गया।
सिंगल सीट वाले जगुवार में होता तो बच जाता
ज्ञानेंद्र सिंधु ने बताया कि लोकेंद्र सिंधु अगर सिंगल सीट वाले जगुवार को उड़ा रहा होता तो वह बच जाता। क्योंकि लोकेंद्र अधिकतर सिंगल सीट वाले जगुवार को ही उड़ाता था। जनवरी में लोकेंद्र से मिलने गया था तो उसने बताया कि कैसे अगर जगुवार में कुछ दिक्कत आती है तो वह अपने आप को सुरक्षित कर सकता है। 4 से 5 सिस्टम बताए थे, जिससे वह सुरक्षित बच सकता था।
पहले भी हुई एक बार घटना
ज्ञानेंद्र ने बताया कि एक बार छोटा भाई लोकेंद्र सिंधु जब जगुवार को उड़ा रहा था तो उसे प्लेट के ऊपर एक कैनोपी होती है, जो हवा में उड़ गई थी। इसके बाद भी लोकेंद्र ने अपनी कुशलता दिखाते हुए प्लेन को सुरक्षित लैंड करवा दिया था। लोकेंद्र की खासियत थी कि वह कभी किसी से ऊंची आवाज में बात भी नहीं करता था।
बाइट- B. S सिंधु लोकेंद्र पाइलेट का दादा ।
बाइट- ज्ञानेंद्र भाई
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