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बिरला सीमेंट: ग्रामीणों की जमीनें हड़पने का बड़ा आरोप!

ASABHISHEK SHARMA1
Jul 14, 2025 14:08:30
Chittorgarh, Rajasthan
एंकर - चित्तौड़गढ़ का नाम अगर गौरवशाली इतिहास और वीरता से जुड़ा है, तो वही ज़िला आज एक बड़ी पीड़ा से गुजर रहा है। कभी रोजगार, विकास और औद्योगिक क्रांति का प्रतीक मानी जाने वाली बिरला सीमेंट वर्क्स (सीमेंट प्लांट) पर अब गंभीर आरोप लग रहे हैं — ग्रामीणों की जमीन हड़पने से लेकर धार्मिक स्थलों को मिटा देने तक। आरोप है कि विश्व धरोहर चित्तौड़ दुर्ग तक इसकी ब्लास्टिंग से खतरे में है। हम आपको दिखा रहे हैं एक ऐसी ग्राउंड रिपोर्ट, जो किसी उद्योग नहीं, पूरे जनजीवन की त्रासदी बन चुकी है। वीओ - 1 सुरजना, जई जैसे कई गांवों के ग्रामीणों ने बताया कि बिरला सीमेंट वर्क्स प्लांट ने सेफ्टी जोन के नाम पर उनकी जमीनें लीं। लेकिन न कोई सेफ्टी रही, न ही कोई रोजगार। उल्टा बरसो से बसे गांव, खेत, कुएं, घर और देवस्थान तक छीन लिए गए। ग्रामीणों को धमकाकर दस्तखत करवाए गए, और जो मुआवजा दिया गया, वो सिर्फ ऊंट के मुंह में जीरा भी नहीं था। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें गुमराह कर सेफ्टी जोन की जमीनें लेकर फैक्ट्री विस्तार किया गया। बिरला सीमेंट वर्क्स कम्पनी जमीनों का इस्तेमाल अपने व्यावसायिक लाभ के लिए करती रही, लेकिन जिनसे जमीनें छीनी गईं — उनकी पुकार तक किसी ने नहीं सुनी। प्रशासन को कई बार ज्ञापन दिए गए, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खामोशी मिली, और बिरला सीमेंट वर्क्स कम्पनी का विस्तार निर्बाध चलता रहा। बाइट - देवीलाल भील ..........वार्ड पंच, सुरजना बाइट - जयराज धाकड़............. ग्रामीण वीओ - 2 कई ग्रामीणों की आवाज़ में सिर्फ आक्रोश नहीं, बल्कि एक भावनात्मक त्रासदी छुपी है। वे बताते हैं कि उनके देवस्थान, कुलदेवी मंदिर और धार्मिक स्थल — जिन्हें पीढ़ियों से पूजा जाता था — सब मिटा दिए गए। जहां पहले दीप जलते थे, वहां अब माइनिंग की धमक और धूल उड़ती है। आस्था के केंद्र रहे स्थल आज मलबे में तब्दील हैं। यहां ना तो पंचायत की सुनी जाती है, ना प्रशासन की। बिरला सीमेंट वर्क्स प्रबंधन ने ग्रामीणों के अस्तित्व पर कब्जा कर रखा है, जहां अब आस्था नहीं, सिर्फ मुनाफा पूजा जाता है। स्थानीय प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है और कंपनी ने कानून को ताक पर रखकर आस्था पर बुलडोजर चला दिया है। बाइट - पुष्पा कुमारी ..........ग्रामीण महिला बाइट - धनराज भील .......... सुरजना बस्ती वीओ - 3 चित्तौड़ दुर्ग, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है, अब खनन की गूंज से दरकने लगा है। विशेषज्ञों का कहना है कि विजय स्तंभ, कीर्ति स्तंभ और कई ऐतिहासिक संरचनाओं में दरारें साफ देखी जा सकती हैं। कंपनियों के खनन कार्यों से धरती हिलती है, और यही कंपनियों के लाभ का कंपन, किले की नींव हिला रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 10 किलोमीटर के दायरे में ब्लास्टिंग पर रोक लगाई है, लेकिन कंपनी के प्रभाव और प्रशासन की चुप्पी ने इस आदेश को कागजों तक सीमित कर दिया है। सवाल उठता है — जब देश की धरोहर तक सुरक्षित नहीं, तो आम ग्रामीणों की जमीन कैसे बचेगी? यह सिलसिला इतिहास की हत्या जैसा है, जिसमें चुप्पी भी एक अपराध बन चुकी है। बाइट - डॉ. लोकेंद्र सिंह चुडावत .......... इतिहासकर बाइट - भूपेंद्र सिंह बड़ोली ..........पूर्व जिला प्रमुख वीओ - 4 ग्रामीणों का आरोप है कि जब आम आदमी 6 इंच ज़मीन पर ट्यूबवेल करता है तो प्रशासन जेल भेज देता है। लेकिन बिरला सीमेंट वर्क्स कम्पनी ने पूरे चारागाह, नाले और देवस्थानों पर कब्जा कर ऑफिस, वर्कशॉप और स्टोरेज बना लेती है। बिना किसी वैध अनुमति के धार्मिक जमीनों पर भी निर्माण किया गया, लेकिन प्रशासन मूकदर्शक बनकर बैठा रहा। पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता ने गांववालों में भरोसा खत्म कर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि अब वे ना तो अपने खेत बचा पा रहे हैं, ना ही अपनी आस्था। यह सब प्रशासन की मौन स्वीकृति से हो रहा है — और यही उन्हें सबसे ज्यादा डराता है कि अन्याय के खिलाफ बोलने वाला कोई नहीं बचा। बाइट - गोपाल सालवी...........ग्रामीण बाइट - देवीलाल धाकड़..........किसान विओ - 5 बिरला सीमेंट वर्क्स कम्पनी यह दावा करती है कि वह “कंट्रोल्ड ब्लास्टिंग” तकनीक से काम कर रही है, लेकिन सवाल यह है — जब तकनीक इतनी सुरक्षित है तो फिर घरों में दरारें क्यों? पानी के स्रोत सूख क्यों रहे हैं? मंदिर टूट क्यों रहे हैं? खेतों की फसलें मुरझा क्यों रही हैं? और सबसे अहम — जब जनता शिकायत करती है, तो उसे जवाब क्यों नहीं मिलता? कंट्रोल्ड ब्लास्टिंग एक छलावा बन चुकी है, जिसके पीछे कंपनी ने सारे दुष्परिणाम छिपा लिए हैं। शिकायत दर्ज कराने वालों को प्रलोभन और दबाव का सामना करना पड़ता है, जिससे स्पष्ट है कि यह सिर्फ तकनीकी नहीं, एक सुनियोजित व्यापारिक षड्यंत्र है। बाइट - कान सिंह राठौड़.............पूर्व नगर पालिका उपाध्यक्ष बाइट - भेरूलाल ............. ग्रामीण विओ - 6 चित्तौड़गढ़ की यह कहानी सिर्फ बिरला सीमेंट वर्क्स कम्पनी के खिलाफ नहीं, बल्कि उस तंत्र के खिलाफ है जिसने जन, जल, जंगल और ज़मीन — सब कुछ एक उद्योग के हवाले कर दिया। यहां अब रोजगार की उम्मीद नहीं, विस्थापन का भय है। यहां आस्था का स्थान विस्थापन ने ले लिया है, और परंपरा की जगह अब फैक्ट्री की धूल है। सरकार की जिम्मेदारी है कि वो जनता की पुकार सुने, क्योंकि अगर आज भी नहीं जागे — तो कल इतिहास भी सवाल करेगा। यह चुप्पी केवल आज की पीड़ा नहीं है, यह आने वाले समय का सबसे बड़ा अपराध बन सकती है। बिरला सीमेंट ने एक मॉडल उद्योग की जगह अब एक मॉडल शोषण तंत्र बना लिया है — जिसे अब रोकना ज़रूरी है। पिटीसी - अभिषेक शर्मा ............... जी मीडिया चित्तौड़गढ़
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