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बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने मखाने में खोजा कैंसर रोधी यौगिक!

AKAshwani Kumar
Jul 20, 2025 09:04:18
Bhagalpur, Bihar
एंकर - बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर ने एक और नया आयाम स्थापित किया लगातार नए-नए नवाचार पर पेटेंट हासिल करते हुए एक और पेटेंट का बादशाह बिहार कृषि विश्वविद्यालय बना। विश्वविद्यालय ने ऐसा खोज कर दिया की कैंसर रोधी गतिविधियों में उपयोगी हो सकता है। मखाना जो आज बिहार से निकल ग्लोबल पहचान बना चुका है उस मखाने में बीएयू के वैज्ञानिकों ने खास औषधीय यौगिक की खोज की है। जिसका नाम एन- ( 2 -आयोडिफेनिल) मिथेन्सलफ़ोनमाइड है। इस तरह की यौगिक पहली बार किसी प्राकृतिक उत्पत्ति में पाया गया है। अब तक यह केवल रासायनिक प्रक्रिया के तहत प्रयोग शाला में तैयार होता था। इस यौगिक की खोज के लिए बीएयू को पेटेंट मिला है। यह इस साल की चौथी बड़ी उपलब्धि है। भारत मे कूल 90 प्रतिशत मखाना का उत्पादन बिहार करता है ऐसे में यह किसानों के लिए खासकर सीमांचल के किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा। किसानों की आमदनी में जबरदस्त इज़ाफ़ा होगा। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कुलपति प्रोफेसर डॉक्टर डॉ डी आर सिंह की पहल पर मखाना की पैकेजिंग के लिए इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पैकेजिंग मुम्बई के साथ एमओयू साइन हुआ है। इस यौगिक का फायदा कैंसर के मरीजों के लिए भी होगा। बताया जा रहा है कि यह योग एंटी माइक्रोबियल और कैंसर रोधी गतिविधियों में उपयोगी हो सकता है क्योंकि इसकी क्रियाविधि में हाइड्रोजन और हैलोजन बांड बनता है जो जैव रासायनिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है। बता दें भारत मे कूल 90 प्रतिशत मखाना का उत्पादन बिहार करता है। बिहार में 2024 मैं 35000 एकड़ में मखाना की खेती हुई थी। मखाना को आगे बढ़ाने के लिए इसी साल के बजट में मखाना बोर्ड के गठन कि सहमति भी मिली है। Byte- साजिदा बानू, वैज्ञानिक, बीएयू सबौर
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