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Nagaur341001

कुचामन का प्राचीन शिव मंदिर: 250 साल पुरानी श्रद्धा का केंद्र!

DIDamodar Inaniya
Jul 14, 2025 05:02:49
Nagaur, Rajasthan
जिला- डीडवाना नावां लोकेशन- नावां शहर रिपोर्टर- मनीष पारीक मो 9928382887 @manishpurohit9 नांवा, डीडवाना कुचामन शहर में स्थित ढाई सौ साल पुराना शिव मंदिर जिसका शिवलिंग नागौर व डीडवाना कुचामन जिले का सबसे बड़ा शिवलिंग है इस शिवलिंग का रूप उज्जैन के प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में विराजमान शिवलिंग जैसा रूप है इस मंदिर में करीब ढाई सौ साल पुराना एक छोटा सा शिवलिंग है जिसे नागा साधुओं ने स्थापित किया था पुराने समय में नागा साधु इस मंदिर में तपस्या करते थे वह कहा जाता है अपने सर के ऊपर नागा साधु शिवलिंग रखकर तपस्या किया करते थे इस प्राचीन मंदिर को नानक शाहजी की बगीची के नाम से भी जाना जाता है मंदिर में प्राचीन धुंना प्राचीन कुआं सहित नागा साधुओं की कई प्राचीन चीज आज भी मौजूद है डिडवाना जिले के कुचामन में भगवान शिव के कई मंदिर मौजूद हैं. माना जाता है भगवान शिव के इन मंदिरों के दर्शन से प्रभु की कृपा प्राप्त होती है. इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि इन मंदिरों के दर्शन से मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. आइए जानते है. भगवान शिव के एक ऐसे ही प्राचीन मंदिर के बारे में जो अत्यधिक प्रसिद्ध है. और जहां भक्त अक्सर जाना पसंद करते हैं. आज हम आपको एक ऐसे प्राचीन शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे है. जहां जिस भी भक्त ने सच्चे मन से मुरादे मांगी उस भक्त की जरूर मनोकामना पूरी हुई, यह मंदिर करीब 250 साल पुराना है. कुचामन के सीकर रोड मोक्ष धाम के पास स्थित यह प्राचीन शिव मंदिर स्थित है. इस मंदिर में लोग दूर-दूर से शिवलिंग के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. और कहा जाता है कि यहां साक्षात शिव निवास करते हैं. इस मंदिर में जाने से शांति की प्राप्ति होती है और आपके जीवन में जितनी भी कठिनाइयां होती है उन सभी कठिनाइयों का भगवान शिव निवारण भी करते हैं. मंदिर में करीब 50 साल से सेवा देने वाले बृजमोहन सिंह ने बताया कि शिव मंदिर में जो शिवलिंग है वह करीब 250 साल पुराना बताया जाता है बृजमोहन सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि यहां पर पुराने समय में नागा साधु तपस्या करते थे वह मंदिर में किसी बाहरी आदमी का जाना मना था दिन में नागा साधु सामान्य रूप में रहते थे और रात को उनका रूप अलग हो जाता था इस प्राचीन मंदिर में आज भी कई समाधिया मौजूद है और यहां पर एक संत ने जीवित समाधि ली थी इस मंदिर की बहुत मान्यता है जो भी भक्त यहां सच्चे मन से मुराद मांगता है भगवान उनकी मुरादे जरूर पूरी करते हैं यहां जो भी भक्त आता है वह खाली हाथ लौटकर नहीं जाता।
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