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सिरसा के ग्रामीणों की 50 साल पुरानी मांग, आखिरकार पुल का निर्माण शुरू!
Sirsa, Haryana
एंकर रीड- हरियाणा के अंतिम छोर पर बसे सिरसा जिला में एक गांव ऐसा भी है जहाँ रोजाना ग्रामीणों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। दरअसल गांव बुढ़ाभाना से दूसरे गांव में जाने का कोई भी रास्ता नहीं है जिस वजह से ग्रामीणों ने पहले तो अपने स्तर पर एक छोटे और कच्चे पुल का निर्माण किया गया था लेकिन वो काफी जोखिम भरा था। कई हादसे भी हो चुके है। अब वो कच्चा और छोटा पुल ग्रामीणों ने बंद कर दिया है। अब ग्रामीण एक गांव से दूसरे गांव में जाने के लिए एक किस्ती का सहारा ले रहे है हालाँकि यह किस्ती भी जोखिम भरी है लेकिन कहते है न आदमी मरा तो क्या न करा। मजबूरीवश में ही ग्रामीणों को एक गांव से दूसरे गांव में जाने के लिए किस्ती का सहारा लेना पड़ता है यहाँ तक कि स्कूली बच्चे भी स्कूल जाने के लिए इसी किस्ती में सवार होकर ही जाते है भले ही जोखिम भरा सफर है लेकिन मज़बूरी का नाम महात्मा गांधी की कहावत यहाँ सटीक बैठती है। ग्रामीणों ने कई साल पहले भी सरकार के समक्ष गांव में पुल बनाने की मांग रखी थी जो काफी साल तक ठंडे बस्ते में रही और 3 साल पहले ग्रामीणों ने हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के सामने इस समस्या को रखा जिसके बाद पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने सरकार के अधिकारियों को इस गांव में पुल बनाने के आदेश दिए अब पुल बनाने का काम शुरू हो गया है जिससे ग्रामीण काफी उत्साहित दिखाई दे रहे है। ग्रामीणों ने इसके लिए हरियाणा सरकार का आभार भी जताया है।
वोल 1 बरसों से किश्ती के जरिए नदी पार करने वाले तीस से अधिक गांवों के लोगों का सौ वर्ष पुरानी मांग पूरी हो गई है। गांव बुढ़ाभाणा और फरवाईं खुर्द में घग्गर नदी पर आधुनिक पुल का निर्माण किया जा रहा है। इस पुल पर आठ करोड़ 21 लाख रुपए की लागत आएगी। पुल की ड्राइंग और नक्शा तैयार होने के बाद करीब 100 मीटर लंबा पुल बनाया जा रहा है। 6 पिलर बनाए जाएंगे। पिछले साल अप्रैल में इस पुल को लेकर टैंडर हुआ फिलहाल एक नाव के जरिए ग्रामीण नदी को पार करते हैं। जब नदी में करीब तीन से चार फुट पानी होता है तब एक जुगाडऩुमा पुल से पैदल एवं दोपहिया वाहनों के जरिए नदी को पार किया जाता था । इससे अक्सर हादसे भी होते रहते हैं। इस पुल के बनने के बाद आसपास के करीब दस गांव को प्रत्यक्ष रूप से जबकि 30 से अधिक गांवों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलेगा। पुल बनने के बाद सिरसा जिला के कई गांव से सीधे पंजाब से जुड़ जाएंगे और सिरसा शहर से भी दूरी कम हो जाएगी।
वोल 2 दरअसल गांव बुढ़ाभाणा, किराडक़ोट, नागोकी, फरवाईं खुर्द, फरवाईं कलां, दड़बी, पनिहारी, नेजाडेला, बप्प सहित अनेक गांवों के लोग पिछले काफी समय से घग्गर नदी पर पुल बनाने की मांग करते आ रहे हैं। गांव बुढ़ाभाणा और फरवाईंखुर्द दोनों गांव घग्गर नदी पर स्थित हैं। इन दोनों गांवों के बीच घग्गर नदी के दोनों और साढ़े 27 फीट से अधिक चौड़ा संपर्क मार्ग है। बीच में नदी है। ऐसे में इन गांवों को नदी में नाव के जरिए एक-दूसरे गांवों में आना पड़ता है। नाव के जरिए हर रोज अनेक गांव के लोग नदी पार करते हैं। परेशानी ये है कि गांव बुढ़ाभाणा, किराडक़ोट, नागोकी सहित एक दर्जन से अधिक गांवों वाया खैरेकां से सिरसा जाते हैं और इस रास्ते से शहर की दूरी करीब अलग-अलग गांवों में 22 से 30 किलोमीटर पड़ती है। जबकि नदी के जरिए सिरसा शहर की दूरी अलग-अलग गांवों से 8 से 12 किलोमीटर है। वहीं घग्गर नदी के दूसरे छोर फरवाईं खुर्द से ही पंजाब की सीमा भी करीब 28 किलोमीटर है। ऐसे में लंबे समय से बीस से अधिक गांवों के लोग नदी पर पुल बनाने की मांग कर रहे हैं। पुल निर्माण की यह मांग करीब पचास साल पुरानी है। अभी तक नदी पर पुल नहीं बना है। ऐसे में नाव और एक जुगाडऩुमा पुल ग्रामीणों का सहारा है। वर्तमान में चांदीराम कम्बोज नाव चलाते हैं। इस नाव के जरिए हर रोज सैकडों लोग नदी पार करते हैं। इससे पहले भजनलाल ने करीब दो दशक तक नाव चलाई। आजादी के बाद एक लोहे के बड़े कड़ाह से नदी पार करते थे। साल 1962 में गांव के प्यारा सिंह एक नाव लेकर आए। लंबे समय तक मथरादास ने भी नाव चनाई। इससे पहले मथरादास दड़ौच नाव चलाते थे। नाव के अलावा गांव के नौजवानों ने एक पुल बनाया हुआ है। ट्रक की चैसीज को जोडक़र एक जुगाडऩुमा पुल बनाया गया है। यह पुल तब नदी पार करने के काम आता है, जब नदी में करीब तीन से चार फीट पानी होता है। करीब सवा दो फीट चौड़े और बीस मीटर से अधिक लंबे इस जुगाडऩुमा पुल से कई बार दोपहिया वाहन सवार नदी में गिर भी चुके हैं। करीब एक सदी से बीस से अधिक गांवों के लोग पुल निर्माण की मांग करते आ रहे हैं। इस कड़ी में इलाके की दो दर्जन ग्राम पंचायतों की ओर से साल 2021 में जननायक जनता पार्टी के प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य प्रेम कुकरेजा के नेतृत्व में एक प्रस्ताव प्रदेश के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को दिया गया। दो दर्जन ग्राम पंचायतों ने बकायदा पुल निर्माण के लिए रेजुलेशन पास किए। इसके बाद तत्कालीन उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने इस मांग को स्वीकृत करवाया। इस पुल के बन जाने से गांव बुढ़ाभाणा, किराडक़ोट, फरवार्ईं खुर्द, फरवाईं कलां, नागोकी, अलीकां, बुर्जकर्मगढ़, मुसाहिबवाला, बप्प, ढाबा, सवाईपुर, वैदवाला, सिकंदरपुर, भरोखां, नेजाडेला सहित अनेक गांवों को लाभ मिलेगा।
वोल 3 गांव के नंदलाल हुड्डा, जगदीप सिंह, जगसीर सिंह ने बताया कि पुल न होने की वजह से गांव की अनेक बच्चियों की दसवीं से आगे की पढ़ाई बीच में छूट जाती है। नाव के जरिए ही नदी पार करके गांव की अनेक छात्राएं पढ़ने के लिए सिरसा व फरवाईं कलां में जाती हैं। विशेष बात यह है कि सिरसा जिला में घग्गर नदी की लंबाई करीब 40 किलोमीटर से अधिक है और हरियाणा में सबसे अधिक गांव इसी क्षेत्र में आते हैं। ऐसे में नदी तट पर बसे अनेक गांवों में पुल बनाने की मांग उठती रही है। इस कड़ी में कुछ गांवों में तो ग्रामीणों ने खुद पहल करते हुए पुल भी बनाया। साल 2004 में गांव मल्लेवाला में डेरा बाबा भूमणशाह के गद्दीनशीन रहे बाबा सेवा दास ने पहल की और ग्रामीणों के सहयोग से करीब अढ़ाई करोड़ रुपए की लागत से नदी पर पुल बनाया गया। इस पुल के बनने के बाद आसपास के गांवों में तरक्की का असर साफ नजर आया। इसी तरह से कुछ वर्ष पहले गांव पनिहारी में भी ग्रामीणों ने पहल करते हुए नदी पर पुल बनाया था।
वोल 4 - वहीं गांव बुढ़ाभाणा निवासी छात्रा ममता रानी , छात्र अभिषेक कुमार , ग्रामीण नवदीप सेतिया, त्रिलोचन सिंह, , ने बताया कि इस पुल के निर्माण होने से बीस से अधिक गांवों के हजारों ग्रामीणों को लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि घग्गर नदी पर पुल न होने के चलते ग्रामीणों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता था। ग्रामीण नाव के जरिए नदी पार करते थे और उसके बाद सिरसा शहर एवं पंजाब जाते थे। अब पुल का निर्माण जल्द शुरू हो जाता है तो इससे आसपास के गांव की तस्वीर बदल जाएगी। स्कूली बच्चों को पढाई करने के लिए स्कूल व कॉलेज जाने के लिए भी परेशानी होती थी। घग्घर नदी में पानी बढ़ने पर 2-2 छुट्टी करनी पड़ती थी। नदी पर पुल बनाने को लेकर छात्राओं ने खून से तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र भी लिखा था।
बाइट- ममता रानी , छात्रा।
बाइट-अभिषेक कुमार , छात्र।
बाइट- नवदीप सेतिया , ग्रामीण।
बाइट- त्रिलोचन सिंह, ग्रामीण।
बाइट- नन्दलाल हुडा, ग्रामीण।
बाइट- जगदीप सिंह, ग्रामीण।
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