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नैनीताल की नैनीझील में ऑक्सीजन संकट: 18 साल पुराने एयरेशन प्लांट से खतरा
GJGaurav Joshi
Nov 25, 2025 06:01:32
Nainital, Uttarakhand
सरोवर नगरी नैनीताल की धड़कन कही जाने वाली नैनीझील एक बार फिर गंभीर पर्यावरणीय संकट की ओर बढ़ रही है. झील के भीतर ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए लगाए गए एयरेशन सिस्टम के जर्जर होने से स्थिति चिंताजनक होती जा रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो झील के इकोसिस्टम को अपरिवर्तनीय नुकसान झेलना पड़ सकता है. दरअसल, 2007 में नैनीझील में ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने और उसे जीवित रखने के लिए एयरेशन सिस्टम लगाया गया था. यह सिस्टम झील की गहराई में पाइप्स और डिस्क के जरिए ऑक्सीजन पहुंचाता है, जिससे जल की गुणवत्ता संतुलित रहती है. उस समय झील की स्थिति बेहद खराब थी, पानी की पारदर्शिता खत्म हो रही थी और मछलियों समेत जलीय जीवों की संख्या तेजी से घट रही थी. तत्कालीन आयुक्त एस. राजू की पहल और ग्लोब एक्वा कंपनी के सहयोग से यह प्लांट स्थापित किया गया. इसके बाद जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय, पंतनगर द्वारा झील में मछलियां छोड़ी गईं, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार और पर्यटन को भी नया आयाम मिला. लेकिन अब 18 साल बाद यही सिस्टम खुद झील के लिए खतरा बन गया है. एयरेशन प्लांट के सुपरवाइजर आनंद सिंह बताते हैं कि सिस्टम के प्रमुख हिस्सों की आयु काफी पहले पूरी हो चुकी है. फ्लोमीटर की औसत आयु 10 वर्ष थी, जो 2017 में पूरी हो गई. वहीं ऑक्सीजन पाइप और डिस्क की आयु मात्र 5 वर्ष थी, जो 2013 में ही खत्म हो चुकी थी. वर्तमान स्थिति यह है कि दोनों फ्लोमीटर में लगे अधिकांश पाइप या तो बंद हो चुके हैं या धीमी गति से ऑक्सीजन दे रहे हैं. कुछ पाइप तो फट भी चुके हैं, जिससे ऑक्सीजन झील तक पहुंचने के बजाय रिसाव में ही खत्म हो जाती है. वहीं विशेषज्ञों की मानें तो सिर्फ 30 प्रतिशत ऑक्सीजन ही डिस्क तक पहुंच रही है. बाकी 70 प्रतिशत ऑक्सीजन का फटे पाइपों और खराब डिस्क के कारण रिसाव हो रहा है। एफवीओ - पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय पर इन पाइपों और उपकरणों को नहीं बदला गया तो आने वाले समय में एक बार फिर से नैनीझील में ऑक्सीजन का संकट मंडराने लगेगा, जिससे एक बार फिर इसका असर मछलियों और जलीय जीवों पर पड़ेगा. ऑक्सीजन की कमी से उनकी मृत्यु दर बढ़ सकती है, जिससे झील की जैव विविधता पर सीधा खतरा आएगा. साथ ही जल की गुणवत्ता गिरने से पेयजल स्रोत और पर्यटन दोनों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है. पर्यावरण प्रेमी और स्थानीय विशेषज्ञ प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, ताकि नैनीझील में ऑक्सीजन संकट गहराकर किसी बड़े पारिस्थितिक नुकसान का कारण न बन जाए. नैनीताल की पहचान और जीवनरेखा कही जाने वाली नैनीझील एक बार फिर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने के लिए अग्रसर है
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