झांसी भाजपा प्रत्याशी अनुराग शर्मा ने कही बड़ी बात
झांसी में भाजपा प्रत्याशी अनुराग शर्मा ने ललितपुर लोकसभा सीट पर प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया। उनके साथ भाजपा विधायक रवि शर्मा, विधायक राजीव सिंह पारीछा, विधायक जवाहर लाल राजपूत और प्रदेश सरकार के मंत्री मनोहर लाल मन्नू कोरी मौजूद रहे। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य मौजूद रहे। भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी अनुराग शर्मा ने कहा कि हम लोग शिक्षा और स्वास्थ्य में और काम करना चाहते हैं।
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चुरहट विधायक अजय सिंह राहुल के द्वारा विधायक निधि को लेकर उठाए गए सवाल मामले में सीधी के प्रभारी मंत्री दिलीप जायसवाल ने किया पलटवार बार, मंत्री ने कहा कि अजय सिंह को सिर्फ आरोप लगाना है पहले भी विधायक थे कुछ किया नहीं आज भी कुछ करना नहीं है,मंत्री ने अजय सिंह के सोच और नियत पर खड़ा किया सबाल कहा उनको कुछ अच्छा करना ही नहीं है,सरकार उनको भी दे रही है पैसा कहि किसी भी बिधायक को नहीं मिल रहें है अलग से 15 करोड़,जो भी प्रदेश में हो रहा है मुख्यमंत्री आधोसरनचना संरचना मद से वह भी जाएं उन्हें भी मिलेगा काम, कांग्रेस के 55 साल और हमारे 11 साल के विकास को लेकर किसी भी मंच में आ जायें हम डिबेट करने को है तैयार।।। बाइट 1 अजय सिंह राहुल पूर्व नेता प्रतिपक्ष बाईट:-2दिलीप जयसबाल प्रभारी मंत्री सीधी
सीहोर अमर शहीद कुंवर चैन सिंह का बलिदान दिवस बड़ी धूमधाम से बनाया गया। कुंवर चैन सिंह को उनकी छतरी प
पीलीभीत में 17 जुलाई से आतंक का पर्याय बनी बाघिन को को आखिरकार ऑपरेशन थर्ड आई के तहत डंडिया गांव से रेस्क्यू कर लिया गया है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में 80 लोग 15 वाहन व 3 ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। 11 घंटे चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद वन विभाग को सफलता मिली, और बाघिन पिंजरे में कैद हो गई। इस बाघिन ने एक दर्जन गांव की नींद उड़ा दी थी, स्कूल बंद हो गए थे। किसानों ने खेतों पर जाना छोड़ दिया था। वी/ओ01 दरअसल 17 जुलाई को बाघिन ने तीन लोगों पर हमला किया जिसमें एक महिला की मौत हो गई जबकि दो लोग घायल हो गए थे। 17 जुलाई को थाना न्यूरिया क्षेत्र के गांव सहजना में मुन्नी देवी को बुरी तरह घायल कर दिया, वह अब भी लखनऊ में एडमिट है। इसके 3 घण्टे बाद बाघिन मंडरिया गांव पहुची थी। वहां इसने पहले 17 साल के नीलेश को घयल किया फिर उसके 15 मिनट बाद इसी गांव की कृष्णा देवी 55 साल को मार डाला था। घटना को अंजाम देकर बाघिन आसपास के एक दर्जन गांवों में घूमने लगी। ग्रामीण दहशत में आ गए स्कूलों को बंद करना पड़ गया इसके बाद शासन ने बाघिन को पकड़ने की परमिशन दी। डॉक्टर नजीर व डॉक्टर दक्ष गंगवार के नेतृत्व में ऑपरेशन चलाया गया और इस ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन थर्ड आई दिया गया। आखिरकार 24 जुलाई की देर शाम इस बाघिन को दोनों डॉक्टर ने गन्ने के खेत में बेहद मुश्किल भरी स्थिति में बेहोश कर रेस्क्यू कर लिया। इसके बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। इसको देखने के लिए देर रात ग्रामीण अपनी छतों पर चढ़ गए और उन्होंने जश्न मनाया। अभी डॉक्टर बाघिन का मेडिकल परीक्षण कर रहे हैं। अभी पीटीआर में ही इसको रखा गया है शासन से निर्देश के बाद इसको जंगल छोड़ा जाएगा या कहीं और इसका पर फैसला होगा।
सारण जिले के हर क्षेत्र पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है, मढौरा के शीलहौरी में भी भगवान बिष्णु की मायानगरी बनी थी, भगवान विष्णु ने देवऋषि नारद के ब्रह्मचर्य की रक्षा करने के लिए मढ़ौरा के बगल में एक मायानगरी की स्थापना की थी । छपरा जिले के मढौरा मुख्यालय से 2 किमी की दूरी पर स्थित शिल्हौरी शिव मंदिर का इतिहास विष्णु पुराण में वर्णित है, पौराणिक कथाओं में कहा जाता है, शिल्हौरी में श्री हरि विष्णु द्वारा माया की नगरी की रचना की गई थी, ताकि हरि विष्णु के भक्त देवर्षि नारद मुनि का मोह भंग किया जा सके। नारद मुनि श्रीहरि भगवान विष्णु की तपस्या में लीन थे, जिसके बाद उनकी तपस्या भंग करने को लेकर देवराज इंद्र द्वारा कामदेव को भेजकर उनकी तपस्या भंग कराने की पूरी कोशिश की गई, लेकिन देवर्षि नारद के ऊपर कामदेव का कोई प्रभाव नही पड़ा, जिससे नारद जी को इस बात का अहंकार हो गया था, की उन्होंने कामदेव पर विजय प्राप्त कर लिया है, उन्होंने इस बात की चर्चा भगवान शिव से की, नारद मुनि की इन बातों को सुनकर भगवान शिव समझ गये की नारद जी को अहंकार हो गया है। उन्होंने मन ही मन सोचा कि श्री हरि विष्णु को यदि इनके अहंकार का पता चल जायेगा, तो निश्चित ही नारद का अहित ही होगा, इसलिये उन्होंने नारद मुनि से कहा कि आप इस बात को श्री हरि विष्णु जी की नही बताइयेगा, लेकिन अहंकार में चूर नारद जी से रहा नही गया, वो भगवान शिव की बातों को अनसुना कर क्षीरसागर में पहुँचकर विष्णु जी से सब बातें बता दी। और नारद जी वहां से निकल पड़े। विष्णु जी तो खुद ही लीलाधारी है, उन्होंने देवर्षि नारद जी की बातों को सुनकर सोचा कि कोई ऐसा उपाय करता हूँ, जिससे नारद का अहंकार भी चूर हो जाये और मेरी लीला भी चलती रहे। नारद जी जिस रास्ते से जा रहे थे, वहां से सौ योजन की दूरी पर श्री हरि विष्णु ने एक माया की नगरी रची, और उस नगरी के राजा शीलनिधि थे, और उनकी एक पुत्री विश्वमोहिनी, वो भी इतनी सुंदर की स्वयं लक्ष्मी भी उनपर मोहित हो जाये। नगर के रास्ते से देवर्षि नारद को जाते देख राजा शीलनिधि ने देवर्षि नारद से अपनी पुत्री विश्वमोहिनी का हस्तरेखा देखने का आग्रह किये। उनकी हस्तरेखा बता रही थी कि विश्वमोहिनी जिससे भी शादी करेगी वह अमर हो जायेगा, वह तीनो लोको का स्वामी होगा, संसार के समस्त चर-अचर जीव उनकी सेवा करेंगे। इसी सोच में पड़े नारद मुनि ने राजा शीलनिधि से असल बात ना बताकर कुछ बनावटी बातें बनाकर वहां से निकल गए, और नारद जी मन ही मन विश्वमोहिनी को पाने के लिये विचार करने लगे, इसी बीच उनके मन में यह बात बात आई कि विश्वमोहीनी को पाने लिए सबसे सुंदर होना बहुत जरूरी है, फिर क्या था सुंदर स्वरूप पाने की इच्छा मन में पाले हुए देवर्षि नारद श्री हरि विष्णु के वापस गये। और उनसे श्री हरि विष्णु के एक स्वरूप को ही मांग लिया, भगवान ने हरि के एक स्वरूप बंदर का रूप देवर्षि नारद को दे दिया। उधर विश्वमोहिनी के स्वंयम्बर में पहुँचे देवर्षि नारद मुनि अत्यंत ही प्रसन्न थे, की विश्वमोहिनी उनका ही चयन करेंगी, तभी उस सभा मे राजा के भेष में श्री हरि विष्णु पहुँचे और विश्वमोहिनी ने राजा के वेश में पहुँचे श्री हरि विष्णु के गले मे वरमाला डाल दी। फिर क्या था नारद जी अपने साथ हुए छल और जल में बंदर स्वरूप देखकर अत्यंत क्रोधित हो गये और उसी समय उन्होंने श्री हरि विष्णु को श्राप दिया कि जिस प्रकार से आपने नर रूप में आकर मेरा उपहास किया, बंदर का स्वरूप दिया और मुझे स्त्री वियोग दिया है, उसी तरह आप भी नर रूप धारण करेंगे और स्त्री वियोग सहन करना पड़ेगा, और उस समय बंदर ही आपके काम आएंगे। नारद मोह भंग की कथा वाली यह जगह फिलहाल छपरा जिले के मढौरा प्रखंड मुख्यालय से नजदीक शिल्हौरी है। आज भी बारहों मास दूर दराज से श्रद्धालु यहां पहुँचते है, सावन और महाशिवरात्रि पर यहां विशेष पूजा और सजावट के साथ ही भंडारा का आयोजन होता है। जिसमे पहुंचने वाले लाखों श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है। wt राकेश कुमार सिंह