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Gorakhpur घर परिवार छोड़ वन जाने में नहीं, असली वैराग्य दुर्गुणों को छोड़ना है-प्रदीप मिश्र
Khajani, Uttar Pradesh
खजनी गोरखपुर।
संसार में लोग घर परिवार को छोड़कर सन्यासी बन कर वन में जा कर रहने को वैराग्य समझते हैं, जबकि ऐसा नहीं है वास्तविक वैराग्य तो ईर्ष्या, क्रोध, लोभ, मोह, कामनाएं, अहंकार, चोरी, चुगली आदि दुर्गुणों को छोड़ कर भगवान का नित्य स्मरण करने में है। संसार में रह कर अपने सभी सांसारिक दायित्वों का पूरी निष्ठा ईमानदारी और समर्पित भाव से निभाते हुए प्रभु के चरणों में प्रिती रखना ही इस मानव जीवन का असली वैराग्य है।
उक्त विचार श्रीमद्भागवत कथा महापुराण के पहले दिन व्यास पीठ से अयोध्या से पधारे कथाव्यास आचार्य प्रदीप मिश्र ने व्यक्त किए। मंगलाचरण की कथा सुनाते हुए उन्होंने बताया कि चार वेदों में सिर्फ एक वेद का अध्ययन करने में 12 वर्ष लग जाते हैं। कथा में बड़ी संख्या में भक्त श्रोता मौजूद रहे।
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