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राष्ट्रीय बाघ गणना शुरू: कॉर्बेट में 550 से अधिक कैमरा ट्रैप के साथ तीन चरणों में गिनती
RRRakesh Ranjan
Dec 14, 2025 10:09:25
Noida, Uttar Pradesh
देशभर में हर चार वर्ष में की जाने वाली राष्ट्रीय बाघ गणना (टाइगर सेंसस) की प्रक्रिया आज औपचारिक रूप से शुरू हो गई है. इस महत्वपूर्ण गणना के तहत देश के सभी प्रमुख टाइगर रिजर्व और वन क्षेत्रों में बाघों की संख्या उनके वितरण क्षेत्र और मूवमेंट पैटर्न का वैज्ञानिक आकलन किया जाएगा. इस बार भी टाइगर सेंसस में modern तकनीकों और वैज्ञानिक तरीकों पर विशेष जोर दिया गया है. टूरिज्म वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) द्वारा वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है. प्रशिक्षण के दौरान गणना के वैज्ञानिक पहलुओं, डेटा संग्रह और विश्लेषण की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया गया, ताकि गणना पूरी तरह से सटीक और विश्वसनीय हो सके. इस बार बाघ गणना में कैमरा ट्रैप तकनीक को प्रमुख रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है, यह तकनीक बाघों की पहचान के लिए सबसे आधुनिक और भरोसेमंद मानी जाती है. कैमरा ट्रैप से ली गई तस्वीरों में बाघों की धारियों के पैटर्न के आधार पर उनकी पहचान की जाती है. विशेषज्ञों के अनुसार हर बाघ की धारियां इंसान के फिंगर प्रिंट की तरह यूनिक होती हैं, जिससे एक-एक बाघ की सही पहचान संभव हो पाती है. इस पद्धति से न सिर्फ बाघों की वास्तविक संख्या का पता चलता है, बल्कि उनके क्षेत्र, आवास और गतिविधियों से जुड़ा महत्वपूर्ण डेटा भी प्राप्त होता है. यह राष्ट्रीय गणना केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि भविष्य की संरक्षण नीतियों और वन्यजीव प्रबंधन की दिशा तय करने में भी अहम भूमिका निभाती है. बाघों की बढ़ती या घटती संख्या के आधार पर सरकार और वन विभाग संरक्षण योजनाओं को और मजबूत करता है. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व विश्व प्रसिद्ध है और बाघ घनत्व के मामले में इसे दुनिया के प्रमुख टाइगर आवासों में गिना जाता है. यहां 260 से अधिक बाघों की उपस्थिति दर्ज की गई है, जो इसे भारत और वैश्विक स्तर पर भी अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है. पूरे उत्तराखंड राज्य में बाघों की संख्या करीब 560 बताई जाती है. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर राहुल मिश्रा ने बताया कि आज से कॉर्बेट में बाघ गणना का कार्य शुरू कर दिया गया है. यह गणना तीन चरणों में पूरी की जाएगी. इसके लिए रिजर्व क्षेत्र में 550 से अधिक कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं, ताकि हर क्षेत्र को कवर किया जा सके और सटीक आंकड़े सामने आ सकें. उन्होंने कहा कि यह सर्वे बाघ संरक्षण के लिहाज से बेहद अहम है और इससे आने वाले वर्षों की रणनीति तय होगी.
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