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प्रतापगढ़ में अरावली बचाओ अभियान, आदिवासी संगठनों का प्रदर्शन
HUHITESH UPADHYAY
Dec 23, 2025 10:18:04
Pratapgarh, Rajasthan
अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर मंगलवार को प्रतापगढ़ मिनी सचिवालय में भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा का आक्रोश फूट पड़ा। अरावली बचाओ अभियान के तहत भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा और भारत आदिवासी पार्टी सहित कई सामाजिक संगठनों ने मिनी सचिवालय परिसर में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और पदाधिकारी मौजूद रहे, जिन्होंने सरकार, जिला प्रशासन और जिला कलेक्टर के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने अधिकारियों को मिनी सचिवालय के नीचे बुलाने की मांग की और अंदर ही धरने पर बैठ गए। आंदोलनकारियों का आरोप था कि जब भी वे अपनी समस्याओं और मांगों को लेकर ज्ञापन देने आते हैं, तब-तब जिला कलेक्टर उपलब्ध नहीं रहते, जिससे आमजन की आवाज को अनसुना किया जा रहा है।
इस विरोध प्रदर्शन में डूंगरपुर सांसद राजकुमार रोत भी विशेष रूप से पहुंचे। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि अरावली पर्वतमाला आदिवासी क्षेत्रों में जल, जंगल और जमीन की सुरक्षा का मूल आधार है। अरावली का अस्तित्व केवल पहाड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र की जीवन रेखा है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा अरावली को लेकर लिया जा रहा फैसला सीधे तौर पर आदिवासी समाज और पर्यावरण के भविष्य से जुड़ा हुआ है।
राजकुमार रोत ने आरोप लगाया कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में सरकार की सिफारिश पर अरावली पर्वत श्रृंखला की जो नई परिभाषा प्रस्तुत की गई है, वह पूरी तरह एकतरफा है। इस परिभाषा को तय करने से पहले न तो स्थानीय निवासियों से और न ही सामाजिक संगठनों से कोई चर्चा की गई। राज्य सरकार की समिति द्वारा तैयार ड्राफ्ट के अनुसार केवल 100 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र को ही अरावली माना जाएगा, जबकि 100 मीटर से नीचे के हिस्से को अरावली से बाहर कर वहां खनन की अनुमति देने का रास्ता साफ किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस नई परिभाषा का असली उद्देश्य बड़े उद्योगपतियों के हित में खनन को बढ़ावा देना है। अरावली क्षेत्र में लिथियम और बॉक्साइट जैसे महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों के भंडार पाए गए हैं, जिन्हें हासिल करने के लिए देश-विदेश की कंपनियों का दबाव सरकार पर बनाया जा रहा है। यदि खनन को अनुमति दी गई तो इससे पर्यावरणीय असंतुलन पैदा होगा और आदिवासी क्षेत्रों में जलस्रोत, जंगल और खेती योग्य जमीन को भारी नुकसान पहुंचेगा।
प्रदर्शन के दौरान सांसद राजकुमार रोत के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। आंदोलनकारियों की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट में दी गई अरावली की नई परिभाषा को खारिज कराया जाए और पूरे मामले की दोबारा समीक्षा के लिए एक नई समिति का गठन किया जाए। साथ ही, किसी भी निर्णय से पहले क्षेत्र के लोगों के साथ जनसुनवाई कर उनकी सहमति और सुझाव लिए जाएं।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार और प्रशासन ने उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। आने वाले दिनों में इस मुद्दे को लेकर उदयपुर संभाग मुख्यालय पर एक विशाल रैली आयोजित कर सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा。
कुल मिलाकर, प्रतापगढ़ मिनी सचिवालय में हुआ यह प्रदर्शन अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर आदिवासी समाज की गहरी चिंता और आक्रोश को दर्शाता है。
बाइट- राजकुमार रोत, डूंगरपुर सांसद
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