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साइबर ठगों के नए जाल: डीलरशिप लेने के नाम पर लाखों लूट
VPVinay Pant
Nov 11, 2025 11:25:19
Jaipur, Rajasthan
जयपुर
साइबर ठग नित नए तरीके अपनाकर लोगों को लुभावने ऑफर्स के झांसे में ले अपने जाल में फंसा कर लाखों रुपए की ठगी का शिकार बना रहे हैं। साइबर ठग आमजन को बड़े और भरोसेमंद व्यापारिक ब्रांड्स की डीलरशिप या फ्रेंचाइजी दिलाने के नाम पर ठग रहे हैं। जिसे लेकर पुलिस मुख्यालय की साइबर ब्रांच की ओर से एडवाइजरी जारी की गई है। साइबर अपराधी आकर्षक ऑफर और स्कीम का लालच देकर, रजिस्ट्रेशन फीस, सिक्योरिटी डिपॉज़िट और एनओसी शुल्क के नाम पर पैसे ऐंठ रहे हैं। साइबर ठग इस अपराध को अंजाम देने के लिए एक संगठित तरीका अपनाते हैं। ये अपराधी मोबाइल कॉल, ईमेल या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से लोगों से संपर्क कर खुद को संबंधित कंपनी का उच्च अधिकारी बताते हैं। इसके बाद आकर्षक स्कीम बताकर और डิลरशिप—फ्रेंचाइजी की उपलब्धता सीमित होने का हवाला देकर जल्दी निर्णय लेने का दबाव बनाते हैं।
विभिन्न शुल्कों के नाम पर ठगी जाती है राशि
साइबर ठग रजिस्ट्रेशन फीस, सिक्योरिटी डिपॉज़िट या एनओसी शुल्क जैसी विभिन्न शुल्कों की तुरंत मांग करते हैं और उन्हें बताए गए बैंक खाते में जमा करने को कहते हैं। जैसे ही राशि जमा होती है, साइबर ठग अपने फ़ोन नंबर या ईमेल पर जवाब देना बंद कर देते हैं, तब पीड़ितों को ठगी का एहसास होता है।
पुलिस की आमजन को महत्वपूर्ण सलाह
साइबर ठगी का शिकार होने से बचने के लिए पुलिस द्वारा यह सलाह दी जाती है कि हमेशा डीलरशिप या फ्रेंचाइजी की जानकारी के लिए सीधे ब्रांड की आधिकारिक वेबसाइट पर ही जाएं। सोशल मीडिया पर दिखने वाले विज्ञापनों पर तुरंत भरोसा न करें। यदि कोई व्यक्ति आपको कॉल करता है, तो उसके नाम, पद और कर्मचारी आईडी की पुष्टि कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट से अवश्य करें। केवल कंपनी के आधिकारिक डोमेन से आने वाले ईमेल पर ही विश्वास करें। धनराशि देने से पहले व्यक्तिगत रूप से कंपनी के आधिकारिक कार्यालय में जाकर पूरी प्रक्रिया और दस्तावेजों की पुष्टि करें। धनराशि हमेशा कंपनी के नाम वाले चालू खाते में ही भेजें, किसी व्यक्तिगत बचत खाते में कभी नहीं। अगर मुनाफा या डील अविश्वसनीय रूप से आकर्षक लग रही है तो समझ लें कि यह एक धोखाधड़ी का जाल हो सकता है।
ठगी का शिकार होने पर करें यह उपाय
यदि आप इस प्रकार की धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं तो तुरंत अपने बैंक को इस धोखाधड़ी की सूचना दें ताकि ट्रांसेक्शन को रोका जा सके। इसके साथ ही साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 और साइबर क्राइम रिर्पोटिंग पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज कराए। इसके साथ ही साइबर थाने या संबंधित थाने में भी शिकायत दें ताकि ट्रांजैक्शन को रोक राशि को होल्ड कराया जा सके और उसे वापस धारक को दिलाने की प्रक्रिया शुरू की जा सके।
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