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राजस्थान में अतिवृष्टि से फसल बर्बाद, किसान की आर्थिक चिंताएं गहराईं
DRDamodar Raigar
Nov 07, 2025 11:31:50
Jaipur, Rajasthan
राजस्थान में बेमौसम हुई अतिवृष्टि से फसल खराब का लेखा-जोखा अभी चल ही रहा है, राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता ने बताया कि देवउठनी एकादशी पर राजस्थान के गाँवों में हजारों शादियां सम्पन्न हुई, 55 हजार गांवों और असंख्य ढाणियों से मिलकर ग्रामीण राजस्थान बनता है, गांवों में देश की 60 प्रतिशत जनता रहती है, गत वर्ष 6 लाख किग्रा. चांदी की बिक्री हुई जबकि इस वर्ष यह बिक्री 1.5 लाख किग्रा. हुई, कारण रहा अतिवृष्टि के कारण फसल खराब हुई और चांदी के भाव भी तेज रहे, अतिवृष्टि के कारण खराब हुई फसल ने किसान को उदास कर दिया, किसान के हाथ से आया हुआ धन फिसल गया, किसान की प्राथमिकता शादी में गहने खरीदने से पहले बैंकों का ऋण चुकाना हो गया,
फसल खराब होने से पापड़ व मंगोड़ी उद्योग भी संकट—
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता ने बताया कि राजस्थान में खरीफ की फसल में 50 लाख टन बाजरा, 22 लाख टन मक्का, 5 लाख टन ज्वार, 16 लाख टन मूंग, 4 लाख टन मोठ, 1.70 लाख टन उड़द, 50 हजार टन चौला, 24 लाख टन मूंगफली की पैदावार तो की है, लेकिन अतिवृष्टि के कारण कहीं 80 प्रतिशत क्रोप खराब, कहीं 60 प्रतिशत क्रोप खराब, कहीं 50 प्रतिशत क्रोप खराब और कहीं-कहीं 90 से 95 प्रतिशत क्रोप भी खराब हुई है, उत्पादन का 60 प्रतिशत बाजरा कैटल फीड में जा रहा है यहीं हालात ज्वार व मक्का का है, इसी प्रकार दलहन की बात करें तो नीचे में मूंग का भाव 2 हजार रुपये क्विंटल है और ऊपर में 8 हजार क्विंटल है, इसका भी अनुपात 60-40 का ही है, यही हालात तुअर दाल, उड़द व मोठ का भी है, मोठ की दाल खराब होने के कारण बीकानेर का पापड़ व मंगोड़ी उद्योग भी संकट में आ गया है,
फसल खराब से किसान की प्राथमिकता रह गई—
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता ने बताया कि किसान की चार प्राथमिकता होती है, फसल के आते ही किसान सबसे पहले ब्याह-शादी में खर्च करना चाहता है, दूसरी प्राथमिकता में खरीदे गए बीज के लिए लिया गया उधार पैसा चुकाना है, तीसरी प्राथमिकता में घर-परिवार के कपड़े जिनमें घाघरा, लूगड़ी, पोमचा, पीला औरतों के लिए और धोती, साफा, अंगरखी, पुरुषों के लिये खरीदना चाहता है, बच्चों की शिक्षा के लिए भी होने वाला खर्च उसकी प्रथम प्राथमिकता में ही आता है, कहीं खेत में पानी भरा है तो कहीं फसल आडी पड़ने से खत्म हो गई है, कहीं तूफान में तैयार हुई फसल बर्बाद हो गई है, ऐसे में इसकी प्रथम प्राथमिकता ब्याह-शादी में ही उसे कटौती करनी पड़ी है, जिसमें गले की खुंआली, हंसली व ज्यौला, सिर की रखड़ी व बोरला, हाथ की बंगड़ी, गोखरूं, बाजूबंद, पूंछी तथा पाँव की कड़ियां व टणके सभी चांदी द्वारा निर्मित व आवश्यकतानुसार नहीं खरीद पाया, यही हाल कपड़ों की खरीद जिसमें घाघरा, लूगड़ी, पीला पोमचा, साफा, धोती, अंगरखी का भी खरीदना संभव नहीं हो पाया, बच्चों को पढ़ाने के लिये फीस चुकाना और बैंकों का लिया ऋण उसकी प्रथम प्राथमिकता रह गई, राजस्थान के किसान की यह देवउठनी एकादशी उदासीन एकादशी रही,
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