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Lucknow226001

संदिग्ध परिस्थितियों में युवक की आत्महत्या, परिवार में मातम

Arvind Dubey
Jul 06, 2025 14:03:29
Lucknow, Uttar Pradesh
Arvind dubey Sonbhdra 9415328369 Anchor: सोनभद्र जनपद के चोपन थाना क्षेत्र स्थित हाइडिल कालोनी में एक 34 वर्षीय युवक ने संदिग्ध परिस्थितियों में जहरीले पदार्थ का सेवन कर लिया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। मृतक अपने पीछे दो मासूम बच्चों को छोड़ गया है, जिससे परिवार और स्थानीय क्षेत्र में शोक की लहर है। घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और आवश्यक कार्रवाई प्रारंभ कर दी है। यह अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है कि युवक ने यह कदम किन परिस्थितियों में उठाया। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि युवक पिछले कुछ समय से मानसिक तनाव में था। Vo: चोपन थाना क्षेत्र के हाइडिल कालोनी निवासी वीरेंद्र उपाध्याय 34 वर्ष ने संदिग्ध परिस्थितियों में जहरीले पदार्थ का सेवन कर लिया। युवक की हालत बिगड़ने पर परिजन उसे आनन-फानन में अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।" मृतक वीरेंद्र अपने पीछे दो मासूम बच्चों और पत्नी को छोड़ गया है। पूरे इलाके में इस घटना के बाद शोक की लहर दौड़ गई है। लोगों का कहना है कि वह पिछले कुछ समय से मानसिक तनाव में था। हालांकि, अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि युवक ने यह कदम क्यों उठाया। परिजनों का कहना है कि युवक पिछले कुछ समय से गहरे मानसिक तनाव से जूझ रहा था। आर्थिक परेशानियों और सामाजिक उपेक्षा ने उसे इस कदर तोड़ दिया कि उसने आत्मघात जैसा भयावह कदम उठा लिया। घर में अब सिर्फ मातम है — पत्नी की सिसकियाँ और बच्चों की मासूम निगाहें हर किसी की आंखें नम कर रही हैं। वो मासूम अभी ये भी नहीं समझ पा रहे कि उनके सिर से पिता का साया हमेशा के लिए उठ गया है। Vo: कभी अपने परिवार का सहारा रहा एक पिता, अब एक तस्वीर में कैद होकर रह गया। 34 वर्षीय युवक ने संदिग्ध परिस्थितियों में जहर खाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। पीछे छूट गईं टूटी हुई यादें… बेसहारा पत्नी और दो मासूम बच्चे, जो अब हर आने-जाने वाले से सिर्फ एक सवाल करते हैं पापा कब लौटेंगे?” पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल है। आँखों में आंसू, होंठों पर एक ही शब्द — “अब हमारे जीवन का क्या होगा?” वो स्तब्ध है… क्योंकि जिस शख्स ने हर मुश्किल में उसके साथ खड़े रहने का वादा किया था, वो आज अचानक खुद ही हार गया। और इन मासूम आंखों को देखिए… जिनमें अब भविष्य नहीं, सिर्फ खालीपन और डर है। वे अब भी दरवाज़े की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं, जैसे उन्हें यकीन न हो कि उनके पापा अब कभी वापस नहीं आएंगे। घर में खिलौने हैं, किताबें हैं… लेकिन अब हँसी नहीं है। हर कोना जैसे पूछ रहा है — क्या ज़िंदगी इतनी बेबस हो सकती है।
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