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अलवर में अनोखा विवाह: भगवान जगन्नाथ और माता जानकी की भव्य वरमाला!
Alwar, Rajasthan
एंकर ,विजुअल, बाइट
अलवर शहर के रूप बास स्थित रूप हरि मंदिर में रविवार रात 11 बजे पूरे विधि विधान से भगवान जगन्नाथ व माता जानकी का विवाह संपन्न हुआ. वरमाला के दौरान भगवान जगन्नाथ व माता जानकी को 10 से ज्यादा वरमालाए पहनाई गई. जिसमें परंपरा के अनुसार सबसे पहले शहर के कंपनी बाग से आई वरमाला पहनाई गई. इसके बाद गुलाब व मोगरे के फूलों, चांदी की वरमाला साहित अन्य वरमाला पहनाई गई. इस दौरान पंडित कृष्ण गोपाल की ओर से मंत्रोच्चारण किया गया. पूरे भारतवर्ष में अलवर शहर में ही भगवान जगन्नाथ व माता जानकी का विवाह संपन्न किया जाता है. जिसके साक्षी बनने के लिए अलवर जिले से ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी श्रद्धालू पहुंचते हैं.
मंदिर के महंत धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि रविवार रात को पौराणिक रिवाजों के साथ भगवान जगन्नाथ जी का विवाह संपन्न हुआ. इस दौरान पूरे लवाजमे के साथ माता जानकी अपने नोहरे से रथ में विराजित होकर मंदिर परिसर पहुंची.जहां सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु वरमाला के साक्षी बनने के लिए आतुर थे. वरमाला महोत्सव में मंदिर के महंत की ओर से सबसे पहले कंपनी बाग से आई 15 फीट की वरमाला पहनाई गई. इसके बाद अन्य वरमाला पहनाकर विवाह को संपन्न कराया गया. वरमाला महोत्सव के दौरान मंदिर परिसर जानकी मैया जय जगदीश के जयकारों से गूंज उठा.
रूपबास की महिलाओं ने नोहरे में किया कन्यादान___ रविवार सुबह करीब 9 बजे रूपबास स्थित जगन्नाथ मंदिर से माता जानकी की सावरी रूपबास के लिए रवाना हुई. माता जानकी के रूप बास पहुंचने के बाद वहां मौजूद महिलाओं व पुरुषों ने सबसे पहले रथ को कलावा बांधा व आरती की. ऐसी परंपरा है कि रूप बास के लोग माता जानकी को अपनी बेटी मानते हैं. नोहरे में ठहरने के बाद से ही कन्यादान दान का दौर शुरू हो गया. जो वरमाला से पहले करीब रात 9 बजे तक चलता रहा. बड़ी संख्या में महिलाओं व पुरुषों ने कन्यादान किया.
एक मात्र जगह जहां होता है विवाह संपन्न __मंदिर के महंत धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि भारतवर्ष में अलवर शहर की रथ यात्रा एक अनोखी रथ यात्रा है. यहां भगवान जगन्नाथ व माता जानकी का अनोखा विवाह संपन्न किया जाता है. पूरे भारतवर्ष में अलवर शहर में ही इस तरह की परंपरा निभाई जाती है. जिसमें शामिल होने के लिए अन्य राज्यों के लोग भी अलवर पहुंचते हैं.
महंत धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि वरमाला के दौरान इस बार भगवान जगन्नाथ के चतुर्भुज रूप में दर्शन हुए. यह पहला मौका रहता है. जब साल में एक बार भगवान जगन्नाथ के चतुर्भुज रूप में दर्शन होते है. इसके चलते भी बड़ी संख्या में भक्त भगवान के दर्शन को आतुर दिखे.
बाइट__धर्मेंद्र शर्मा,मंदिर महंत जगन्नाथ मंदिर
वॉक थ्रू__माता जानकी की सवारी के दौरान
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