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78 साल बाद भी मधु टीला में पानी का संकट: क्या प्रशासन करेगा कुछ?
Guwahati, Assam
पूर्व के करीमगंज और अभी के श्री भूमि के मधु टीला गांव: NIT के पीछे छिपा जल संकट, 78 साल बाद भी नहीं मिला स्वच्छ पानी
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सिलचर से मात्र 8 किलोमीटर दूर और प्रतिष्ठित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) के ठीक पीछे बसा मधु टीला गांव आज भी एक गंभीर जल संकट से जूझ रहा है। देश की आजादी के 78 साल बीत जाने के बाद भी इस गांव के लोग स्वच्छ पेयजल के लिए तरस रहे हैं और अपनी दैनिक जरूरतों के लिए नदी के पानी पर निर्भर हैं। हैरानी की बात यह है कि 2015 में शुरू किए गए दो पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग (PHE) प्रोजेक्ट, जिन्हें 2017 में ₹6 लाख की अतिरिक्त फंडिंग भी मिली, आज तक चालू नहीं हो सके हैं। दशकों से जारी है जल संकट मधु टीला के ग्रामीणों के लिए स्वच्छ पानी की कमी कोई नई समस्या नहीं है। उनकी एकमात्र सहारा पास की नदी है, जो अक्सर दूषित होती है और इससे स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियां पैदा हो रही हैं।
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एक स्थानीय ग्रामीण ने बताया, "हमारे पास नदी का पानी पीने के सिवा कोई चारा नहीं है। यह हमारे लिए जीवित रहने का सवाल है।" इस स्थिति ने गांव में रहने वालों के जीवन को और कठिन बना दिया है। PHE प्रोजेक्ट्स का हाल: वादे अधूरे, उम्मीदें टूटींसाल 2015 में मधु टीला में पानी की समस्या को हल करने के लिए दो PHE प्रोजेक्ट शुरू किए गए थे। उम्मीद थी कि ये परियोजनाएं ग्रामीणों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराएंगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। 2017 में इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने और मेंटेनेंस के लिए ₹6 लाख की अतिरिक्त राशि भी दी गई, फिर भी दोनों प्रोजेक्ट आज तक ठप पड़े हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे खुद को उपेक्षित और भुला हुआ महसूस करते हैं। NIT की चमक के पीछे गांव का अंधेरामधु टीला की स्थिति तब और विडंबनापूर्ण लगती है, जब इसके ठीक बगल में NIT जैसा संस्थान मौजूद है। जहां एक तरफ NIT के छात्र और शिक्षक आधुनिक सुविधाओं का लाभ उठाते हैं, वहीं दूसरी तरफ गांव के लोग बुनियादी जरूरतों से वंचित हैं। यह अंतर न केवल असमानता को उजागर करता है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि इतने बड़े संस्थान के पास रहने के बावजूद गांव की समस्याएं क्यों अनदेखी रह गईं। निष्कर्ष: अब कार्रवाई की जरूरतमधु टीला गांव की यह दुर्दशा आजादी के 78 साल बाद भी देश में मौजूद असमानताओं का कड़वा सच सामने लाती है। यह बेहद जरूरी है कि प्रशासन तुरंत कदम उठाए, PHE प्रोजेक्ट्स को फिर से शुरू करे और ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल की सुविधा दे। यह समय सिर्फ वादों का नहीं, बल्कि ठोस बदलाव का है। मधु टीला के लोग अब और इंतजार नहीं कर सकते।
गुवाहाटी से शरीफ उद्दीन अहमद
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