Back
झाबुआ में 100% दिव्यांग शिक्षिका प्रियंका नौकरी नहीं पा रहीं, सड़क पर मदद गुहार
UCUmesh Chouhan
Sept 23, 2025 14:15:29
Jhabua, Madhya Pradesh
एक तरफ़ सरकारी तंत्र मंचों पर दिव्यांगों को लेकर संवेदनशीलता और सशक्तिकरण के लंबे-चौड़े दावे करता है, लेकिन असल हकीकत झाबुआ की सड़कों पर दिख रही है, जहां एक उच्च शिक्षित सौ प्रतिशत दिव्यांग शिक्षिका प्रियंका पाटीदार अपने पति के साथ ज़मीन पर बैठकर मदद की गुहार लगाने को मजबूर हैं।
दिव्यांग सशक्तिकरण' के दावों पर भारी झाबुआ की जमीनी सच्चाई
झाबुआ जिले के पेटलावद क्षेत्र की निवासी प्रियंका उच्च शिक्षित हैं, अतिथि शिक्षक रह चुकी हैं, मगर न नौकरी मिल रही है न साधन। शासन की 'दया' तो दूर, कार्यालयों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। हालात ऐसे हैं कि अपने हक़ की गुहार लगाने के लिए प्रियंका और उनके दिव्यांग पति को सड़क पर बैठना पड़ रहा है। आवेदन में प्रियंका ने लिखा—"100 प्रतिशत दिव्यांगता प्रमाण पत्र होने के बाद भी बार-बार आवेदन देकर भी नौकरी नहीं मिली। न ही आने-जाने के लिए कोई साधन मिला।" प्रियंका ने सरकार से मांग की है कि मोटर साइकिल खरीदने के लिए आर्थिक सहायता दी जाए ताकि अपने कार्यस्थल तक पहुंच सकें। अधिकारी-नेता केवल कागज़ी योजनाओं में अव्वल दिखना चाहते हैं, असल ज़रूरतमंद दर-दर की ठोकरें खा रहा है।
सशक्त भारत' के प्रचार के बीच तंत्र की नाकामी
लगातार आवेदन, दिव्यांग प्रमाण पत्र और पढ़ाई के बाद भी न सिस्टम में जगह, न सशक्तिकरण।
मोटर साइकिल खरीदने के लिए भी शासन के आगे गुहार—मगर सुनवाई के नाम पर फाइलें और चुप्पी।
बड़ा सवाल: आखिर क्यों मजबूर हैं हमारे अधिकारी-नेता?
- आखिर स्थानीय जनप्रतिनिधि और अफसर क्या कर रहे हैं कि एक शिक्षित सौ प्रतिशत दिव्यांग महिला अपनी रोज़मर्रा की जरूरतों और रोजगार के लिए सड़कों पर भटक रही है?
- क्या सरकार की दिव्यांग नीति और योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित हैं?
- जिले के अधिकारी क्यों सिर्फ जनसुनवाई के "फोटो ऑप" और फाइलों में निपटा रहे हैं पीड़ितों की गुहार?
- पहले अतिथि शिक्षिका को नौकरी मिल गई और अब हटाने के पीछे किसकी लापरवाही जिम्मेदार है?
कब मिलेगा न्याय?
आज जब कलेक्टर कार्यालय के बाहर प्रियंका जमीन पर बैठकर आवेदन करती दिखीं तो सिस्टम की संवेदनहीनता जनता के सामने आई। शासन-प्रशासन की सुस्ती, नेताओं की चुप्पी और जवाबदेही से बचने की लगातार कोशिशों ने ही ऐसी तस्वीर खड़ी की है। क्या हुकूमत में बैठे किसी जिम्मेदार के पास इसका जवाब है, या एक और दिव्यांग परिवार सरकारी कागजों में फ़ाइल बनकर रह जाएगा? कब तक 'सबका साथ, सबका विकास' की बात जुमला बनी रहेगी?
अब तो जवाब चाहिए—आख़िर कब तक दिव्यांग अपने अधिकारों के लिए इस तरह सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटते रहेंगे?
बाइट....पीड़ित दिव्यांग
0
Report
हमें फेसबुक पर लाइक करें, ट्विटर पर फॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब्ड करें ताकि आप ताजा खबरें और लाइव अपडेट्स प्राप्त कर सकें| और यदि आप विस्तार से पढ़ना चाहते हैं तो https://pinewz.com/hindi से जुड़े और पाए अपने इलाके की हर छोटी सी छोटी खबर|
Advertisement
RKRaj Kishore
FollowSept 23, 2025 15:46:320
Report
AKAshok Kumar1
FollowSept 23, 2025 15:46:110
Report
0
Report
RKRakesh Kumar Bhardwaj
FollowSept 23, 2025 15:45:200
Report
DGDeepak Goyal
FollowSept 23, 2025 15:45:080
Report
0
Report
RMRoshan Mishra
FollowSept 23, 2025 15:35:472
Report
AVArun Vaishnav
FollowSept 23, 2025 15:35:400
Report
RRRakesh Ranjan
FollowSept 23, 2025 15:35:320
Report
DSDanvir Sahu
FollowSept 23, 2025 15:34:260
Report
MKManitosh Kumar
FollowSept 23, 2025 15:34:070
Report
RSRAKESH SINGH
FollowSept 23, 2025 15:33:550
Report
MVManish Vani
FollowSept 23, 2025 15:33:410
Report
NJNEENA JAIN
FollowSept 23, 2025 15:33:330
Report