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जोधपुर नदी प्रदूषण: कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान, 9 अक्टूबर को सुनवाई तय
RKRakesh Kumar Bhardwaj
Sept 23, 2025 15:45:20
Jodhpur, Rajasthan
जोधपुर सुप्रीम कोर्ट ने जोधपुर के लूणी तहसील में जोजरी नदी के प्रदूषण मामले ने गंभीरता दिखाते हुए जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बैंच ने इस मामले पर स्वतः: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। इस मामले में ग्राम पंचायत अराबा की याचिका पर कोर्ट 9 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की है इसके साथ ही अगली सुनवाई पर आदेश पारित किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने इस मामले को लेकर 16 सितम्बर को स्वतः: संज्ञान लिया था और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के निर्देश पर मंगलवार को सुनवाई के लिए रखा गया था। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस नाथ व जस्टिस मेहता की कोर्ट ने मामले में सुनवाई की। सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी नदी में अपशिष्ट निपटान पर आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि उनको इस बारे में जानकारी है। सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार के डिप्टी अटॉर्नी जनरल द्वारा एक एफिडेविट फाइल करने की इच्छा जताने पर कोर्ट ने इसकी अनुमति दी। अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रवीण आचार्य के अनुसार अराबा पंचायत की अर्जी जोजरी प्रदूषण से जुड़ा मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हुआ था। जस्टिस विक्रमनाथ की कोर्ट ने कहा कि हम 9 अक्टूबर तक दशहरा की छुट्टियों के बाद में इसके अंदर ऑर्डर पास करेंगे।
अधिवक्ता आचार्य ने बताया कि पूरा मामला जोधपुर की ग्राम पंचायत अराबा द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर एक अर्जी से शुरू हुआ था, जिसमें 3 करोड़ रुपए का कंपनसेशन देने के लिए कहा गया था। एनजीटी में कहा गया था कि वहां की इंडस्ट्रियल बॉडीज से निकलने वाले एफ्लुएंट का सही तरीके से ट्रीटमेंट नहीं किया जा रहा और फैक्टरियों से निकलने वाले डिस्चार्ज को सही तरीके से ट्रीट नहीं किया जा रहा। इसकी वजह से वहां का फ्लोरा-फॉना बुरी तरह प्रभावित है। सभी इंडस्ट्रियल बॉडीज की अथॉरिटीज के साथ साठगांठ है। फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल युक्त पानी की वजह से अराबा, डोली सहित आसपास के कई गांवों में जोजरी नदी का पानी हर तरफ काला नजर आता है।एनजीटी द्वारा नगर निगम को बहुत कड़ी फटकार लगाई गई थी, जिसे नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था। इससे मामला कोर्ट में विचाराधीन हो गया था, लेकिन पिछले चार-छह महीने से वहां के हालात बद से बदतर होते गए। वहां के कई एनजीओ और जागरूक लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में चिट्ठी लिखी जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः: संज्ञान लिया।
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