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बिहार में जैविक सिंदूर की खेती: महिलाओं के लिए रोजगार का नया अवसर!

AKAshwani Kumar
Jul 10, 2025 03:06:06
Bhagalpur, Bihar
INTRO- सिंदूर ऐसी शक्ति जिसे सुहाग के रूप में देखा जाता है। शक्ति का प्रतीक सिंदूर है शाश्वत सत्य सिंदूर है। सिंदूर की महत्ता तब और बढ़ जाती है जब वह प्रकृति से जुड़ा हो। बिहार में अब बड़े पैमाने पर जैविक सिन्दूर की खेती होगी। इसके लिए बिहार कृषि विश्विद्यालय सबौर ने पहल की है सिंदूर के 200 पौधे बीएयू ने लगाए हैं बिक्सा ओरेलाना लगाए गए हैं जिसे लिपस्टिक ट्री भी कहते हैं इसके साथ ही इस सिन्दूर को खाने के रंग में भी प्रयोग किया जा सकता है। बाजारों में अमूमन केमिकल युक्त सिंदूर मिलने लगे हैं जिससे महिलाओं को खतरा बताया ज रहा है। ऐसे में बीएयू ने पहले मधुबनी इलाके में इसकी खेती शुरू की थी अब बीएयू परिसर में जैविक विधि से सिंदूर का उत्पादन होगा। हाल ही में 200 पौधे लगाए गए जो अब विकसित ही रहे हैं दो से 3 साल में इन पौधों में फलन होगा जिससे सिंदूर तैयार होगा इसके बाद इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए बीएयू किसानों को प्रेरित करेगा साथ ही ट्रेनिंग भी दी जाएगी। बीएयू ने सबसे पहले जिन पौधों को प्राकृतिक तरीके से जैविक विधि से लगाया था उसमें से सिंदूर का जब उत्पादन हुआ तो वह सिंदूर अन्य सिंदूरो से अलग लगा प्राकृतिक सुगंध ने ध्यान आकर्षित किया। उसमें कई औषधीय गुण पाए गए। इसको बढ़ावा देने के लिए अब बीएयू के कुलपति डॉक्टर डी आर सिंह अनवरत प्रयास कर रहे हैं। इतना ही नहीं कुलपति प्रयास कर रहे हैं कि जितनी जल्द हो कई गांव में जैविक सिंदूर की प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जाए जिससे महिलाओं को रोजगार के साथ-साथ नारी सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिलेगा। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के मुताबिक यह सिंदूर न केवल पारंपरिक प्रयोग के लिए उपयोगी है बल्कि इसमें त्वचा रोग आंखों के संक्रमण कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में लाभकारी साबित होगा। Wt - अश्वनी कुमार, ज़ी मिडिया, भागलपुर byte- शाज़िदा बानो, वैज्ञानिक, प्लांट बायोटेक्नोलॉजी विभाग, BAU
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