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बांदा में बाढ़ राहत की स्थिति: अधिकारियों की लापरवाही पर सवाल उठे

AMATUL MISHRA
Jul 17, 2025 07:03:50
Banda, Uttar Pradesh
रिपोर्ट - अतुल मिश्रा सेंटर- बांदा Info - बांदा मे केन नदी और चंद्रावल नदी में लगातार बड़े जलस्तर के बाद अब स्थिति समान हो रही है लेकिन बहुत सारे गांव को जोड़ने वाले संपर्क मार्ग में बने नालों में पुल डूबे हुए हैं जिससे कई गांवों को संपर्क मार अभी भी टूटा हुआ है। नाव लगाई गई है लेकिन नाव में लाइफ जैकेट नहीं दी गई हैं 8 से 10 दिनों से लोग नाव में यात्रा करके आता गण कर रहे हैं लेकिन अधिकारी सिर्फ इन नाविकों को यह बोले हैं कि जल्द ही इनको लाइफ जैकेट उपलब्ध करा दी जाएगी। वही मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद मंत्री स्वतंत्र देव सिंह बांदा पहुंचे थे बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण किया था और अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए थे की बाढ़ कंट्रोल रूम बढ़ चौकिया पर मौजूद रहे मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश हैं बावजूद जब रियलिटी चेक करने की मीडिया पहुंचा तब जिन क्षेत्रों में अभी भी नाव लगी हुई है रखते डूबे हुए वहां पर बाढ़ चौकी पर ताला लटकता हुआ मिला लोगों को कहना है की चौकियां बंद रहती हैं जब कोई बड़े अधिकारी आए तभी चौकिया खुलता है नहीं तो वहां पर कोई भी नहीं रहता है। ऐसे में बांदा में बाढ़ को लेकर के शासन के निर्दोषों का पालन नहीं हो रहा है उच्च अधिकारी भले ही डर करके माता कर्मचारियों को मौजूद रहने के लिए बोलते हैं हम लेकिन यहां पर कोई भी मौजूद नहीं रहता है लोगों का कहना है कि कभी-कभार अधिकारी टहल जाते हैं और चले जाते हैं। नविको को नाहिताच ना ही रास्ता नहीं लाइफ जैकेट किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं दी गई है एहतियातन केवल उनको नाव लगाकर लोगों को इस पर से उसे पर उतरने के लिए बोल दिया गया है। सिंधन कल समेत आधा दर्जन गांवों को जोड़ने वाला रास्ता अभी जलमग्न है नाविक नाव से लोगों को इसपर उसपार उतर रहा है नाविक की माने तो लगभग 100 से 150 लोग प्रतिदिन इधर से उधर जाते हैं बिना लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम के छोटे-छोटे बच्चे महिलाएं जिनको तैरना भी नहीं आता वह लोग भी रास्ता तय करते हैं लेकिन अभी तक लाइफ जैकेट नहीं दी गई है। आपको बता दें कि यह पैलानी तहसील कपड़ा नहीं दे रहा गांव है जहां पर यह नाव चल रही है और यहीं पर विद्यालय में बाढ़ चौकी बनाई गई है लेकिन कोई भी यहां पर मौजूद नहीं है। जल शक्ति राज्य मंत्री रामकेश निषाद का घर भी पलानी डेरा में ही है। और मंत्री जी का आवास बाढ़ चौकी से 500 मीटर की दूरी पर है बावजूद इस कदर अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं। पैलानी डेरा के साथ-साथ खपटिहा गांव में बनी बाढ़ चौकी में भी ताला लटकता मिला। लोगों की राहत और बाढ़ से बचाव के लिए इन चौकिया को प्रशासन द्वारा बनाया जाता है ताकि राजस्व समेत सभी विभागों के जिम्मेदार कर्मचारी यहां पर मौजूद रहे लेकिन यहां पर लटक देता अली बता रहे हैं की बाढ़ को लेकर के जिला प्रशासन कितना गंभीर है। यहां के लोगों कहना है कि कुछ जलस्तर घटा है जिससे मलबा कचरा इत्यादि हो गया है लोगों को परेशानियां हो रही है तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी अभी यहां ब्लीचिंग तक का छिड़काव नहीं किया गया है। बाइट -लाल (ई-रिक्शा चालक स्थानीय) बाइट -राजेश (नाविक) पीटीसी -अतुल मिश्रा
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