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दिगंबर आचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महाराज का चातुर्मास कलश स्थापना पर बड़ा खुलासा!
NJNEENA JAIN
FollowJul 08, 2025 15:31:03
Saharanpur, Uttar Pradesh
slug ...0807ZUP_SRN_CHATURMAS_R
Date....8.7.2025
Name.... Neena jain
location... saharanpur
anchor....राष्ट्रीय योगी राष्ट्र गौरव भाव लिंगी संत दिगंबर आचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महाराज ने आज दिगंबर चर्या के संबंध में विस्तृत रूप से जानकारी देते हुए चतुर मांस कलश स्थापना और एक मुनि के जीवन चर्या पर प्रकाश डाला
दिगंबर आचार्य श्री 108 विर्मसागर महाराज जी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए दिगंबरमुनि की चर्या पर प्रकाशडालते हुए कहा कि एक व्यक्ति के जीवन में जब भी वैराग्य की भक्ति उत्पन्न होती है और वह संत मार्ग पर चलना चाहता है तो उसे पहले भारतीय त्याग तो हो जाते हैं परंतु सबसे अधिक जरूरी है अंदरूनी त्याग अपने मन से राग द्वेष को दूर करना सभी को समान समझना सभी को एक देश में समझते हुए आशीर्वाद देना यह नहीं सोचा कि यह मेरा प्रिय है यह मेरा दुश्मन है क्योंकि बाहर से त्याग करना दूसरों को दर्शन आसान है परंतु सबसे अधिक मुश्किल है अपने अंदरूनी राग द्वेष लालच को खत्म कर सभी पर प्रेम की वर्षा करना सभी को समान भाव देखना उन्होंने कहा कि दिगंबर मुनि दीक्षा के साथी नंगे पांव यात्रा करते हैं क्योंकि वहां से चलने पर वहां के नीचे किसी भी जीव के आने का खतरा है और दिगंबर मुनि अहिंसा परमो धर्म में यकीन करते हैं चाहे वह परिवार हो समाज हो देश या संपूर्ण सभी को अहिंसा परमो धर्म का पालन करना चाहिए और यही एक भावना ऐसी है जिससे सभी राग द्वेष क्लेश और दुश्मन की भावना भी समाप्त हो जाती है उन्होंने कहा कि मनी चार पग की दूरी नीचे देखते हुए विहार करता है ताकि कोई भी चीज उसके पैरों के नीचे ना आ जाए वह 24 घंटे में एक बार आहार लेते हैं और वह भी विधि लेकर उठाते हैं और यदि वह विधि नहीं मिलती तो उसके बाद अगले दिन आहार के लिए उठते हैं उन्होंने बताया कि स्वाध्याय समायिक प्रतिक्रमण आहार धर्म का प्रचार प्रसार धार्मिक कक्षाएं के द्वारा ज्ञान की प्रभाव ना फैलाना प्रभु की भक्ति सभी मुनि की चर्या में आते हैं मुनि की चोरियां सुबह 3:30 बजे प्रारंभ हो जाती है और भक्तों के लिए केवल 10:00 बजे तक रहती है। उसके बाद मुनि श्रीजी आर्यिका जी प्रतिक्रमण और स्वाध्याय करती हैं जो की तपस्या का एक अंगहै। आचार्य श्री जी ने बताया कि 10 जुलाई 2025 को सहारनपुर के जैनबाग स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर की में चातुर्मास कलश स्थापना होगी जिसमें बाहर अन्य प्रदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग आएंगे जो भी पुण्यशाली श्रावक होगा उसी के कर कमल से उनके निर्देशन में कलश स्थापना होगी उन्होंने बताया कि अब चार माह सावन और भाद्र पक्ष सूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति हो जाती है जिसके कारण जीवों की मृत्यु होने की संभावना प्रबल हो जाती है ऐसे में जैन संत चार महा एक स्थान पर रुकते हैं ताकि जीवो की मृत्यु ना हो। उन्होंने बताया कि इस दौरान संत अपने ज्ञान रूपी गंगा से श्रावको को सराबोर करते हैं और बताते हैं कि सूर्य अपनी प्राचीन से उग रहा है केवल आपको अपने मन और दिमाग के खिड़की दरवाजे खोलने हैं ताकि ज्ञान की रोशनी से आप स्नानीभूत हो सके। उन्होंने बताया कि संत नंगे पांव इसलिए चलते हैं क्योंकि वह सभी का त्याग कर चुके होते हैं ना वह धन रखते हैं ना वस्त्र रखते हैं ना ही किसी चीज की लालसा करते हैं वह केवल अपनी तपस्या में ही रहते हैं प्रभु की आराधना करते हैं।
इस दौरान जैन समाज सहारनपुर के अध्यक्ष राजेश कुमार जैन संरक्षक राकेश जैन से सहित जैन समाज के महामंत्री संजीव जैन और अन्य लोग उपस्थित रहे
बाइट.... दिगम्बर आचार्य श्री 108 विर्मसागर महाराज जी
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