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West Champaran845101

गंडक नदी में फिर से जानलेवा नाव हादसों का खतरा, प्रशासन मौन!

Imran Ajij
Jun 28, 2025 01:33:25
Bagaha, Bihar
BIHAR DESK... LOCATION- BAGAHA REPORT- IMRAN AZIZ FORMAT- EXCLUSIVE/PKG VISUAL BYTE GROUND REPORT 2806ZBJ_BAGA_GANDAK_WT_R ANCHOR- बड़ी ख़बर बगहा से है जहाँ नेपाल के तराई क्षेत्रों में हो रही वर्षा का असर दिखने लगा है लिहाजा गंडक नदी का जलस्तर बढ़ने लगा है। इंडो-नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकिनगर गंडक बराज़ से नदी में 65 हज़ार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है जिसके बाद दियारा के निचले इलाकों औऱ मैदानी क्षेत्र में धीरे-धीरे नदी का पानी फ़ैलने लगा है। वहीं जल संसाधन विभाग औऱ ज़िला प्रशासन द्वारा बाढ़ औऱ कटाव से निपटने को लेकर तैयारियां भी पूरी क़र लीं गईं हैं जिसके बाद थोड़ी राहत मिली है। लेकिन इसी बीच नारायणापुर औऱ कैलाशनगर घाट से हैरान करने वालीं तस्वीरें सामने आईं हैं जहाँ नीजी नावों पर सवार ओवरलोड लोग नदी की तेज़ धारा के बीच आवाज़ाही क़र रहें हैं।हालांकि प्रशासन नें नीजी नावों के परिचालन पर पहले हीं रोक लगा दिया है औऱ सरकारी निबंधित नाव चलाने का आदेश दिया गया था। बावजूद इसके गंडक नदी तट पर किसी भी घाट से सरकारी नाव चलानें की शुरुआत नहीं हुई है जो जानलेवा है...! दरअसल गंडक नदी हर साल नेपाल में भारी वर्षा के बाद बिहार समेत सीमावर्ती यूपी के आधा दर्जन जिलों में तबाही लाती है इस बार भी मानसून की दस्तक के साथ नदी का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ने लगा है इसी बीच नदी की धारा से सुबह औऱ शाम जान हथेली पर रखकर सैकड़ों लोग दियारा की ओर आने जाने को मजबुर हैं। कई बार नाव हादसे भी हुए हैं औऱ कई जिंदगीया तबाह हुईं हैं, कुछ बार तो नाव पुल के पाया से टकरा क़र दो टुकड़ों में नदी की तेज़ धार में बह गया है बावजूद इसके न तो ग्रामीण मानने वाले हैं औऱ ना हीं प्रशासन नें सबक लिया है लिहाजा फ़िर एक बार गंडक नदी में छोटे नावों का परिचालन हादसे को न्योता दें रहा है। अब सवाल है क्या प्रशासन को फ़िर नाव हादसे का इंतजार है...? बताया जा रहा है की गंडक नदी तट पर बगहाँ के दर्जनों घाट से हर रोज़ दर्जनों नीजी नावों पर सवार होकर ग्रामीण, किसान औऱ मजदूर खेती किसानी समेत दियारा में मवेशियों से दूध निकालने समेत उनके चारा लाने खातिर जान की परवाह किये बगैर सुबह - शाम सैकड़ों की तादाद में नीजी औऱ छोटे नाव पर सवार होकर नदी की उफ़नती धारा से गुजरते हैं लेकिन प्रशासन औऱ शासन इससे बेखर है। हालांकि पूर्व के हादसों को लेकर निबंधित बड़े नाव चलाने के आदेश जारी किये गए थे जो धरातल पर नहीं दिख रहा है। तभी तो मजबूर होकर महिला-पुरुष औऱ बच्चे बुजुर्ग तक इन नीजी नावों के सहारे आवाज़ाही क़र रहें हैं जो दिनचर्या औऱ रोजी रोटी के लिए विवश औऱ लाचार हैं। ग्रामीण औऱ जनप्रतिनिधि साफ़ तौर पर कह रहें हैं की हादसे के बाद प्रशासन इन नाविकों औऱ ग्रामीणों पर केस दर्ज़ क़र मामला ठंढ़े बस्ते में डाल क़र अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ लेता है। हर साल बाढ़ आती है औऱ नदी की उफ़नती धारा में नाव हादसे भी होते हैं कई लोग अकाल मौत के गाल में समाते हैं लेकिन समय रहते इससे बचाव क्यों नहीं किया जाता है। ऐसे में ज़रूरत है की ज़िला प्रशासन औऱ सरकार समय रहते गंडक नदी के विभिन्न घाटों से सरकारी निबंधित बड़े नाव का परिचालन करवाए ताकि फ़िर कोई छोटा नाव या डेंगी गंडक नदी में हादसे का शिकार न हो औऱ लोगों का कारोबार भी चलता रहें। ग्राउंड ज़िरो से हालात का जायजा लिया हमारे संवाददाता नें, Wt इमरान अज़ीज़ ज़ी मीडिया बगहा बाइट- नागेंद्र सिंह, पार्षद प्रतिनिधि, हरे रंग की शर्ट व टोपी पहने बाइट- किशोर कुमार, स्थानीय युवक बाइट- विश्वनाथ सहनी, बुजुर्ग ग्रामीण बाइट- योगिन्द्र यादव, किसान
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