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गोरखपुर में गोवंश हत्या खत्म, रोजगार का नया स्रोत बना!
Gorakhpur, Uttar Pradesh
Date: 6-07- 2025
रिपोर्ट: पीटीसी वॉल्क थ्रू: नागेन्द्र मणि त्रिपाठी.
स्थान: गोरखपुर
स्लग: गोरखपुर: यहां अब गोवंश की हत्या नहीं होती, गौ माता लोगों के लिए रोजगार की साधन बनी, अर्थव्यवस्था कर रही मजबूत।
एंकर: गोरखपुर में किसानों और पशु पालकों के लिए वरदान बनी 'नंदिनी कृषक समृद्धि योजना', 50 फीसद अनुदान वाली इस योजना से दूध का उत्पादन बढ़ने के साथ उन्नत नस्ल वाले पशुधन का संरक्षण और संवर्धन भी होगा।
फिलहाल इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप प्रदेश के गोरखपुर समेत कई जिलों में शुरू किया गया है। योजना के तहत जिले में पशुपालकों को अनुदान देकर चार डेयरी यूनिट खोली गयी हैं।
नंदनी दुग्ध मिशन' चला रही योगी सरकार दरअसल, देश की आबादी के लिहाज से सबसे बड़े राज्य यूपी की अधिकांश जनता ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। ग्रामीण आबादी के जीविकोपार्जन का मुख्य स्रोत कृषि और पशपालन ही है।
सबसे बड़े राज्य यूपी की अधिकांश जनता ग्रामीण क्षत्रों में रहती है। ग्रामीण आबादी के जीविकोपार्जन का मुख्य स्रोत कृषि और पशुपालन है। वर्तमान में कृषि क्षेत्र के कुल योगदान में पशुपालन का योगदान 29.3 प्रतिशत है। पशुधन विकास के क्षेत्र में अग्रणी और दूध उत्पादन में देश में प्रथमा स्थान पर होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में प्रति पशु उत्पादकता कम है वहीं, प्रदेश में देशी गायों की उत्पादकता 3.6 किग्रा और भैंसों की उत्पादकता 5.02 किग्रा प्रतिदिन प्रति पशु है। जबकि पंजाब और हरियाणा में अधिक है। इसका मुख्य कारण यूपी में उच्च गुणवत्ता वाले दुधारू पशुओं की कमी है। इसे देखते हुए वर्तमान में योगी सरकार पशुपालन के क्षेत्र में उद्यमिता विकास के लिए 'नंद बाबा दुग्ध मिशन के तहत गोरखपुर जनपद के एनएच 28 पर स्थित कुसुमी बाजार से सटे बहरामपुर में नंदिनी कृषक समृद्धि योजना अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2023,24 में चयनित स्वदेशी साहीवाल गोवंश की राजहंस डेयरी की इकाई की लाभार्थी इंदु सिंह ने स्थापित किया है जो अत्याधुनिक सुख सुविधाओं से युक्त है। डेरी फार्म में विद्युत कनेक्शन नहीं लिया गया है और उसे और डेयरी फार्म को चलाने के लिए सोलर पैनल का इस्तेमाल किया गया है जिससे डेयरी फार्म में लगे पंखे व सारे उपकरण यंत्र सुचारू रूप से संचालित होते हैं सोलर पैनल से चलने वाले यंत्रों के कारण डेयरी संचालक को विद्युत बिल के बोझ से मुक्ति भी मिल रही है। जी मीडिया से बात करते हुए मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉक्टर धर्मेंद्र पांडेय ने बताया कि फिलहाल तो इस परियोजना के दो विकल्प हैं पहला 62 लाख 50 हजार रुपये की लागत वाली यूनिट में साहीवाल, गिर या थारपारकर नस्ल के 25 गोवंश के लिए एक लाख रुपये प्रति गोवंश के आधार पर आगणन किया जाएगा। 61 लाख रुपये की लागत वाली यूनिट में साहीवाल, गिर या थारपारकर के साथ गंगातीरी नस्ल के अधिकतम पांच गोवंश के लिए गंगातीरी गोवंश का क्रय मूल्य 70 हजार रुपये प्रति गोवंश के आधार पर किया जाएगा। शेष अन्य नस्ल के लिए यह दर एक लाख रुपये प्रति गोवंश होगी। दोनों ही विकल्पों में परियोजना लागत का 50 प्रातिशत अनुदान सरकार देगी। यानी 62 लाख 50 हजार रुपये वाली यूनिट के लिए 31 लाख 25 हजार तथा 61 लाख रुपये वाली यूनिट के लिए 30 लाख 50 हजार रुपये का अनुदान मिलेगा। यूनिट लगाने के लिए परियोजना लागत का 15 प्रतिशत लाभार्थी को स्वयं लगाना होगा जबकि 35 प्रतिशत वित्त पोषण बैंक ऋण से होगा। पहले चरण में गोरखपुर में कुल 6 डेयरी यूनिट की स्थापना की गई है वहीं दूसरे चरण में चार डेयरी उत्पाद की स्थापना की गई है। जो किसानों के लिए वह बेरोजगारों के लिए रोजगार की प्रमुख साधन बनी हुई है ।
Bio- आधारभूत संरचना तैयार होने व सत्यापन के बाद 25 प्रतिशत अनुदान प्राप्त होगा। दूसरे चरण में 25 दुधारू गोवंश के नियमानुसार क्रय एवं इसके सत्यापन के बाद 12.5 प्रतिशत तथा तीसरे चरण में 25 दुधारू गोवंश में से 10 संतति उत्पन्न होने और सत्यापन के बाद 12.5 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध होगा। इस योजना में आवेदन के लिए आवेदक को गोवंश या महिष पालन के क्षेत्र में तीन साल का अनुभव और इस संबंध में पशु चिकित्सा अधिकारी से प्रमाण पत्र हासिल होना चाहिए। आवेदक के पास यूनिट लगाने के लिए आधा एकड़ तथा चारा उत्पादन के लिए डेढ़ एकड़ भूमि होनी चाहिए। पूर्व में संचालित कामधेनु, मिनी कामधेनु या माइक्रो कामधेनु योजना के लाभार्थियों को नंदिनी कृषक समृद्धि योजना का लाभ नहीं दिया जा सकेगा।
बाईट- डॉक्टर: धर्मेन्द्र पाण्डेय, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी गोरखपुर।
बाईट- सूर्यनाथ सिंह, डेयरी संचालक इंदु सिंह के पति।
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